डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर की 24 विधानसभा सीटों में कश्मीर घाटी की 16 जबकि जम्मू संभाग की आठ सीटों पर मतदान होना है। कश्मीर की 16 सीटों में से भाजपा सिर्फ आठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इन सीटों पर कांग्रेस-नेकां गठबंधन, पीडीपी सहित कई अन्य दलों के उम्मीदवार चुनाव को रोचक बना रहे हैं।
यहां एक ओर निर्दलीय बड़ा खेल करने को आतुर हैं और वहीं प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के नेता यह साबित करने को उत्सुक हैं कि उनका आधार अभी डगमगाया नहीं है।
पहले चरण में चार खास चेहरें हैं, जिनपर सभी की नजर टिकी हुई है।
इल्तिजा मुफ्ती
श्रीगुफवाडा-बिजबेहरा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। मुफ्ती खानदान की तीसरी पीढ़ी और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा परिवार के गढ़ बिजबेहरा से मैदान में हैं।
इल्तिजा मुफ्ती राजनीतिक पारी शुरू करने जा रही हैं। उनके सामने भाजपा के सोफी युसूफ और नेकां से बशीर अहमद शाह वीरी हैं। इस सीट से तीन ही उम्मीदवार हैं। गौरतलब है कि परिसीमन के बाद पहलगाम के कुछ गांव बिजबेहरा सीट में शामिल हो गए हैं।इस सीट से चुनावी मैदान में उतरने के बाद इल्तिजा शुक्रगुजार हैं, क्योंकि इसी सीट से उनके नाना मुफ्ती मोहम्मद सईद और मां मुफ्ती सईद ने सियासत शुरू की थी। पिछले 25 साल से यह सीटी पीडीपी का गढ़ रही है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।
सीट पर पीडीपी का दबदबा रहा है। बिजबेहरा की गिनती ऐतिहासिक सीटों में की जाती है क्योंकि इसने जम्मू-कश्मीर को दो-दो मुख्यमंत्री दिए हैं। हालांकि, दोनों मुफ्ती परिवार के ही रहे हैं। इसलिए ये सीट इल्तिजा के लिए कहीं न कहीं सेफ मानी जा रही है।
बिजबेहरा सीट का सियासी इतिहास
1. 1967 से लेकर अब तक 9 बार विधानसभा चुनाव और उपचुनाव हुए
2. 6 विधानसभा चुनाव में पीडीपी ने जीत हासिल की।3. नेशनल कॉन्फ्रेंस को तीन बार 1977, 1983 और 1987 में जीत मिली।5. 1987 में पीडीपी से नेकां केवल 100 वोटों के अंतर जीती थी।4. 1996 से अब तक मुफ्ती परिवार का सीट पर कब्जा है।
शगुन परिहार
किश्तवाड़ विधानसभा सीट को लेकर काफी चर्चा है। यहां बीजेपी, पीडीपी और नेकां के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी ने यहां से शगुन परिहार पर दांव लगाया है। एक नवंबर, 2018 को जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में शगुन के पिता अजीत परिहार और उनके चाचा तथा वरिष्ठ भाजपा नेता व तत्कालीन सचिव अनिल परिहार की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
शगुन इलेक्ट्रॉनिक्स में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही हैं। शगुन परिहार ने एक चुनावी रैली के दौरान शांति, सुरक्षा, रोजगार और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया था। शगुन परिहार का मुकाबल नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार व दो बार के विधायक सज्जाद अहमद किचलू से है। पीडीपी ने यहां से फिरदौस टॉक को मैदान में उतारा है।ये भी पढ़ें:
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किश्तवाड़ सीट का सियासी इतिहास
1. 1962 में बनी किश्तवाड़ को विधानसभा सीट बनाया गया।2. नेशनल कॉन्फ्रेंस इकलौती पार्टी है जिसने यहां से 6 बार जीत दर्ज की।3. 1962, 1977, 1987, 1996, 2002 व 2008 में नेकां को जीत हासिल हुई।4. 1967, 1972 व 1983 में कांग्रेस ने क्षेत्र का नेतृत्व किया।5. 2014 में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर खाता खोला था।
गुलाम अहमद मीर
डुरू विधानसभा क्षेत्र दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के अंतर्गत है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रधान गुलाम अहमद मीर कड़े मुकाबले में फंसे हैं। यहां से दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। इनमें पीडीपी के अशरफ मलिक, अपनी पार्टी के बशीर अहमद वानी मुकाबले में हैं। कोकरनाग आरक्षित सीट पर चौधरियों की जंग है। यहां पर नेकां के जफर अली खटाना, पीडीपी के हारूण रशीद खटाना, भाजपा के रोशन हुसैन खान, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के मोहम्मद वकार के बीच मुकाबला है। हालांकि, ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही है।
डुरू सीट का सियासी इतिहास
1. 2002 और 2008 में लगातार गुलाम अहमद मीर दो बार विधायक रहे।2. 2014 में पीडीपी ने इस सीट पर जीत हासिल की।3. पीडीपी के सैयद फारूक अहमद अंद्राबी ने मीर को केवल 161 वोटों से हराया था।
मोहम्मद खलील बंद
पुलवामा विधानसभा सीट पर भी मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। दरअसल, यहां पीडीपी के वहीद उर रहमान पारा जो कि हाल ही में जेल से रिहा हुए हैं, इनका मुकाबला मोहम्मद खलील बंद से है। खलील बंद ने इस सीट पर तीन बार जीत हासिल की थी। एक बार 2002, 2008 और फिर 2014 में, जब वे पीडीपी में थे। क्योंकि इस बार वे नेकां के लिए इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो मुकाबला काफी रोचक होने वाला है। खलील बंद पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, इन्होंने 2019 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
पुलवामा सीट का सियासी इतिहास
1. 2002 से 2014 तक पीडीपी ने इस सीट पर राज किया है।2. पीडीपी के पूर्व नेता मोहम्मद खलील बंद यहां से तीन बार विधायक रहे हैं।3. इस बार पीडीपी ने युवा नेता वहीद उर रहमान पारा को मैदान में उतारा है।ये भी पढ़ें:
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