राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला का दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना पूरी तरह तय हो चुका है, लेकिन उनके समक्ष पहली चुनौति अपने मंत्रिमंडल को तय करने की रहेगी। पांच अगस्त 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर में जहां मंत्रिमंडल 20-25 तक केबिनेट और राज्यमंत्री होते थे।
वहीं अब यह संख्या सिर्फ 10 तक सीमित है। ऐसे में अपने पार्टीजनों के संतुष्ट करने के साथ-साथ गठबंधन में भागीदार कांग्रेस और सरकार बनाने के लिए समर्थन दे रहे निर्दलियों के लिए मंत्रिमंडल में स्थान सुनिश्चित करना उनके लिए आसान नहीं होगा।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के मुताबिक, केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में विधानसभा के सदस्यों की संख्या का केवल 10 प्रतिशत ही मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। जम्मू कश्मीर विधानसभा में नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस और माकपा गठबंधन के पास कुल 49 सदस्य हैं।
इनमें नेशनल कान्फ्रेंस के 42, माकपा का एक और कांग्रेस के छह विधायक हैं। इसके अलावा पांच निर्दलीय भी नेशनल कान्फ्रेंस को समर्थन दे रहे हैं।
कोई भी गैर मुस्लिम विधायक नहीं
नेशनल कान्फ्रेंस ने जम्मू प्रांत में सात सीटें जीती हैं और उनमें से सिर्फ दो सुरिंदर चौधरी व अर्जुन सिंह ही गैर मुस्लिम हैं। कांग्रेस ने जम्मू प्रांत में एक ही सीट जीती है और उसके पास कोई भी गैर मुस्लिम विधायक नहीं है। माकपा नेता मोहम्मद युसुफ तारीगामी ने हालांकि खुद स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन उनके करीबियों के अनुसार वह गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे। वह पहले भी कांग्रेस-पीडीपी और नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार को समर्थन दे चुके हैं, लेकिन उन्होंन कभी मंत्रीपद स्वीकार नहीं किया है।
शमीमा फिरदौस लगातार तीसरी बार विधाायक बनी
इसके अलावा नेशनल कान्फ्रेंस के विजयी रहे उम्मीदवारों में पूर्व वित्तमंत्री अब्दुल रहीम राथर, पूर्व समाज कल्याण मंत्री सकीना मसूद, पूर्व स्पीकर मुबारक गुल,पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री अली मोहम्मद सागर, पूर्व डिप्टी स्पीकर नजीर गुरेजी, पूर्व मंत्री जावेद डार, पूर्व मंत्री कैसर जमशीद लोन और पूर्व मंत्री सैफुल्लाह मीर के नाम उल्लेखनीय हैं।
इसके अलावा हब्बाकदल से निर्वाचित शमीमा फिरदौस लगातार तीसरी बार विधाायक बनी हैं। उनके अलावा कंगन से निर्वाचित मियां मेहर अली भी हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के विधायकों में पूर्व मंत्री गुलाम हसन मीर, पूर्व मंत्री पीरजादा मोहम्मद सइ्रद, पूर्व वित्तमंत्री तारिक हमीद करा और पूर्व डिप्टी स्पीकर निजामदीन बट शामिल हैं।
उमर अब्दुल्ला की राह आसान नहीं
इनके अलावा नेकां कुछ अन्य विधायक पहले दूसरी और तीसरी बार चुने गए हैं या फिर उन क्षेत्रों से आए हैं, जहां नेशनल कान्फ्रेंस 1996 के बाद पहली बार जीती है। मौजूदा परिस्थितियों में उमर अब्दुल्ला के लिए मंत्रिमंडल को तय करना कोई आसान कार्य नहीं है।
उनके लिए सबसे ज्यादा मुश्किल सांबा,कठुआ,जम्मू और उधमपुर को अपने मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने की चुनौति है। इन चारों जिलों में कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस को हार का मुंह देखना पड़ा हैद्ध वह इस पूरे क्षेत्र की उपेक्षा भी नहीं कर सकते।
मुख्यमंत्री के अलावा 9 मंत्री ले सकते हैं शपथ
ऐसी स्थिति में छंब से निर्वाचित निर्दलीय सतीश शर्मा या बनी से निर्वाचित निर्दलीय रामेश्वर सिंह में से वह किसी एक को अपनी मंत्रिमंडल में स्थान देने का प्रयास करेंगे।
यह दोनों गठबंधन सरकार को समर्थन दे रहे हैं। जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार सैयद अमजद शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में 90 निर्वाचित और पांच नामित सदस्यों के आधार पर 95 सदस्य होंगे। इसलिए मुख्यमंत्री के अलावा नौ ही मंत्री और बन सकते हैं।इसलिए उमर के लिए पहला इम्तिहान तो मंत्रिमंडल का गठन है। वह कैसे सभी को संतुष्ट कर, नौ मंत्री तय करते हैं, यह उनकी राजनीतिक परिपक्वता, सूझबूझ और पार्टी पर उनकी पकड़ को दर्शाएगा। निर्दलीय तो इनाम की उम्मीद में ही सत्ताधारी दल के साथ जाएंगे।
जम्मू प्रांत से भी लेंगे 5 मंत्री
कांग्रेस की कोशिश होगी कि मंत्रिमंडल में उसके तीन सदस्य शामिल होंगे। अगर इस पर बात नही बनी तो वह चाहेगी कि कम से कम दो मंत्री कांग्रेसी हों। इससे कम पर वह शायद न माने।दूसरी तरफ उमर अब्दुल्ला के लएि अपनी पार्टी में बुजुर्गों के साथ साथ नए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की चुनौति होगी। वह मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय संतुलण को बनाए रखने के लिए पांच मंत्री जम्मू प्रांत से लेंगे।
अगर वह किसी निर्दलीय को शामिल नहीं करते हैं तो वह नौशहरा से निर्वाचित सुरिंदर चौधरी और रामबन से निर्वाचित अर्जुन सिंह को स्थान दे सकते हैं।वह कांग्रेस को डिप्टी स्पीकर के पद के अलावा मंत्रिमंडल उसके एक या दो सदस्य शामिल कर सकते हैं। उनके मंत्रिमंडल में अब्दुल रहीम राथर जरूर रहेंगे, अली मोहम्मद सागर के बजाय व उनके पुत्र सलमान सागर को शामिल कर सकते हैं।
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