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खुशखबरी: 2.85 KM लंबी जवाहर सुरंग अपने नए रूप में फिर से तैयार, पर्यटक के लगेंगे पंख, जल्द ही फर्राटे भरेंगे यात्री

जवाहर सुरंग का नवीनीकरण पूरा हो गया है। जल्द ही यात्री इस सुरंग में फर्राटे भरते नजर आएंगे। इससे पर्यटकों के भी पंख लगेंगे। जवाहर सुरंग का नामकरण देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर किया गया है। यह सुरंग 2.85 किलोमीटर लंबी है और इसका निर्माण 1954 में जर्मनी के एक कंपनी द्वारा किया गया था।

By naveen sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 18 Nov 2024 08:22 PM (IST)
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2.85 KM लंबी जवाहर सुरंग अपने नए रूप में फिर से तैयार।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। समुद्रतल से करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जवाहर सुरंग अगले कुछ ही दिनों में अपने नए रूप में एक बार फिर यात्रियों का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाएगी। जम्मू प्रांत को कश्मीर प्रांत से अलग करने वाली पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में बनी यह सुरंग ही आजादी के बाद से वर्ष 2009 तक कश्मीर को देश के अन्य भागों से जोड़ने का एकमात्र माध्यम था।

मुगल रोड की बहाली के बावजूद 2022 तक यही सुरंग घाटी आने जाने का मुख्य मार्ग रहा है। नवयुग सुरंग के निर्माण के बाद इस सुरंग का आवाजाही के लिए प्रयोग लगभग समाप्त हो गया था। जवाहर सुंरग के नवीनीकरण की परियोजना 62.50 करोड़ रुपये की लागत से रिकॉर्ड 18 महीनों के भीतर पूरी की गई है।

2.85 किलोमीटर लंबी है सुरंग

जवाहर सुरंग का नामकरण देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर किया गया है। यह सुरंग 2.85 किलोमीटर लंबी है और इसका निर्माण 1954 में जर्मनी के एक कंपनी द्वारा किया गया था। इस काम हालांकि 1960 में पूरा हुआ था, लेकिन इसे यातायात के लिए दिसंबर 1956 में खोल गया था। जब यह सुरंग बनाई गई थी तो उस समय इसकी क्षमता प्रतिदिन 170 वाहन थी।

बनिहाल कस्बे में पहाड़ की तलहट्टी में सुरंग

समय के साथ-साथ यातायात का दबाव बढ़ता गया और इसमें एक दिन में सात हजार से ज्यादा वाहन गुजरने लगे जो इसकी निर्धारित क्षमता से कहीं ज्यादा थे।

ट्रैफिक के बढ़ते दबाव और जवाहर सुरंग की हालत काे देखते हुए पीर पंजाल में एक नयी सुरंग का निर्माण कार्य शुरू किया गया जो मौजूदा सुरंग से लगभग 400 मीटर नीचे बनिहाल कस्बे में पहाड़ की तलहट्टी में बनी है। इसे नवयुग सुरंग कहते हैं। इस सुरंग की बहाली से जवाहर सुरंग में वाहनों की आवाजाही लगभग समाप्त हो गई।

बंद होने से प्रभावित हुआ रोजगार

जवाहर सुरंग में वाहनों की आवाजाही लगभग बंद होने से कई लोगों को रोजगार प्रभावित हुआ। इसक अलावा नवयुग सुरंग में से ज्वलनशील पदार्थाें से लदे वाहनों व अन्य कुछ विशिष्ट वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है।

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सीमा सड़क संगठन को जवाहर सुरंग के जीर्णाेद्धार का जिम्मा सौंपा। सीमा सड़क संगठन को निर्देश दिया गया कि वह जवाहर सुरंग को सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही के लिए एक सुरक्षित सुरंग मार्ग के रूप में विकसित करें बल्कि इसे पर्यटन की दृष्टि से भी तैयार करें।

सुरंग के भीतर तारों को ही आधा अधूरा हटाया था

सीमा सड़क संगठन के अनुसार, नवयुुग सुरंग के निर्माण को देखते हुए वर्ष 2021 में ही जवाहर सुरंग को एक स्मार्ट और इंटेलीजेंट टन्नल के रूप मे विकसित करने की 80 करोड़ रुपये की परियोजना बनाई गई। कुछ समय बाद इसका टेंडर जारी कर, बीसीसी को यह काम सौंपा गया।

उसे एक वर्ष में यह काम पनूा करना था, लेकिन काम आबंटित होने के छह माह बाद तक कंपनी मात्र तीन प्रतिशत भी काम पूरा नही कर पाई थी। उसने सिर्फ सुरंग के भीतर तारों को ही आधा अधूरा हटाया था।

सीमा सड़क संगठन ने उसका टेंडर रद कर दिया और कुछ समय के लिए परियोजना भी स्थगित हो गई। बाद में सीमा सड़क संगठन ने यह काम सीमा सड़क कार्य बल बीआरटीएपु को सौंपा।

सुरंग के भीतर बनी सड़क हो गई थी खराब

बीआरटीएफ की 760वीं वाहिनी के कमांडर अमिय श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2010 में जवाहर सुरंग की बड़े पैमाने पर मुरम्मत और इसके नवीनीकरण की जरुरत को महसूस किया गया।जवाहर सुरंग की दोनों ट्यूबों में रिसाव हो रहा था।

सुरंग के भीतर बनी सड़क इससे पूरी तरह से खराब हो गई थी। इसके अलावा क्षमता से कहीं ज्यादा वाहनों की आवाजाही के कारण सुरंग के भीतर जमा होने वाला धुआं भी एक बड़ा संकट बन रहा था। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए और सुरंग को पूरी तरह अत्याधुनिक बनाने के लिए डीपीआर तैयार की गई।

इसमें सुरंग का उन्नयन, सुरक्षा, निगरानी और सुरंग के भीतर गतिशीलता को उन्नत बनाना मख्य िबिंदु रखे गए। उन्होंने बताया कि बीआरटीएफ ने जुलाई 2023 में नवीनीकरण का जिम्मा संभाला। दोनों टयूबों की सतह कंक्रीट बिछाया गया है।

इसके अलावा जल रिसाव की समस्या को हल किया गया है और सुरंग में जिन हिस्सों में रिसाव है,वहां से पानी को एक ही जगह जमा कर,उसकी निकासी के लिए एक नाली तैयार की गई है। सुरंग के भीतर हवा की आवाजाही और धुंएं की निकासी के लिए उच्च क्षमता वाले अत्याधुनिक जेट पंखे लगाए गए हैं।

सुरंग के भीतर चौबीस घंटे प्रकाश व्यवस्था की गई है। सुरंग के भीतर से गजरने वाले प्रत्येक वाहन की लगातार निगरानी का तंत्र तैयार किया गया है। इसके अलावा सुरंग के भीतर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन मार्ग भी बनाया गया।

उन्होंने बताया कि जवाहर सुरंग के दोनों तरफ व्यू प्वायंट औा सेल्फी प्वायंट भी विकसित किए गए हैं। जवाहर सुरंग के आस पास के इलाके को पर्यटन के लिहाज से विकसित कर, आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि रोमांच के शौकीन पर्यटक इस सुरंग का प्रयोग जरुर करेंगे। इसके अलावा यह नवयुग सुरंग के विकल्प के रूप में भी काम करेगी।

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