Srinagar News: आतंकग्रस्त रहे दक्षिण कश्मीर में लहसुन की खेती कर रहे किसान, इतने फायदे की दुनिया भर में हो रही चर्चा
आतंकवाद से ग्रसित दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में अब किसानों ने लहसुन की खेती शुरू करके क्रांति ला दी है जिसको लेकर वो चर्चा में बने हुए हैं। प्रशासन इसे एक जिला एक उत्पाद के तौर पर प्रोत्साहित कर रहा है। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में लहसुन की खेती से सात करोड़ की आमदनी हुई थी। यहां का लहसुन को दुनिया की अन्य किस्मों से बेहतर माना जा रहा है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। एक समय था जब कश्मीर सिर्फ दो बातों के लिए जाना जाता था। एक आतंकवाद और दूसरा वहां उत्पादित होने वाला विश्व विख्यात उच्च कोटि का केसर। मगर अब कश्मीर बदल गया है, क्योंकि आतंक से ग्रस्त रहा दक्षिण कश्मीर का कुलगाम जिला आजकल लहसुन की खेती को लेकर चर्चा में है। पिछले वर्ष कुलगाम से 10 क्विंटल लहसुन दिल्ली पहुंचा था।
ऐसे में प्रदेश प्रशासन ने भी इसे एक जिला एक उत्पाद के तौर पर प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। क्योंकि कुलगाम में पैदा होने वाला सुनहरे छिलके वाला लहसुन अब स्थानीय किसानों को समृद्ध कर रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में ही कुलगाम के किसानों को सात करोड़ रुपये अधिक की आमदनी लहसुन से हुई है। इससे स्थानीय किसानों में इसकी खेती को लेकर रुझान बढ़ने लगा है।
ये है खासियत
- गुणवत्ता में अन्य लहसुन से कहीं बेहतर, छिलका या भूसी हल्की सुनहरी या भूरे रंग की
- तैयार होने में समय लेता है, लेकिन ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- इसका बल्ब भी आकार में अन्य किस्मों के लहुसन से बेहतर है।
कुलगाम में लहसुन की हो रही खेती
कुलगाम की आबोहवा लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है और इसी कारण यहां इसका उत्पादन खूब होता है। मगर आतंकवाद के चलते बाजार तक पर्याप्त पहुंच न होने के कारण किसानों को इसका सही दाम नहीं मिलता था, जिसके कारण किसानों ने इसकी खेती से मुंह मोड़ लिया था। कृषि अधिकारी सरताज अहमद शाह ने कहा कि कुलगाम का लहसुन गुणवत्ता में दुनिया के अन्य भागों में पैदा होने वाली लहसुन की किस्म में सबसे बेहतर कहा जाएगा।लहसुन की स्थानीय किस्म का छिलका या भूसी हल्की सुनहरी या भूरे रंग की होती है। यह कम अम्लीय होता है। इसका बल्ब भी आकार में अन्य किस्मों के लहुसन से बेहतर होता है। यह देर से तैयार होता है। खास बात यह कि इस लहुसन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यहां चीनी लहसुन भी उगाया जा रहा है, वह जल्दी तैयार होता है।
कुलगाम के लहसुन के बिना कश्मीरी मसाले अधूरे
किसान शब्बीर अहमद बाबा ने कहा कि कुलगाम के लहसुन की पूरे कश्मीर में बहुत मांग रहती है। कश्मीरी मसालों में जब तक कुलगाम का लहुसन न हो, मसालों को अधूरा माना जाता है। बाजार तक पर्याप्त पहुंच न होने और इसके देर से तैयार होने के कारण कई किसानों ने इसकी खेती बंद कर दी थी। इसके अलावा बाहर से आने वाले लहसुन से भी स्थानीय बाजार पर असर हुआ।मगर बीते कुछ वर्षों में जब आर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ी तो कुलगाम के लहसुन की मांग भी बढ़ने लगी। एक जिला एक उत्पाद की योजना में भी इसे शामिल किया गया और बीते पांच वर्षों में ही इसकी खेती का दायरा बढ़ गया है।ये भी पढ़ें: Mata Vaishno Devi: अर्धक्वारी गुफा में गर्भ गृह आरती के श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन, इस वेबसाइट पर बुकिंग कर उठा पाएंगे लाभ
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