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Kashmir University टीचर्स एसोसिएशन की कुंडली खंगाल रही खुफिया एजेंसियां, ISI से तार जुड़े होने की आशंका

कूटा से संबंधित रहे कश्मीर विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसरों समेत छह कर्मियों को पहले ही सरकार द्वारा उनकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आधार पर सेवामुक्त किया जा चुका है। इनमें केमिस्ट्री विभाग के प्रो. अल्ताफ हुसैन पंडित भी शामिल हैं। उन्हें मई 2022 में सेवामुक्त किया गया था। वह वर्ष 2010-12 के दौरान कूटा के कार्यकारी सदस्य रहे और उसके बाद वर्ष 2018-19 के दौरान इसके उपाध्यक्ष थे।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Fri, 01 Sep 2023 06:30 AM (IST)
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Kashmir University टीचर्स एसोसिएशन की कुंडली खंगाल रही खुफिया एजेंसियां

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर: कश्मीर विश्वविद्यालय में अलगाववादी और आतंकी पारिस्थितिक तंत्र को कथित तौर पर तैयार करने वाली कश्मीर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (कूटा) की कुंडली भी खुफिया एजेंसियों ने खंगालना शुरू कर दी है।

कूटा के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के साथ तार जुड़े होने की आशंका भी जताई जा रही है, क्योंकि कूटा के एक पदाधिकारी जो कश्मीर विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष भी रहे हैं, ने अमेरिकी नागरिक ग्राहम को गेस्ट लेक्चरर नियुक्त किया था। ग्राहम को कथित तौर पर आइएसआइ का एजेंट बताया जाता है।

कई कर्मी पहले किए जा चुके सेवामुक्त

कूटा से संबंधित रहे कश्मीर विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसरों समेत छह कर्मियों को पहले ही सरकार द्वारा उनकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आधार पर सेवामुक्त किया जा चुका है। इनमें केमिस्ट्री विभाग के प्रो. अल्ताफ हुसैन पंडित भी शामिल हैं। उन्हें मई 2022 में सेवामुक्त किया गया था।

वह वर्ष 2010-12 के दौरान कूटा के कार्यकारी सदस्य रहे और उसके बाद वर्ष 2018-19 के दौरान इसके उपाध्यक्ष थे। वह अक्सर कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववाद को सही ठहराते हुए छात्रों को देश के खिलाफ हथियार उठाने के लिए उकसाते थे।  सूत्रों ने बताया कि खुफिया एजेंसियां कूटा द्वारा वर्ष 2016 के दौरान अपनी निधियों का कुछ हिस्सा आतंकियों और उनके समर्थकों को भी स्थानांतरित किया गया है।

कूटा के जिस पदाधिकारी ने संगठन का पैसा कथित तौर पर आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों के लिए दिया, उसने ही सभी निर्धारित नियमों की अवहेलना कर और प्रशासकीय विभाग की अनुमति लिए बगैर एक अमेरिकी जेरेमिया डी ग्राहम को गेस्ट लेक्चरर नियुक्त किया था। जेरेमिया डी ग्राहम ने कथित तौर पर जनवरी-फरवरी 2022 के दौरान कश्मीर विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिए हैं।

उसने वीजा नियमों का भी उल्लंघन किया था और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने जब उसकी गतिविधियों के बारे में अलट जारी किया तो वह अचानक गायब हो गया। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने बीते वर्ष उसकी गतिविधियों के संदर्भ में कश्मीर विश्वविद्यालय से ब्योरा भी तलब किया था।

जेरेमिया डी ग्राहम ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर में देश द्वारा बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन करने और कश्मीरियों को बाने के आरोप लगाए हैं।  मामले की जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार कूटा के विभिन्न पदाधिकारियों की गतिविधियों और पृष्ठभूमि की गहन जांच की जा रही है। उसके एक वरिष्ठ पदाधिकारी की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के बारे में सभी आवश्यक सुबूत जमा किए गए हैं।

कूटा के कुछ पदाधिकारियों और सदस्यों ने जो कभी कट्टर अलगाववादी विचारधारा के समर्थक थे, बीते कुछ समय से खुद को अलगाववादी तत्वों से पूरी तरह से अलग थलग रख रहे हैं, ताकि जांच से बच सकें। इनमें से कई अब कश्मीर विश्वविद्यालय परिसर के भीतर ही नहीं घाटी के अन्य हिस्सों में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद को मजबूत बनाने के कार्यक्रम न सिर्फ भाग ले रहे हैं बल्कि उनका आयोजन भी कर रहे हैं।

कूटा के ज्यादातर सदस्य जमाते इस्लामी की पृष्ठभूमि से हैं और प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से किसी आतंकी या अलगाववादी संगठन से जुड़े रहे हैं। वर्ष 1973 से सक्रिय कूटा एक गैरपंजीकृत संगठन है। इसके एक पूर्व प्रधान डा. मुहीत को दो वर्ष पहले उनकी राष्ट्रविरोधि गतिविधियों के आधार पर हटाया गया है। कूटा के लगभग एक दर्जन सदस्य इस समय सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर हैं।