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Gulmarg Terrorist Attack: 'पापा कहां गए? तुम्हारे लिए मिठाई लाने...', पोते को दिलासा देते रहे बलिदानी जवान के पिता

गुलमर्ग आतंकी हमले में शहीद हुए तीनों सैनिकों के परिवारों में मातम पसरा हुआ है। नौशहरा के मुश्ताक अहमद चौधरी और बरनाटे बोनियार उड़ी के जहूर अहमद मीर के पार्थिव शरीर शुक्रवार को उनके घर पहुंचे। दोनों ही सेना में कुली (पोर्टर) थे। सरकार ने दोनों के परिवारों को छह-छह लाख रुपये की मुआवजा राशि दी है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 26 Oct 2024 03:05 PM (IST)
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Gulmarg Terrorist Attack: पोते को दिलासा देते रहे बलिदानी जवान के पिता।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। गुलमर्ग आतंकी हमले में मारे गए सेना के पोर्टर (कुली) मुश्ताक अहमद चौधरी के बुजुर्ग पिता 24 अक्टूबर की रात से सदमे में हैं, जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। आतंकी हमले में वह देश के लिए बलिदान हो गया।

उनका तीन साल का मासूम पोता दादा का चेहरा ताक रहा था। खुद को किसी तरह संभालते हुए वह पोते से बोले, ‘तुम्हारे पिता तुम्हारे लिए मिठाई लेकर आएंगे।’

मुश्ताक की पत्नी ने फोन पर हुई बात के बारे में अब्बा से पूछा कि मुश्ताक कब आएगा? जवाब मिला, ‘अब उसका फोन नहीं आएगा, वही आएगा।’

अपने शौहर की अंतिम विदाई के वक्त फूट-फूटकर रो रही मुश्ताक की पत्नी बार-बार कह रही थी कि अब्बा ने यह क्यों नहीं बताया कि वह (मुश्ताक) किसी के कंधे पर आएगा। इस आतंकी हमले में तीन बलिदानियों को सैकड़ों नम आंखों के बीच पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

गंवाई बुढ़ापे की लाठी

किसी ने अपने बुढ़ापे की लाठी गंवाई तो किसी ने पूरी दुनिया कदमों में लाकर रख देने वाला अपना पति खोया। एक बात साझा थी, तीनों बलिदानी एक ही जगह बोटापथरी गुलमर्ग में गुरुवार को आतंकी हमले में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

शुक्रवार को दोपहर बाद उड़ी में एलओसी के साथ सटे नौशहरा के रहने वाले बलिदानी मुश्ताक अहमद चौधरी और बरनाटे बोनियार उड़ी के जहूर अहमद मीर के पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटे हुए उनके घर पहुंचे। यह दोनों ही सेना में कुली (पोर्टर) थे।

पापा कहां गया है...

नौशहरा और बरनाटे में इन दोनों के बलिदान होने की खबर मिलने के बाद से ही मातम पसरा हुआ था। बारामुला जिला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर नौशहरा में मुश्ताक अहमद चौधरी की बिलखती पत्नी को देखकर शायद ही कोई था, जिसकी आंख ना भर आई हों। वह कह रही थी कि मैं अपने बेटे को क्या बताऊं कि पापा कहां गया है? मुश्ताक के पि ने बताया कि उसका बेटा मात्र तीन साल का है।

खुद बीमार हूं, 15 हजार की दवाई लेता हूं

मैं तो उसे कह रहा था कि तुम्हारा पापा तुम्हारे लिए मिठाई लेकर आएगा। अब आप मुझे बताओ कि मैं अपने पोते को क्या कहूंगा। वह हमारे घर का अकेला कमाने वाला था। मैं खुद बीमार हूं, 15 हजार रुपये की दवाई लेता हूं। वही मेरे बढ़ापे की लाठी था।

बलिदानी मुश्ताक के पड़ोसी ने इकबाल ने कहा कि हमें तो यह फिक्र है कि इस परिवार का क्या होगा। बुजुर्ग मां-बाप, बीबी और तीन साल का बेटे की कौन देखभाल करेगा। सरकार को चाहिए कि वह इनके लिए कोई पेंशन की सुविधा दे।

मुश्ताक ने जल्दबाजी में फोन कर मां-बेटे का जाना था हाल

मुश्ताक की पत्नी ने बताया कि उसके शौहर ने उसे गुरुवार की दोपहर एक बजे फोन किया था। उसने पूछा था कि बच्चा कैसा है। मां का हाल जाना था। उसने बताया था कि इस समय वह जल्दी में है, इसलिए लंबी बात नहीं होगी। उसने फोन काट दिया। उसके बाद उसने दो घंटे बाद अब्बा को फोन किया था।

अब्बा से भी उसने कुछ ही देर बात की थी। मैंने जब उसे फोन किया तो बंद था। रात को अब्बा को फोन आया। मैंने जब अब्बा का पूछा कि मुश्ताक कब आएगा तो अब्बा ने बताया कि अब उसका फोन नहीं आएगा, वही आएगा। मुझे अब्बा ने यह क्यों नहीं बताया कि वह किसी के कंधे पर आएगा?

सेना में भर्ती नहीं हो पाया तो पोर्टर बन गया था जहूर

नौशहरा से कुछ ही दूरी पर स्थित बरनोट में जहूर अहमद मीर का पार्थिव शरीर जैसे ही उसके घर पहुंचा, कोहराम मच गया। उसके परिजनों को संभालना मुश्किल हो गया। पड़ोसियों के लिए उसकी मां को दिलासा देना भारी पड़ रहा था।

उसके एक करीबी रिश्तेदार ने कहा कि जहूर बहुत बहादुर और मां-बाप की हर बात मानने वाला बेटा था। उसे फौजी बनने का शौक था, लेकिन भर्ती नहीं हो पाया तो सेना के साथ कुली बन गया। वह कहता था कि सेना के साथ कुली बन गया हूं। वह अपने घर का अकेला कमाने वाला था।

जहूर-मुश्ताक के परिवार को छह-छह लाख की मदद

गुलमर्ग आतंकी हमले में बलिदान हुए सैन्य कुलियों के परिवार को प्रदेश प्रशासन ने शुक्रवार को छह-छह लाख रुपये की मुआवजा राशि भेंट की है।

बारामुला के जिला उपायुक्त मिंगा शेरपा स्वयं बलिदानियों के घर गए और उनके स्वजन को सहायता राशि का चेक दिया। उन्होंने परिवारों को यकीन दिलाया कि प्रशासन उनकी हर संभव मदद करेगा।

जनाजे में शामिल आसपास के लोग

दक्षिण कश्मीर के शांगस अनंतनाग बलिदानी राइफलमैन कैसर अहमद शाह का नमाज-ए-जनाजा ईदगाह वनिगाम में अदा किया गया। उसके जनाजे में वनिगाम में ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के रहने वाले भी शामिल हुए।

स्थानीय विधायक रियाज अहमद खान, सेना की 19 आरआर के कमांडिंग अधिकारी, एसएसपी अनंतनाग फुरकान कादिर आिद ने पुष्पचक्र भेंट किए।

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