'ये ऐतिहासिक प्रस्ताव, वैक्यूम में हैं हालात', जम्मू-कश्मीर में Article 370 की बहाली पर बोले CM उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष दर्जे को लेकर घमासान जारी है। तीसरे दिन भी आर्टिकल 370 को लेकर जमकर हंगामा हुआ। इस बाबत स्पीकर ने कई मार्शलों के जरिए कई विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाया। वहीं विधानसभा में उमर अब्दुल्ला ने उन दिनों को याद किया जब वह जेल में थे। उन्होंने कहा कि वक्त कैसे बदलता है इसका पता ही नहीं चलता।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विशेष दर्जे को लेकर चल रहे घमासान ने पूरे देश में भूचाल ला दिया है। सदन में तीसरे दिन भी आर्टिकल 370 को लेकर जमकर हंगामा हुआ। इस बाबत स्पीकर ने कई मार्शलों के जरिए कई विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाया।
विशेष दर्जे के प्रस्ताव को लेकर उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण में कहा कि वक्त कैसे बदलता है (फोन की तरफ इशारा करते हुए) यह भी आपको पुरानी यादें ताजा कर समझाता हूं। उन्होंने कहा कि उस दौरान मुझे मेरी तस्वीर दिखाइए गई जिसमें मेरी दाड़ी बढ़ी हुई थी और जेल में बंद था। उस वक्त हमें बेइज्जत करने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे याद है मेरी बहन मुझसे मिलना चाहती थी। उन्हें एक अधिकारी से इजाजत लेनी थी।लेकिन उन्हें भटकाया गया उन्हें कोई यह नहीं बता रहा था कि इजाजत किससे ले और वह अधिकारी कहां बैठता है। यहां तक कि तलाशी के लिए एक छोटे बच्चे का डायपर तक चेक किया गया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आखिर हमारी खता क्या थी।
ऐतिहासिक प्रस्ताव को लाना कैसे समझौता बन गया
उमर अब्दुल्ला ने विशेष राज्य के दर्जे वाले प्रस्ताव पर कहा कि इसमें (प्रस्ताव) कहां समझौता किया गया है जब पारित किया गया तब मुझे मुबारक दी गई मेरे चेंबर में आकर मुझे मुबारक दी गई। पता नहीं बाद में क्या हुआ बाद में यह ऐतिहासिक प्रस्ताव को लाना कैसे एक समझौता बन गया।
प्रस्ताव को लेकर हमारी राय नहीं ली गई जिसे केंद्र आसानी से रद नहीं कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हमें निशाना बना रहे हैं अगर इससे कुछ नहीं होता तो वह जिक्र क्यों करते हैं।
उनका जिक्र करना ही इस बात का सबूत है कि यह रिलेशन एक ऐतिहासिक प्रस्ताव है जिससे दरवाजे खुलते हैं हमें भविष्य की तरफ देखना है हमें पीछे नहीं देखना है। इसलिए हमने जानबूझकर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बात की है पता है मौजूदा सरकार से हमें यह कुछ नहीं मिलेगा लेकिन कभी तो निजाम बदलेगा, इसलिए हमने सोच समझकर शब्द इस्तेमाल किए हैं।
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