संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए आयु सीमा बढ़ने से खुशी, प्रीलिम्स स्थगन से विद्यार्थियों में निराशा
जम्मू कश्मीर में संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए आयु सीमा में छूट बढ़ाने के फैसले से कई उम्मीदवारों को फायदा होगा लेकिन अंतिम समय में प्रारंभिक परीक्षाओं को स्थगित करने से तैयारी कर रहे विद्यार्थियों का मनोबल प्रभावित हुआ है। हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और देखेंगे कि सरकार को इस स्थिति से कैसे निपटना चाहिए। जानिए अब कितनी एज होगी।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए आयु सीमा में छूट बढ़ाने के फैसले से निश्चित रूप से कई उम्मीदवारों को लाभ होगा, लेकिन अंतिम समय में प्रारभिक परीक्षाओं को स्थगित करने से पहले से तैयारी में जुटे विद्यार्थियों के मनोबल पर भी असर पड़ता है।
वह भी जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेश में जहां पर नियमित रूप से प्रशासनिक सेवाओं के लिए कभी भी परीक्षा नहीं हुई। कभी आतंकवाद तो कभी कानूनी कारणों के चलते यहां पर जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवाओं के लिए हर वर्ष परीक्षा संभव नहीं हो पाई है।
पहले 40 वर्ष थी आयु
हालांकि कुछ वर्ष से जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग ने परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रयास जरूर किए हैं। जम्मू-कश्मीर में पूर्व में परीक्षा देने के लिए आयु सीमा चालीस वर्ष थी। बाद में इसे घटाकर पहले 35 तो फिर 32 वर्ष कर दिया गया।नई सरकार ने अपने घोषणापत्र में भी आयु सीमा को बढ़ाने का आश्वासन दिया था। यह देखने में आया है कि सरकार के गठन के बाद से ही उन सभी मुद्दों को प्राथमिकता दी जा रही है जो कि सीधे जनता से जुड़े हैं।
लोगों को मिलेगी निशुल्क बिजली
चाहे वे शीतकालीन क्षेत्रों में शैक्षिक सत्र हो या फिर लोगों को निशुल्क बिजली देने का वायदा। सभी वायदों पर उमर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। प्रशासनिक सेवाओं के लिए संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा भी ऐसा ही एक मुद्दा है जो कि युवाओं के साथ जुड़ा है।लेकिन सरकार को इसी वर्ष से फैसला लागू करने से पहले यह भी सोचना चाहिए था कि प्रारभिक परीक्षा के लिए मात्र एक सप्ताह का ही समय रह गया है।
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