Jammu Kashmir News: घाटी में फिर सिर उठाने लगा जैश, सुरक्षाबल इसके हर षड्यंत्र को कुचलने को पूरी तरह तैयार; ऐसे हुई पुष्टि
कश्मीर में मौजूदा समय में जैश के आतंकियों की संख्या 40 के करीब है और यह प्रदेश के विभिन्न भागों में सक्रिय हैं। वहीं सेना व सुरक्षाबल जैश के हर षड्यंत्र को कुचलने को पूरी तरह तैयार हैं। फरवरी 2019 में पुलवामा हमला जैश की करतूत था। इसके अलावा कालूचक्क समेत प्रदेश में विभिन्न सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए आत्मघाती हमलों में से अधिकांश जैश ने किए हैं।
नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। गत 11 जून की शाम को सीमावर्ती जिला कठुआ के सैडा गांव में स्वचालित हथियारों से लैस दो आतंकी पानी की तलाश में दाखिल होते हैं। स्थानीय ग्रामीण उन्हें पानी पिलाने के बजाय सुरक्षाबलों को सूचित करते हैं और उसके बाद मुठभेड़ में दोनों आतंकी मारे जाते हैं। मारे गए आतंकियों के पास से हथियारों के अलावा जो दस्तावेज मिले हैं, उससे सुरक्षा एजेंसियां चौंक उठी हैं।
यह दस्तावेज जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जम्मू-कश्मीर में अपने नेटवर्क को फिर से विस्तार देने और आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के साथ उसके रिश्तों की पुष्टि करते हैं। करीब एक वर्ष पहले तक जम्मू-कश्मीर में जैश के सिर्फ एक या दो ही आतंकी सक्रिय रह गए थे, जो दक्षिण कश्मीर में थे।
मौजूदा समय में जैश के आतंकियों की संख्या 40 के करीब
सूत्रों के अनुसार, मौजूदा समय में जैश के आतंकियों की संख्या 40 के करीब है और यह प्रदेश के विभिन्न भागों में सक्रिय हैं। वहीं, सेना व सुरक्षाबल जैश के हर षड्यंत्र को कुचलने को पूरी तरह तैयार हैं। फरवरी, 2019 में पुलवामा हमला जैश की करतूत था। इसके अलावा कालूचक्क समेत प्रदेश में विभिन्न सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए आत्मघाती हमलों में से अधिकांश जैश ने किए हैं।
कश्मीर में जैश का कोई सक्रिय आतंकी नहीं रहा
पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबलों ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कश्मीर में जैश के सभी स्थानीय और विदेशी कमांडरों व उनके कैडर को मार गिराया। जैश ने अपनी गतिविधियां लगभग बंद कर दीं थीं। पाकिस्तान सरकार ने भी अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए जैश की गतिविधियों पर अंकुश लगाया था। सभी सुरक्षा एजेंसियां यह मान चुकी थीं कि कश्मीर में जैश का कोई सक्रिय आतंकी नहीं रहा है और सिर्फ कुछ गिने चुने ओवरग्राउंड वर्कर हैं, जो अब निष्कि्रय हो चुके हैं।
हालांकि इस बीच, सक्रिय हुए पीएएफएफ को लेकर कई बार कहा गया कि यह जैश का ही मुखौटा संगठन है, लेकिन विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां दावा करती रहीं कि पीएएफएफ जैश का नहीं बल्कि लश्कर का हिस्सा है। लेकिन विभिन्न आतंकी हमलों की जांच में सामने आया है कि जैश ही हमलों के लिए यथासंभव पीएएफएफ का ही इस्तेमाल कर रहा है।
दस्तावेज कर रहे जैश की मौजूदगी की पुष्टि
सूत्रों ने बताया कि कठुआ में हुई मुठभेड़ ने उन सभी सूचनाओं को सही साबित किया है, जो जम्मू-कश्मीर में जैश द्वारा अपने कैडर को फिर से सक्रिय करने से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि कठुआ में मारे गए आतंकियों में रेहान उर्फ हैदर का असली नाम अली असलम खान है और वह गुलाम जम्मू-कश्मीर में पोठी मकवाल का रहने वाला है। उसके पास से उसका वसीयतनुमा एक कागज मिला है, जिससे पता चलता है कि उसे जैश के सरगना अजहर मसूद ने ही भेजा था। इसमें उसने अपने स्वजन से माफी मांगी है और उन्हें बताया कि वह जिहाद के रास्ते पर है।
पीएएफएफ को जैश ने ही बनाया है
सूत्रों के अनुसार, चार मई को पुंछ के सुरनकोट में वायुसेना के जवानों पर और उसके बाद नौ जून को रियासी में श्रद्धालुओं पर हमला भी पीएएफएफ ने किया है, जो जैश का हिस्सा है। पीएएफएफ को जैश ने ही हमलों को अंजाम देने के लिए बनाया है। सूत्रों ने बताया कि डोडा और ऊधमपुर में भी बीते दो माह के दौरान जो आतंकी देखे गए हैं, वह जैश के ही हैं। इन आतंकियों के पास एम-4 कार्बाइन की मौजूदगी भी यही बताती है कि जैश फिर से सक्रिय हो चुका है।
सूत्रों के मुताबिक, इस समय कश्मीर घाटी में सक्रिय विदेशी आतंकियों में आधे से ज्यादा जैश से ही संबंध रखते हैं। उनके मुताबिक, जैश ने अब उत्तरी कश्मीर में भी अपने कैडर को सक्रिय करना शुरू कर दिया है। सोपोर में अप्रैल में मारे गए दो पाकिस्तानी आतंकी जैश के ही थे।
जैश ने बनाए हैं लांचिंग कमांडर
जैश ने गुलाम जम्मू-कश्मीर में मोहम्मद इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद को अपना लांचिंग कमांडर बनाया है। वह गुलाम जम्मू-कश्मीर में रावलकोट का रहने वाला है, जबकि जम्मू संभाग में सीमावर्ती कठुआ और सांबा के सामने स्थित पाकिस्तान के शक्करगढ़ इलाके में मोहम्मद मुस्सदिक उर्फ डाक्टर उर्फ अब्दुल मनान उर्फ वाहिद खान के अलावा आशिक नेंगरू ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ व हथियारों की तस्करी का जिम्मा संभाल रखा है। आशिक नेंगरू मूलत: दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है और करीब पांच वर्ष से पाकिस्तान में छिपा हुआ है।