J&K की सभी 14 जेलों में लगेगा हार्मोनियस कॉल ब्लाॅकिंग सिस्टम, आतंकी अब नहीं चला सकेंगे अपना नेटवर्क
जम्मू कश्मीर की जेलों में कैद आतंकी अब अपना नेटवर्क नहीं चला पाएंगे। अगर कैदी आतंकी किसी तरह मोबाइल फोन हासिल कर भी लेंगे तब भी उन्हें अपने नेटवर्क से संपर्क करने के लिए सिग्नल ही नहीं मिलेगा।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर की जेलों में कैद आतंकी अब अपना नेटवर्क नहीं चला पाएंगे। अगर कैदी आतंकी किसी तरह मोबाइल फोन हासिल कर भी लेंगे तब भी उन्हें अपने नेटवर्क से संपर्क करने के लिए सिग्नल ही नहीं मिलेगा। जेलों में अब न तो बाहर से कोई अनाधिकृत मोबाइल फोन सिग्नल आएगा और न अंदर से कोई सिग्नल बाहर जाएगा।
सभी 14 जेलों में हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम लगेगा
प्रदेश की सभी 14 जेलों में हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम (टी-एचसीबीएस) लगाया जाएगा। इस पूरी परियोजना के कार्यान्वयन पर 21.26 करोड़ का खर्च किए कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि वित्त विभाग ने काल ब्लॉकिंग सिस्टम लगाने के लिए आवश्यक धनराशि जारी करने की सहमति दे दी है। इसके आधार पर जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।
पुरान टेलीफोन जैमर नहीं रोक पाते काॅल
उन्होंने बताया कि प्रदेश की जेलों में पहले से ही टेलीफोन जैमर हैं, लेकिन वह लगातार बदलती तकनीक में कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा उनके रखरखाव का खर्च भी ज्यादा है। आजकल आतंकी व उनके मददगार स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते हैं। रोज नए मोबाइल ऐप तैयार हो रहे हैं और इंटरनेट मीडिया पर आपसी बातचीत मौजूदा जैमर नहीं रोक पाते।
नए 2जी और 5जी सिग्नल करेगा ब्लॉक
जेलों में बंद आतंकी व अन्य अपराधी अक्सर किसी न किसी तरीके से फोन हासिल कर लेते हैं। इसका इस्तेमाल से वह जेल से बाहर अपने हैंडलरों और ओवरग्राउंड वर्करों से संपर्क कर लेते हैं। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश की 14 जेलों में जो टी-एचसीबीएस लगाया जाएगा वह 2जी से लेकर 5जी सिग्नल को पूरी तरह ब्लाक करने में समर्थ है। इससे आतंकियों के लिए स्मार्ट फोन या किसी अन्य फोन का इस्तेमाल करना असंभव हो जाएगा।
एसएमएस व डाटा सेवा को भी रोकेगी
इस प्रणाली के स्थापित होने के बाद जेल में कोई भी अनाधिकृत फोन नहीं चलेगा, सिर्फ वही फोन इस्तेमाल हो पाएंगे जिनकी अनुमति होगी। यह प्रणाली मोबाइल फोन पर एसएमएस व डाटा सेवा को भी रोकेगी। इतने रकम लगेगी 21.26 करोड़ रुपये कुल खर्च होंगे टी-एचसीबीएस स्थापित करने में 19.04 करोड़ रुपये एक ही बार में उपकरणों की खरीद व स्थापना पर खर्च होंगे 1.76 करोड़ रुपये वार्षिक तौर पर सेवा प्रदाताओं की ढांचागत सुविधा पर खर्च होंगे 56 लाख रुपये प्रतिवर्ष टावरों की देखरेख व अन्य गतिविधियों में लगाए जाएंगे