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Srinagar News: आतंकग्रस्त रहे दक्षिण कश्मीर में लहसुन की खेती कर रहे किसान, इतने फायदे की दुनिया भर में हो रही चर्चा

आतंकवाद से ग्रसित दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में अब किसानों ने लहसुन की खेती शुरू करके क्रांति ला दी है जिसको लेकर वो चर्चा में बने हुए हैं। प्रशासन इसे एक जिला एक उत्पाद के तौर पर प्रोत्साहित कर रहा है। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में लहसुन की खेती से सात करोड़ की आमदनी हुई थी। यहां का लहसुन को दुनिया की अन्य किस्मों से बेहतर माना जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Published: Sun, 23 Jun 2024 07:31 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2024 07:31 PM (IST)
आतंकग्रस्त रहे दक्षिण कश्मीर में लहसुन की खेती कर रहे किसान

नवीन नवाज, श्रीनगर। एक समय था जब कश्मीर सिर्फ दो बातों के लिए जाना जाता था। एक आतंकवाद और दूसरा वहां उत्पादित होने वाला विश्व विख्यात उच्च कोटि का केसर। मगर अब कश्मीर बदल गया है, क्योंकि आतंक से ग्रस्त रहा दक्षिण कश्मीर का कुलगाम जिला आजकल लहसुन की खेती को लेकर चर्चा में है। पिछले वर्ष कुलगाम से 10 क्विंटल लहसुन दिल्ली पहुंचा था।

ऐसे में प्रदेश प्रशासन ने भी इसे एक जिला एक उत्पाद के तौर पर प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। क्योंकि कुलगाम में पैदा होने वाला सुनहरे छिलके वाला लहसुन अब स्थानीय किसानों को समृद्ध कर रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में ही कुलगाम के किसानों को सात करोड़ रुपये अधिक की आमदनी लहसुन से हुई है। इससे स्थानीय किसानों में इसकी खेती को लेकर रुझान बढ़ने लगा है।

ये है खासियत

  • गुणवत्ता में अन्य लहसुन से कहीं बेहतर, छिलका या भूसी हल्की सुनहरी या भूरे रंग की
  • तैयार होने में समय लेता है, लेकिन ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • इसका बल्ब भी आकार में अन्य किस्मों के लहुसन से बेहतर है।

कुलगाम में लहसुन की हो रही खेती

कुलगाम की आबोहवा लहसुन की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है और इसी कारण यहां इसका उत्पादन खूब होता है। मगर आतंकवाद के चलते बाजार तक पर्याप्त पहुंच न होने के कारण किसानों को इसका सही दाम नहीं मिलता था, जिसके कारण किसानों ने इसकी खेती से मुंह मोड़ लिया था। कृषि अधिकारी सरताज अहमद शाह ने कहा कि कुलगाम का लहसुन गुणवत्ता में दुनिया के अन्य भागों में पैदा होने वाली लहसुन की किस्म में सबसे बेहतर कहा जाएगा।

लहसुन की स्थानीय किस्म का छिलका या भूसी हल्की सुनहरी या भूरे रंग की होती है। यह कम अम्लीय होता है। इसका बल्ब भी आकार में अन्य किस्मों के लहुसन से बेहतर होता है। यह देर से तैयार होता है। खास बात यह कि इस लहुसन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यहां चीनी लहसुन भी उगाया जा रहा है, वह जल्दी तैयार होता है।

कुलगाम के लहसुन के बिना कश्मीरी मसाले अधूरे

किसान शब्बीर अहमद बाबा ने कहा कि कुलगाम के लहसुन की पूरे कश्मीर में बहुत मांग रहती है। कश्मीरी मसालों में जब तक कुलगाम का लहुसन न हो, मसालों को अधूरा माना जाता है। बाजार तक पर्याप्त पहुंच न होने और इसके देर से तैयार होने के कारण कई किसानों ने इसकी खेती बंद कर दी थी। इसके अलावा बाहर से आने वाले लहसुन से भी स्थानीय बाजार पर असर हुआ।

मगर बीते कुछ वर्षों में जब आर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ी तो कुलगाम के लहसुन की मांग भी बढ़ने लगी। एक जिला एक उत्पाद की योजना में भी इसे शामिल किया गया और बीते पांच वर्षों में ही इसकी खेती का दायरा बढ़ गया है।

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तीन वर्षों में दोगुने उत्पादन की उम्मीद

फिलहाल कुलगाम में 166 हेक्टेयर में लहसुन की खेती हो रही है। वर्ष 2023-24 में 1826 टन उत्पादन हुआ। इससे कुलगाम को 7.30 करोड़ रुपये का राजस्व हुआ। वर्ष 2022-23 में 124 हेक्टयेर में 1364 टन लहसुन पैदा हुआ था। कृषि निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल ने बताया कि हम कुलगाम के साथ सटे अन्य इलाकों में भी इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं। कुलगाम में इसकी खेती का दायरा अगले तीन वर्ष में दोगुना होने की पूरी उम्मीद है।

लहसुन से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए भी कर रहे प्रोत्साहित

कृषि निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल ने कहा कि हम लहसुन की खेती के साथ किसानों को इससे विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें खादी ग्रामोद्योग विभाग, सहकारिता विभाग व अन्य विभागों से ऋण भी दिलाने का प्रयास करते हैं। कुलगाम के लहसुन की आर्गेनिक वैल्यू अन्य जगहों में पैदा होने वाले लहसुन से ज्यादा है। इसके औषधीय प्रभाव, इसका स्वाद और इसकी सुगंध भी अन्य से बेहतर हैं।

श्रीनगर के व्यापारी मोहम्मद यूसुफ गड्डा ने कहा कि कुलगाम के लहसुन की बढ़ती मांग का मैं खुद गवाह हूं। मैंने पहले कभी लहसुन को प्रदेश से बाहर नहीं भेजा था, लेकिन बीते वर्ष 10 क्विंटल लहसुन दिल्ली के एक व्यापारी को भेजा है। इस वर्ष अभी फसल की बुआई नहीं हुई है, लेकिन पंजाब और दिल्ली के व्यापारियों के फोन आने लगे हैं। वह चाहते हैं कि यहां कुछ किसानों से सीधे संपर्क कर लहसुन की खेती कराई जाए।

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