आतंकियों पर प्रहार के लिए अब बर्फ गिरने का इंतजार नहीं, सुरक्षाबलों ने शुरू किया 'खोजो और मारो' अभियान
जम्मू-कश्मीर पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी के अनुसार आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति में व्यापक बदलाव किया है। उन्होंने बताया कि पहले सुरक्षाबल पहाड़ों पर बर्फ गिरने का इंतजार करते थे और जैसे ही आतंकी नीचे आते थे मारे जाते थे। लेकिन अब सुरक्षाबलों ने खोजो और मारो अभियान की शुरुआत की है।
By naveen sharmaEdited By: Rajat MouryaUpdated: Thu, 05 Oct 2023 08:52 PM (IST)
श्रीनगर, नवीन नवाज। जम्मू-कश्मीर में फिर से सक्रिय हो रहे आतंकियों को अब उनकी मांद में ही घेरकर मारा जाएगा। सुरक्षाबलों ने एक बार फिर 'खोजो और मारो' (सीक एंड डिस्ट्रॉय) की रणनीति को लागू करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही एलओसी पर घुसपैठरोधी तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही प्रदेश के भीतरी इलाकों में विशेषकर उच्च पर्वतीय इलाकों और जंगलों के साथ सटी बस्तियों में गुरिल्ला युद्ध में पारंगत सेना और अर्धसैनिक बलों की विशिष्ट टुकड़ियों को तैनात किया जा रहा है। वादी के भीतरी इलाकों में सेना की राष्ट्रीय राइफल्स की तैनाती में कटौती की योजना को भी फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में करीब 120 आतंकी सूचीबद्ध हैं, जिन्हें उनकी गतिविधियों के आधार पर ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया है। सूचीबद्ध आतंकियों के अलावा भी कुछ और आतंकी सक्रिय हो सकते हैं। सूचीबद्ध आतंकियों में से करीब 90 आतंकी दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम और शोपियां के अलावा जम्मू प्रांत के राजौरी, पुंछ और रियासी व रामबन के उन्हीं हिस्सों में सक्रिय हैं, जो पीरपंजाल की पहाड़ियों के साथ सटे हैं या फिर जहां घने जंगल और नाले हैं। इन इलाकों में सक्रिय 90 आतंकियों में 60 आतंकियों के विदेशी होने का दावा किया जाता है और यह सभी गुरिल्ला युद्ध में पूरी तरह प्रशिक्षित बताए जाते हैं।
उच्च पदस्थ अधिकारियों ने बताया कि राजौरी-पुंछ, रियासी और अनंतनाग-कुलगाम में बीते एक वर्ष के दौरान हुई विभिन्न आतंकी घटनाओं का आकलन किया गया है। गडोल कोकरनाग में बीते माह एक सप्ताह तक चली मुठभेड़ और राजौरी के तत्तापानी इलाके में जारी सैन्य अभियान का भी जायजा लिया गया है। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों पर आतंकियों ने जहां भी कोई बड़ा हमला किया है, वह हमेशा आबादी से दूर का इलाका रहा है, जहां आस-पास जंगल, पहाड़ या नाला है।
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आतंकियों ने पहाड़ी इलाकों और जंगलों में बनाए ठिकाने
अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने शहरी इलाकों में सुरक्षाबलों पर बीते तीन वर्ष के दौरान नाममात्र ही हमले किए हैं। आतंकियों ने आबादी वाले इलाकों में मुख्यत: टारगेट किलिंग की घटनाओं केा ही अंजाम दिया है। विदेशी आतंकियों ने अपने स्थानीय कैडर व ओवरग्राउंड वर्करों की मदद से पहाड़ी इलाकों और जंगलों में अपने ठिकाने बनाए हैं। इसकी पुष्टि गत माह गडोल में हुई मुठभेड़ के अलावा बीते सप्ताह मच्छल के पोशमर्ग इलाके में पकड़े गए आतंकी ठिकाने से भी हुई है। इसके अलावा त्राल के नागबल जंगल में भी दो ठिकाने मिले हैं।सुरक्षाबलों ने बदली अपनी रणनीति
आतंकरोधी अभियानों में भाग ले रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस में एसएसपी रैंक के एक अधिकारी के अनुसार, आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति में व्यापक बदलाव किया है। उन्होंने बताया कि पहले सुरक्षाबल पहाड़ों पर बर्फ गिरने का इंतजार करते थे और जैसे ही आतंकी नीचे आते थे मारे जाते थे। उपलब्ध सूचनाओं के मुताबिक, आतंकी अब अपने ठिकानों से बाहर तभी निकल रहे हैं जब उन्हें हमला करना होता है।
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