कार्यकाल पांच साल: सवाल 11, फारूक अब्दुल्ला ने संसद में पूछे अनुच्छेद 370 से लेकर कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास जैसे प्रश्न
Jammu Kashmir News जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम डा. फारूक अब्दुल्ला ने 17वीं लोकसभा में श्रीनगर से संसद का प्रतिनिधित्व करते हैं। कश्मीरी विकास की बात करने वाले अब्दुल्ला संसद के 15 सत्रों में केवल 11 सवाल ही पूछे हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर में पहाड़ी व गोजरी भाषा के विकास जम्मू कश्मीर के विकास और कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास जैसे सवाल पूछे हैं।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीरियों के लिए मर मिटने का दावा करने वाले डा. फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) 17वीं लोकसभा में श्रीनगर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन पांच वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने 15 सत्रों में से सिर्फ 11 प्रश्न ही पूछे। इस दौरान एक भी निजी बिल पेश नहीं किया।
साल 2020 के मानसून सत्र में 90 फीसदी उपस्थिति
जबकि विभिन्न सत्रों में उनकी कुल उपस्थित मात्र 61 प्रतिशत रही है। वर्ष 2023 में संसद के विशेष सत्र में ही वह हर दिन सदन की कार्यवाही में शामिल हुए हैं। उनकी उपस्थिति शत प्रतिशत रही है। वर्ष 2022 के शीतकालीन सत्र में 92 प्रतिशत और वर्ष 2020 के मानसून सत्र में 90 प्रतिशत उपस्थिति रही है।
11 विषयों पर हुई बहस में लिया भाग
डा फारूक वर्ष 2019 के शीतकालीन सत्र, वर्ष 2020 के बजट सत्र और वर्ष 2021 के मानसून सत्र में एक बार भी सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए हैं। पांच वर्ष के दौरान ससंद की कार्यवाही में उन्हें अनुच्छेद 370 (Article 370) ,जम्मू कश्मीर में पहाड़ी व गोजरी भाषा के विकास, जम्मू कश्मीर के विकास, आग से प्रभावित हाउसबोट मालिकों के लिए मुआवजा जैसे 11 विषयों पर हुई बहस में भाग लिया है।
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अपने मौजूदा कार्यकाल में पूछे 11 सवाल
डा. फारूक ने अपने मौजूदा कार्यकाल में 11 प्रश्न पूछे हैं। इनमें 10 गैरतारांकित और एक ही तारांकित प्रश्न हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे, जेड मोड सुरंग परियोजना, झीलों के संरक्षण व कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास एवं कश्मीर में वापसी से जुड़े सवाल पूछे हैं। बता दें कि डा. फारूक श्रीनगर संसदीय क्षेत्र का संसद में चौथी बार प्रतिनिधित्व कर रह हैं।
सिर्फ भाजपा को ही लताड़ा... कश्मीर के राजनीतिक मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि डा. फारूक अब्दुल्ला अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं,लेकिन मौजूदा लोकसभा में उनके प्रदर्शन को देखकर कई सवाल पैदा होते हैं। उन्होंने एक भी निजी बिल जम्मू कश्मीर की बेहतरी के लिए नहीं लाया है। वह संसद में अपने अनुभव का प्रयोग कर जम्मू कश्मीर के विभिन्न मुद्दों को उठा सकते थे,लेकिन उन्होंने संसद के बाहर कश्मीरियों के हमदर्द होने ,भाजपा को लताड़ने के दर्जनों बयान दिए हैं,लेकिन सदन के भीतर उनका प्रदर्शन प्रभावी नहीं है।
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