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J&K Election: राजौरी-पुंछ का मतदान तय करेगा भाजपा का भविष्य, नेकां-कांग्रेस का गढ़ रहा है यह क्षेत्र

जम्मू-कश्मीर चुनाव के दूसरे चरण के लिए राजौरी-पुंछ और रियासी में बुधवार को मतदान हो रहा है। इस मतदान का परिणाम गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय में भाजपा की पैठ तय करेगा। पारंपरिक तौर पर यह पूरा क्षेत्र नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस बार भाजपा ने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण के जरिए इन दोनों समुदायों में अपना वोट बैंक बढ़ाने का प्रयास किया है।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 25 Sep 2024 09:24 AM (IST)
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J&K Election: दूसरे चरण में राजौरी-पुंछ-रियासी में मतदान
नवीन नवाज, श्रीनगर। पीर पंजाल पर्वत शृंखला के दाएं तरफ स्थित राजौरी-पुंछ और रियासी में बुधवार को मतदान होने जा रहा है। इसी मतदान का परिणाम गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय में भाजपा की पैठ तय करने के साथ प्रदेश में पहचान की राजनीति का रास्ता भी साफ करेगा। पारंपरिक तौर पर यह पूरा क्षेत्र नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गढ़ रहा है, जिसमें पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और वर्ष 2014 में भाजपा सेंध लगाने में कामयाब रही।

26 सीटों पर हो रहा मतदान

दूसरे चरण के तहत 26 सीटों पर मतदान होने जा रहा है। इनमें से 11 सीटें जिले राजौरी, पुंछ और रियासी में हैं, शेष 15 सीटें श्रीनगर, बड़गाम और गांदरबल जिले में हैं। इन सीटों में सात अनुसूचित जनजातीय समूहों के लिए आरक्षित हैं। छह सीटें गुलाबगढ़, राजौरी, बुद्धल, थन्नामंडल, सुरनकोट और मेंढर हैं जो पुंछ, रियासी व राजौरी जिले में हैं। सातवीं आरक्षित सीट कंगन है जो गांदरबल में है। प्रदेश में अनुसूचित जनजातीय समुदाय के लिए नौ सीटें आरक्षित हैं।

गुज्जर-बक्करवाल समुदाय को पहली बार मिला है राजनीतिक आरक्षण

जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव में गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय को राजनीतिक आरक्षण मिला है। सात सीटों में गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय में सबसे ज्यादा गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का ही प्रभाव ज्यादा है।

गुज्जर-बक्करवाल समुदाय शत प्रतिशत मुस्लिम हैं, जबकि पहाड़ी समुदाय में मुस्लिमों के अलावा हिंदू और सिख आबादी भी है। गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी जनजातीय समुदाय को राजनीतिक आरक्षण के दम पर ही भाजपा इस पूरे क्षेत्र में अपनी राजनीतिक दबदबे को प्रभावी बनाने में जुटी है।

इस मुद्दे पर नेकां और पीडीपी पर भाजपा ने बोलती है हमला

भाजपा इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बारे में कहती है कि वह इन समुदायों को आरक्षण नहीं दे सकी और अब सत्ता में लौटने पर यह आरक्षण समाप्त कर देगी। अनुसूचित जनजातीय समुदाय के आरक्षण को लेकर राजौरी-पुंछ और रियासी में गुज्जर-बक्करवाल व पहाड़ी समुदाय में तनाव और टकराव की स्थिति भी देखने को मिली है।

भाजपा ने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण के जरिए इन दोनों समुदायों में अपना वोट बैंक बढ़ाने का प्रयास किया है। इसके बावजूद प्रश्न यह है कि भाजपा ने इस क्षेत्र में जो पहचान की राजनीति को हवा दी है, क्या वह इन पिछड़े इलाकों में विकास और सुरक्षा की चुनौतियों को पार कर पाएगी।

राजौरी, पुंछ और रियासी में होने वाला मतदान का परिणाम एक नई राजनीति को शुरू करेगा। यह तीनों जिले पिछड़े हैं और यहां विकास व सुरक्षा बड़ा मुद्दा रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस, काग्रेस ओर पीडीपी अनुच्छेद 370 और राज्य का दर्जा बहाली की बात कर रही है। वह भी पहचान की राजनीति ही है। अगर इस क्षेत्र में भाजपा जीत दर्ज करती है तो यह मान लीजिए कि भाजपा सत्ता में होगी।

- सैयद अमजद शाह, राजनीतिक मामलों के जानकार

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2014 के चुनाव में जीती थीं राजौरी की दो सीटें

वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजौरी जिले में दो सीटें जीते थीं, जबकि पुंछ में भाजपा खाता भी नहीं खोल पाइ थी। इस बार भाजपा ने राजौरी-पुंछ में गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय से संबंधित मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कांग्रेस ने थन्नामडी, राजौरी, सुरनकोट, माता वैष्णो देवी कटड़ा और रियासी में अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

पूरे जम्मू संभाग में यही वह क्षेत्र है, जहां भाजपा अभी तक पूर तरह अपना प्रभाव स्थापित नहीं कर पाई है। रामबन-डोडा-किश्तवाड़ में भाजपा ने पिछले चुनाव में नेकां-कांग्रेस को पूरी तरह धाराशयी किया था। राजौरी-पुंछ और रियासी में वह सिर्फ हिंदू बहुल क्षेत्रों तक ही सीमित रही थी। अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण से इस पूरे क्षेत्र में एक राजनीतिक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

- प्रो हरि ओम, जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार

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