Move to Jagran APP

5 प्रधानमंत्री, 13 मुख्यमंत्री और 11 राज्यपाल... कैसा रहा है जम्मू-कश्मीर का अब तक सियासी इतिहास

Jamm Kashmir Full History जम्मू-कश्मीर में दस वर्षों बाद चुनाव हुए हैं। साल 2014 के बाद केंद्रशासित प्रदेश में बंपर वोटिंग हुई। इस चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस ने कब्जा जमाया है। जम्मू-कश्मीर में नेकां का वर्चस्व शुरू से ही रहा है। आइए इसी क्रम में नेकां के इतिहास को टटोलते हुए केंद्रशासित प्रदेश के सियासी इतिहास की चर्चा करते हैं।

By Prince Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 09 Oct 2024 06:10 PM (IST)
Hero Image
क्या रहा है जम्मू-कश्मीर का अब तक सियासी इतिहास

डिजिटल डेस्क, जम्मू। Jammu Kashmir History:  जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं और परिणाम भी आ गए हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने केंद्रशासित प्रदेश में जीत का परचम लहराया है।

चुनाव से इतर यदि जम्मू-कश्मीर के सियासी इतिहास की बात करें तो आजादी के बाद से अब तक जम्मू-कश्मीर में 5 प्रधानमंत्री व 13 मुख्यमंत्री और 11 गवर्नर रह चुके हैं। आइए, जम्मू-कश्मीर के इतिहास को खंगालते हुए इन नेताओं की चर्चा करते हैं।

जम्मू-कश्मीर के इतिहास में प्रधानमंत्री और सदर-ए-रियासत जैसे पद अहम रहे हैं। जब देश को आजादी मिली तो 565 रियासतों में जम्मू-कश्मीर भी एक रियासत थी।  उस दौरान वहां महाराजा हरि सिंह का शासन था। भारत में विलय होने के बाद जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार दिए गए। इनमें सदर-ए-रियासत राज्य का प्रमुख हुआ करता था।

साल 1947 में महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय होने के फैसले में देर की। सन् 1951 में जम्मू-कश्मीर में पहली बार चुनाव हुए उस दौरान मेहर चंद महाजन को जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। उस वक्त राज्य के मुख्य को प्रधानंत्री ही कहा जाता था। उनका कार्यकाल अक्टूबर 1948 से लेकर मार्च 1948 तक रहा। 

शेख मोहम्मद अब्दुल्ला बने पीएम

मेहरचंद महाजन के हटने के बाद शेख मोहम्मद अब्दुल्ला नए प्रधानमंत्री बनाए गए। जम्मू-कश्मीर में पहली बार संविधान सभा के लिए अगस्त-सितंबर 1951 को चुनाव हुए। उस दौरान शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कॉफ्रेंस ने सभी 75 सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

तारीख 26 जनवरी, 1950 को जब भारत एक गणराज्य बना तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया। उसके कुछ समय बाद जम्मू-कश्मीर में बिगड़ते हालात को देखते हुए अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया।

1964 में ख्वाजा शम्मुद्दीन बने प्रधानमंत्री

साल 1956 में जम्मू-कश्मीर के संविधान को अपनाया गया और इसके बाद साल 1964 में ख्वाजा शम्सुद्दीन को एक साल के लिए प्रधानमंत्री बनाया गया। तारीख 17 नवंबर, 1956 को राज्य संविधान सभा ने जम्मू-कश्मीर के संविधान को अपनाया और राज्य को भारत संघ का अभिन्न अंग घोषित किया। जबकि संविधान को 26 जनवरी, 1957 को अपनाया गया था। 

इस बीच 1964 में सरकार ने इन पदों के नाम और अधिकार बदल दिए। इस बदलाव के अंतर्गत प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री में बदल दिया गया। जबकि सदर-ए-रियासत को राज्यपाल के रूप में बदल दिया गया। 

शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी से उनके समर्थकों में रोष था। यही कारण था कि उन्होंने चुनाव में भाग नहीं लिया। यह स्थिति 1975 तक बनी रही। हालांकि, इसके बाद शेख अब्दुल्ला और तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के बीच समझौता हुआ।

 9 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पारित किया गया। जिसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में अस्तित्व में आए। 

यह भी पढ़ें- JK Election Result: क्या रवींद्र रैना ने दे दिया भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा? नौशेरा से हारने के बाद क्या बोले

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें