आयोग का यह निर्देश उन अधिकारियों व कर्मियों पर लागू होगा जो चुनाव प्रक्रिया को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यह आदेश उन अधिकारियों पर प्रभावी नहीं होगा जो अगले छह माह में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्हें चुनाव सबंधी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती।
आयोग ने अपने इस पत्र में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में इस वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनावों का स्पष्ट उल्लेख किया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में उसने यही कहा है कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में निकट भविष्य में चुनाव होने हैं।
सितंबर में हो सकते हैं चुनाव
जम्मू-कश्मीर में इसी वर्ष सितंबर में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि आयोग की नीति है कि चुनाव वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव के संचालन से सीधे जुड़े अधिकारियों को उनके गृह जिलों या उन स्थानों पर तैनात नहीं किया जाता है जहां वह लंबे समय से तैनात है।
इसलिए चुनावों से सीधे जुड़े किसी भी अधिकारी को वर्तमान जिले (राजस्व जिले) में बने रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर वह अपने गृह जिले में तैनात है या उसने पिछले चार वर्षों के दौरान उक्त जिले में तीन वर्ष वर्ष पूरे किए हैं तो उसे स्थानांतरित किया जाए।
अधिकारियों के स्थानांतरण का क्या है नियम?
अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर अपने दिशा निर्देश में आयोग ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लिए संबंधित अधिकारी किसी पद विशेष, राजस्व जिले या गृह जिले में 30 सितंबर, 2024 को या उससे पहले तीन साल पूरे कर लिए होने चाहिए। तीन साल की अवधि की गणना करते समय, जिले के भीतर एक पद पर पदोन्नति को गिना जाना है।आयोग ने स्पष्ट किया कि छोटे राज्य और छोटे केंद्र शासित प्रदेशों में यहां जिलों की संख्या अपेक्षाकृत कम है और जिन्हें उपरोक्त आदेश के अनुपालन में दिक्कत है तो वह विशेष परिस्थितियों में इसमें छूट के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से आयोग को सूचित कर, आवश्यक निर्देश प्राप्त कर सकता है।
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किन अधिकारियों पर लागू होगा यह निर्देश
आयोग के मुताबिक, स्थानांतरण संबंधी यह निर्देश न केवल जिला चुनाव अधिकारी, उपजिला चुनाव अधिकारी, आरओ/एआरओएस, ईआरओएस/एईआरओएस जैसे अधिकारी जो विशेष रूप से चुनाव डयूटी के लिए तैनात किए गए हैं, पर लागू होगा।इसके अलावा जिलाधिकारियों जैसे एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर/संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी या चुनाव कार्यों के लिए सीधे तैनात समान रैंक के अन्य अधिकारियों पर भी यह लागू होगा। यह निर्देश संभागीय आयुक्तों, नगर आयुक्तों, नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों आदि में प्रतिनियुक्त अन्य अधिकारियों पर भी लागू होंगे।
पुलिस विभाग में रेंज एडीजी/आईजी, डीआईजी, राज्य सशस्त्र पुलिस के कमांडेंट, एसएसपी, एसपी, एडिशनल एसपी, एसएचओ, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, आरआई/सार्जेंट मेजर या समकक्ष रैंक के अधिकारियों पर भी लागू होंगे, जो चुनाव के समय जिले में सुरक्षा व्यवस्था या पुलिस बलों की तैनाती के लिए जिम्मेदार हैं।
पुलिस विभाग के इन अधिकारियों पर नहीं लागू होगा निर्देश
पुलिस विभाग में कंप्यूटरीकरण, विशेष शाखा, प्रशिक्षण आदि जैसे कार्यात्मक विभागों में तैनात पुलिस अधिकारियों पर यह निर्देश लागू नहीं होगा। वहीं, पुलिस सब इंस्पेक्टर और उससे ऊपर के अधिकारियों को उनके गृह जिले में तैनात नहीं किया जाना चाहिए।
अगर किसी सब इंस्पेक्टर ने किसी पुलिस उप-मंडल में कटऑफ तिथि को या उससे पहले चार वर्षों में से तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है या पूरा करने वाला है, तो उसे ऐसे पुलिस उप-मंडल में स्थानांतरित किया जाना चाहिए जो उस विधानसभा निर्वाचन में नहीं है।यदि जिले के छोटे आकार के कारण ऐसा संभव नहीं है, तो उसे जिले से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। यह निर्देश आबकारी विभाग के उप-निरीक्षक और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों पर भी लागू होंगे।
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राज्य मुख्यालय में तैनात अधिकारियों पर नहीं होगा लागू
आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव के दौरान, बड़ी संख्या में कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार की चुनाव ड्यूटी के लिए नियुक्त किया जाता है और आयोग का बड़े पैमाने पर स्थानांतरण करके राज्य मशीनरी को अव्यवस्थित करने का कोई इरादा नहीं है। इसलिए, उपर्युक्त स्थानांतरण नीति सामान्यतः संबंधित विभाग के राज्य मुख्यालय में तैनात अधिकारियों, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक/प्रधानाचार्य आदि पर लागू नहीं होती।
यदि ऐसे किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ राजनीतिक पक्षपात या पूर्वाग्रह की विशिष्ट शिकायतें हैं, जो जांच करने पर सही पाई जाती हैं, तो सीईओ/ईसीआई न केवल ऐसे अधिकारी के स्थानांतरण का आदेश दे सकता है, बल्कि उक्त अधिकारी के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई भी कर सकता है।
चुनाव संबंधी चूक कर चुके अधिकारियों को नहीं मिलेगा कोई पद
चुनाव ड्यूटी में शामिल सेक्टर अधिकारी/जोनल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त अधिकारी इन निर्देशों के अंतर्गत नहीं आते हैं। तथापि, पर्यवेक्षकों, सीईओ/डीईओएस और आरओ को अपने आचरण पर कड़ी नजर रखनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपने कर्तव्यों के निष्पादन में निष्पक्ष और गैर-पक्षपाती हैं।यह भी निर्देश दिया जाता है कि जिन अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ आयोग ने पूर्व में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी और जो लंबित है या जिसके परिणामस्वरूप जुर्माना लगाया गया है या जिन अधिकारियों पर पूर्व में किसी चुनाव या चुनाव संबंधी कार्य में किसी चूक के लिए आरोप लगाया गया है, उन्हें किसी भी पद पर नहीं रखा जाएगा।
कोर्ट में आपराधिक मामले में लंबित अधिकारियों की नहीं होगी तैनाती
आयोग के मुताबिक कोई भी अधिकारी/कर्मचारी, जिसके खिलाफ किसी भी अदालत में आधिकारिक कामकाज से संबंधित आपराधिक मामला लंबित है, को चुनाव संबंधी ड्यूटी से संबद्ध/तैनात न किया जाए। निर्वाचन वर्ष के दौरान मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में लगे अधिकारियों/कर्मचारियों के संबंध में स्थानांतरण आदेश, यदि कोई हो, संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी के परामर्श से मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के पश्चात ही क्रियान्वित किए जाएंगे।किसी असाधारण कारण से स्थानांतरण की आवश्यकता होने पर आयोग की पूर्व स्वीकृति ली जाएगी। आयोग की उपरोक्त नीति के अनुसार स्थानांतरित होने वाले वर्तमान पदाधिकारियों के स्थान पर व्यक्तियों की तैनाती करते समय राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से परामर्श अवश्य लिया जाएगा।
चुनाव संबंधी अधिकारियों को देना होगा घोषणापत्र
इन निर्देशों के तहत जारी किए गए प्रत्येक स्थानांतरण आदेश की एक प्रति मुख्य निर्वाचन अधिकारी को अनिवार्य रूप से दी जाएगी। सभी चुनाव संबंधी अधिकारियों को नामांकन पत्रों को जमा कराने की अंतिम तिथि के दो दिन के भीतर संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी को एक घोषणापत्र देना होगा।जिसमें वह वर्तमान चुनाव में चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदवार/राज्य/जिले के प्रमुख राजनीतिक पदाधिकारी के साथ अपने संबंध न होने की पुष्टि करेंगे। उन्हें यह भी बताना होगा कि उनके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है। अगर कुछ ऐसा होगा तो उसे उसका पूरा ब्यौरा देना होगा।
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