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जम्मू-कश्मीर चुनाव: जहां बरसते थे पाकिस्तानी गोले वहां जमकर बरसे वोट, आतंक का गढ़ रहे राजौरी और पुंछ में बंपर वोटिंग

Jammu and Kashmir Assembly Election 2024 राजौरी-पुंछ जिलों में डीडीसी चुनावों में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सीमा पर तनाव के बावजूद लोग बिना किसी डर के मतदान केंद्रों पर पहुंचे। नियंत्रण रेखा के पास स्थित गांवों में भी भारी मतदान हुआ। मतदाताओं ने क्षेत्र के विकास और बेहतर शिक्षा की उम्मीद जताई। जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का जश्न मनाया गया।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 25 Sep 2024 11:02 PM (IST)
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जम्मू और कश्मीर के दूसरे चरण में जमकर हुई वोटिंग

जागरण संवाददाता, राजौरी।Jammu Kashmir Election 2024: पाकिस्तान सीमा से सटे राजौरी-पुंछ जिलों के क्षेत्रों में बुधवार को उत्सव जैसा माहौल था। हर कोई लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डालने को आतुर था।

राज्य में मजबूत होते लोकतंत्र का संदेश सीमा पार तक गूंज रहा था। पहले दोनों जिलों में जहां पाकिस्तानी गोले गिरते थे, वहां बुधवार सुबह से शाम तक बिना डर वोट बरस रहे थे।

संवेदनशील हों या अतिसंवेदनशील क्षेत्र या फिर तारबंदी के आगे बने मतदान केंद्रों में बंपर वोटिंग हुई। दोनों जिलों की नियंत्रण रेखा के पास बनाए गए 11 मतदान केंद्रों के बाहर कतारों में खड़े लोग बदलाव की कहानी बयां कर रहे थे। राजौरी और पुंछ जिलों में नियंत्रण रेखा के पास स्थित क्षेत्रों में चुनाव प्रक्रिया हमेशा से चुनौती रही है।

पुंछ जिले में 66 फीसदी हुआ मतदान

राजौरी जिले में 51 मतदान केंद्र व पुंछ जिले में 66 मतदान केंद्र एलओसी पर हैं। इनमें अधिकांश केंद्र सरकारी स्कूलों में स्थापित किए गए हैं, जिनमें भूमिगत बंकरों की सुविधा है।

विशेष बुलेट प्रूफ वाहनों के अलावा विशेष चिकित्सा सुविधा के साथ कई स्थानों पर एंबुलेंस की तैनाती की गई थी। पुंछ के गांव सलोत्री के 65 वर्षीय अजीत सिंह, साव खान, शकरदीन का कहना था कि पहले गोलाबारी के दौरान डरे सहमे लोग मतदान करने आते थे।

इस बार ऐसा नहीं है। सीमावर्ती गांवों के लोग बिना भय के मतदान के लिए निकले। दोपहर एक बजे तक 50 प्रतिशत मतदान हो चुका था। ग्रामीणों ने बताया कि जब भी सीमा पार से गोलाबारी होती थी सबसे ज्यादा नुकसान सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को उठाना पड़ता था। मौजूदा सरकार ने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है कि हम लोग चैन की सांस ले रहे हैं।

नियंत्रण रेखा पर तारबंदी के आगे सटे गांव देगवार, नुनकोट, नगरकोट के लोगों ने भी जमकर बिना डर के क्षेत्र के विकास के लिए बच्चों की अच्छी शिक्षा की उम्मीद में जमकर मतदान किया है।

सीमांत क्षेत्र देगवार, खडी़, करमाडा, झलास, सलोत्री, बालाकोट, मनकोट, शाहपुर और कीरनी आदि गावों में भारी मतदान हुआ। पुंछ-हवेली क्षेत्र में पहली बार मतदान करने वाली नीलिमा कहा कि लोगों को अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहिए।

मतदान बिना किसी डर के पोलिंग बूथ पर पहुंचे

मेंढर से जिला विकास परिषद (डीडीसी) के सदस्य वाजिद बशीर खान का कहना था कि क्षेत्र के लोगों ने हमेशा उत्साह से मतदान किया है। नौशहरा, झंगड़, कलसियां सेक्टर में सीमा पर बने मतदान केंद्रों में भी मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला। मतदाता बिना किसी डर के केंद्रों में पहुंचे थे।

भारतीय सीमा का प्रथम गांव में दिनभर कतारें मनकोट के बलनोई गांव निवासी मोहम्मद अकरम ने कहा, यह भारतीय सीमा का प्रथम गांव है। यहां मतदाताओं की लंबी कतारें लोकतंत्र में लोगों की आस्था को दर्शाती हैं। साकिब ने कहा कि विधायक को चुनने का लंबा इंतजार खत्म हुआ।

हम सरकार के आभारी हैं कि उसने पहाडि़यों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया है। उम्मीद है कि अगली सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार सुनिश्चित करेगी।

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