Srinagar News: हिजबुल-जैश के लिए काम करने वाले चार सरकारी कर्मियों को किया बर्खास्त, आतंकियों की करते थे मदद
जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल ने शनिवार को चार और सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए नौकरी से निकाल दिया है। इसमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं जो आतंकियों के लिए हथियारों का बंदोबस्त करते थे। चारों पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों के लिए काम करते थे। बीते पांच सालों में जम्मू कश्मीर में 55 सरकारी अधिकारियों और कर्मियों को बर्खास्त किया जा चुका है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक तंत्र में छिपे बैठे आतंकियों, अलगाववादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को चार और सरकारी कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया। इनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो आतंकियों के लिए हथियारों की आपूर्ति करने के अलावा जैश और हिजबुल मुजाहिदीन के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर (मददगार) काम करते थे।
इसके साथ ही एक अन्य सरकारी अध्यापक है, जिसने जुलाई 2016 में कुलगाम में एक पुलिस स्टेशन को आग लगाने और पुलिसकर्मियों के हथियार लूटने वाली भीड़ का नेतृत्व किया था। उपराज्यपाल के नेतृत्व में प्रदेश प्रशासन बीते पांच वर्ष में 55 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर सेवामुक्त कर चुका है। इनमें डीएसपी देवेंद्र सिंह भी शामिल है, जो वर्ष 2020 में हिजबुल के आतंकी नवीद के साथ पकड़ा गया था।
चार सरकारी कर्मियों को किया सेवामुक्त
जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा का एक अधिकारी आदिल मुश्ताक भी आतंकियों की मदद के आरोप में निलंबित है। आदिल ने वर्ष 2023 को 31.65 लाख रुपये की नकदी के साथ पकड़े गए लश्कर के तीन मददगारों उमर, बिलाल और सालिक के खिलाफ जांच में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की थी। शनिवार को सेवामुक्त किए गए चार सरकारी कर्मियों में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबल अब्दुल रहमान डार और गुलाम रसूल बट के अलावा जलशक्ति विभाग में सहायक लाइनमैन अनायतुल्ला शाह पीरजादा और सरकारी शिक्षक शब्बीर अहमद वानी शामिल हैं।इन सभी को खुफिया एजेंसियों की विस्तृत जांच के बाद उपराज्यपाल ने सरकारी सेवा से मुक्त किया है। ये सभी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों के लगातार संपर्क में थे। इनके खिलाफ हिंसा, आतंकियों की मदद करने के मामलों की अदालत में सुनवाई भी जारी है।
आतंकियों के लिए सुरक्षाबलों की वर्दियों का करते थे बंदोबस्त
अधिकारियों ने बताया कि कांस्टेबल अब्दुल रहमान डार और गुलाम रसूल बट दोनों जिला पुलवामा के त्राल के रहने वाले हैं और दोनों आपस में दोस्त भी हैं। ये दोनों बड़गाम में पुलिस लाइन में तैनात रहते हुए आतंकियों के लिए हथियार व गोलाबारूद के अलावा सुरक्षाबलों की वर्दियों का भी बंदोबस्त करते थे। अब्दुल रहमान डार आतंकी संगठन अल बदर के लिए कैडर भी जुटाता था। गुलाम रसूल बट बड़गाम में पुलिस के शस्त्रागार में तैनात था और वह अब्दुल रहमान के जरिये वहां से आतंकियों के लिए हथियार का प्रबंध करता था।आतंकियों के लिए साल 2002 में पुलिस में हुआ भर्ती
आतंकियों के लिए हथियार व कैडर जुटाने वाला अब्दुल रहमान डार साल 2002 में पुलिस में भर्ती हुआ था। दक्षिण कश्मीर में आतंकियों की नर्सरी से कुख्यात त्राल, पुलवामा के रहने वाले अब्दुल रहमान डार को ट्रेनिंग के बाद पहले श्रीनगर में और उसके बाद करगिल में तैनात किया गया था। साल 2009 में उसे बडगाम में तैनात किया गया।
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