250 करोड़ घोटाला मामला: ED की कार्रवाई, जेके बैंक से जुड़े छह जगहों पर की छापमेरी; पूर्व बैंक अध्यक्ष का घर भी छाना
ED raids in Srinagar प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 250 करोड़ रुपये के घोटले में जम्मू-कश्मीर बैंक से जुड़े छह स्थानों पर तलाशी ली है। अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक 250 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में पूर्व बैंक अध्यक्ष के घर भी तलाशी ली गई। फिसटीटीयस हाउसिंग सोसायटी रिवर झेलम कोऑपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसायटी के नाम पर ये धोखाधड़ी की गई है।
पीटीआई, श्रीनगर। फर्जी हाउसिंग सोसायटी के नाम पर जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक में 250 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लेने के मामले में अब ईडी ने कार्रवाई की है और वीरवार को श्रीनगर में बैंक के पूर्व अध्यक्ष के ठिकाने समेत छह स्थानों पर छापे मारे। इससे पूर्व जम्मू कश्मीर का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) इस मामले में आरोपपत्र दाखिल कर चुका है।
आरोप है कि बैंक से झेलम किनारे हाउसिंग सोसाइटी बनाने के नाम पर नियमों को ताक पर रखकर 223 करोड़ का लोन लिया गया और यह सोसाइटी कभी पंजीकृत ही नहीं हुई। इसके अलावा पैसे को गलत तरीके से अन्य लोगों को आवंटित कर दिया गया।
कुल छह परिसरों पर टीम ने जांच पड़ताल की
ईडी अधिकारियों द्वारा जारी बयान में बताया गया वीरवार को कुल छह स्थानों पर छापे मारे गए और इसमें जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष का परिसर भी शामिल है। ईडी सहकारी बैंक से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में यह कार्रवाई कर रही है। आरोप है कि रिवर झेलम कोआपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी के नाम पर 250 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की गई। इसमें बैंक के तत्कालीन चेयरमैन, सोसायटी के ट्रस्टियों सहित कुल छह परिसरों पर टीम ने जांच पड़ताल की।
300 करोड़ रुपये का ऋण देने की मांग की थी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पहले से ही विभिन्न धाराओं के तहत अपराध फर्जी सोसायटी के चेयरमैन हिलाल अहमद मीर, कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन मोहम्मद शफी डार और अन्य के खिलाफ अगस्त 2023 में आरोपपत्र दायर कर चुका है। एसीबी की जांच के अनुसार मीर ने सहकारी समितियों के प्रशासन विभाग के सचिव को एक आवेदन दिया था कि वह श्रीनगर के बाहरी इलाके शिवपोरा में 37.5 एकड़ भूमि पर सैटेलाइट टाउनशिप बनाना चाहते हैं और उन्होंने इसके लिए जेके सहकारी बैंक से 300 करोड़ रुपये का ऋण देने की मांग की थी।
आरोप है कि श्रीनगर में सहकारी बैंक ने औपचारिकताओं का पालन किए बिना 223 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत कर दिया। अब यह राशि बढ्कर 250 करोड़ रुपये हो चुकी है। सोसाइटी की बैलेंस शीट, लाभ और हानि का विवरण, अकाउंट बिजनेस, सोसाइटी का पैन नंबर, आयकर रिटर्न और बोर्ड प्रस्ताव कुछ भी बैंक को नहीं दिया गया और बैंक ने ऋण आवंटित कर दिया। एसीबी की जांच में यह भी सामने आया कि रिवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी को सहकारी सोसाइटी के रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकृत भी नहीं किया गया था।
87 करोड़ रुपये की राशि जब्त कर ली गई
आरोप है हिलाल अहमद मीर ने तत्कालीन चेयरमैन मोहम्मद शफी डार और अन्य के साथ मिलकर सोसाइटी के नाम पर एक फर्जी और काल्पनिक पंजीकरण प्रमाण पत्र तैयार किया। ऋण राशि भूमि मालिकों के खातों में वितरित कर दी गई लेकिन भूमि बैंक के पास गिरवी नहीं रखी गई। इसके अलावा एसीबी ने जांच में 223 करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आने के बाद 187 करोड़ रुपये की राशि जब्त कर ली गई।