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Jammu News: हड़ताल या प्रदर्शन किया तो नपेंगे सरकारी कर्मचारी, कांग्रेस ने सरकार के आदेश को बताया तानाशाही

जम्मू में सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के हड़ताल या प्रदर्शन करने पर उनके खिलाफ अनुशासनहीनता और कदाचार के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं सरकार के जारी इस आदेश को कांग्रेस और माकपा ने गलत करार दिया है। कांग्रेस ने सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर कार्रवाई के आदेश को तानाशाही बताया। वहीं माकपा ने इसे लोकतांत्रिक उल्लंघन (Democratic Violation) बताया है।

By naveen sharmaEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Fri, 03 Nov 2023 10:21 PM (IST)
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हड़ताल या प्रदर्शन किया तो नपेंगे सरकारी कर्मचारी।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में अब सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते। अगर करेंगे तो नपेंगे और उनके खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई होगी। उनकी नौकरी भी जा सकती है। प्रदेश प्रशासन ने शुक्रवार को सेवा नियमों का हवाला देते हुए इस आशय का एक आदेश जारी कर दिया है। इससे पहले जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने सभी अधिकारियों व कर्मियों के इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल संबंधी नियम स्पष्ट करते हुए, सरकारी नीतियों-निर्णयों की आलोचना करने पर रोक लगाई है। ।

महाप्रशासनिक विभाग में अतिरिक्त सचिव रोहित शर्मा द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ कर्मचारी अपनी मांगों विशेष के समर्थन में हड़ताल और प्रदर्शन कर रहे हैं, करने की तैयारी में हैं। इसलिए सभी को जम्मू कश्मीर कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम, 1971 के नियम 20 (ii) के बारे में सचेत किया जाता है।

इसके अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा से संबंधित किसी भी मामले के संबंध में या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी, सरकारी विभाग और कर्मचारी संगठन से जुड़े मामले में किसी भी प्रकार की हड़ताल का सहारा नहीं लेगा और न किसी को हड़ताल या प्रदर्शन के लिए उकसाएगा।

हड़ताल या प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई

इस नियम के सभी प्रविधान लागू कर दिए गए हैं और अब वह केवल घोषणात्मक प्रकृति के नहीं है। इसीलिए अगर कोई कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन या इन जैसी कोई अन्य गतिविधि में लिप्त पाया जाता है तो निश्चित रूप से उसके खिलाफ संबधित सेवा नियमों के तहत कठोर कार्रवाई होगी।

सभी प्रशासनिक सचिवों से अनुरोध है कि वह अपने संबंधित विभागों में कर्मचारियों को ऐसे सभी अनावश्यक प्रदर्शनों और हड़तालों से दूर रहने के लिए निर्देश दें। उनका हड़ताल और प्रदर्शन में भाग लेना गंभीर अनुशासनहीनता और कदाचार है। अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी प्रदर्शनों-हड़तालों के आयोजन में लिप्त है या उनमें भाग लेता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

माकपा ने लोकतांत्रिक अधिकारों का बताया उल्लंघन

माकपा नेता मोहम्मद युसुफ तारीगामी ने कहा कि सरकार का कर्मचारियों के हड़ताल और प्रदर्शन पर रोक लगाना लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह तानाशाही है। इससे पहले यहां प्रदेश सरकार ने सरकाीर अधिकारियों और कर्मचारियों को इंटरनेट मीडिया पर सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने पर रोक लगाई थी, अब उन्हें अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल और प्रदर्शन के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र नहीं तानाशाही का आलम है।

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कांग्रेस ने आदेश को बताया तानाशाही

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हरेक आदमी मौजूदा हालात से तंग आ चुका है। सरकारी कर्मचारियों के साथ किए गए वादों, उनके मुद्दों के समाधान में भी सरकार विफल रही है। कई सरकारी विभागों में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है।

सरकार डरी हुई है कि अगर सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले तो उसने जो जम्मू कश्मीर में हालात के सामान्य होने का, यहां विकास और खुशहाली का जो गुब्बारा फुला रखा है, उसकी हवा निकल जाएगी। इसलिए उनके हड़ताल और धरने प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए यह तानाशाहीपूर्ण आदेश जारी किया गया है। इस आदेश को जारी कर सरकार ने खुद मान लिया है कि जम्मू कश्मीर में वह विफल हो चुकी है।

गवर्नमेंट इंप्लायज जायंट फोरम के सुरेश शर्मा ने कहा कि सरकार के इस आदेश से कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार का काम है वह आदेश जारी करे। सरकारी कर्मचारी या अधिकारी की सरकार से कोई लड़ाई नहीं है,वह तभी सड़क पर उतरता है जब उसके हितों की अनदेखी होती है।

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