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Jammu Kashmir News: गृह मंत्रालय ने बढ़ाई उपराज्यपाल की ताकत, विधानसभा गठन के बाद भी रहेंगी ये अहम शक्तियां

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने उपराज्यपाल को अधिक शक्ति देने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन किया। एमएचए ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है जिसमें एलजी को अधिक शक्ति देने वाली नई धाराएं शामिल की गई हैं। जम्मू-कश्मीर में इसी वर्ष 30 सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव करवाए जाने की संभावना है।

By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Updated: Sat, 13 Jul 2024 12:27 PM (IST)
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गृह मंत्रालय ने बढ़ाई उपराज्यपाल की ताकत (फाइल फोटो)।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा (विस) के गठन के बाद भी उपराज्यपाल के पास ही पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो से संबंधित अंतिम निर्णय लेने का अधिकार रहेगा। प्रशासनिक सचिवों की नियुक्ति और स्थानांतरण पर भी उपराज्यपाल की सहमति आवश्यक होगी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र सरकार, कार्य संचालन नियम, 2019 में संशोधन कर उपरोक्त अधिकार व शक्तियां उपराज्यपाल को प्रदान की हैं। जम्मू-कश्मीर में इसी वर्ष 30 सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव करवाए जाने की संभावना है। चुनाव आयोग ने भी इस संदर्भ में अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर में भी दिल्ली जैसी व्यवस्था

राजनीतिक दलों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर रखी है और सभी चुनाव की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में इस कदम से जम्मू-कश्मीर में भी दिल्ली जैसी व्यवस्था हो सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्रशासनिक सचिवों, अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की नियुक्तियों व स्थानांतरण और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के संवर्ग पदों से संबंधित विषयों के संबंध में सभी प्रस्ताव महाप्रशासनिक विभाग के प्रशासनिक सचिव को मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।

ऐसे किसी प्रस्ताव पर तब तक सहमति नहीं दी जाएगी या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि उसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा गया है।

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ये किए गए हैं संशोधन

  • महाधिवक्ता और न्यायालय कार्यवाहियों में महाधिवक्ता की सहायता करने के लिए अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के माध्यम से ही उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करना होगा।
  • अभियोजन स्वीकृति देने, अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
  • कारागार, अभियोजन निदेशालय और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के संबंध में प्रस्ताव भी मुख्य सचिव के माध्यम से गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।
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