J&K Politics: कभी पाकिस्तान की हर हलचल पर हिल जाता था कश्मीर, आज जल रहा पड़ोसी पर शांत है घाटी
JK Politics जम्मू-कश्मीर में बदलाव और विकास की नीतियों का असर साफ दिखता है। शायद यही वजह है कि आज पड़ोसी अपनी ही लगाई नफरत की आग में जल रहा है और हमारी वादी शांत है और आम कश्मीरी जी-20 के मेहमानों के स्वागत में व्यस्त है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 11 May 2023 08:20 AM (IST)
श्रीनगर,नवीन नवाज। एक समय था जब कहा जाता था कि पाकिस्तान में किसी को छींक आती है तो उसका असर कश्मीर में दिखाई पड़ता था। अलगाववाद और इस्लामिक कट्टरपंथियों की स्वार्थ की राजनीति ने कश्मीर को दशकों तक हिंसा की आग में जलाए रखा। पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर कश्मीर के सियासतदान भी घड़ियाली आंसू बहाते दिखते। पर आज हालात बदल गए हैं।
बदलाव और विकास की नीतियों का असर साफ दिखता है। शायद यही वजह है कि आज पड़ोसी अपनी ही लगाई नफरत की आग में जल रहा है और हमारी वादी शांत है और आम कश्मीरी जी-20 के मेहमानों के स्वागत में व्यस्त है। यहां बता दें कि श्रीनगर में 22 से 24 मई तक जी-20 सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है और इसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कश्मीरी इस अवसर को पर्यटन संभावनाओं से दुनिया को रूबरू कराने के अवसर पर तौर पर देख रहे हैं।
पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी से पैदा हुए हालात पर कश्मीर में राजनीतिक दल सक्रिय हुए हैं और दावा कर रहे हैं कि पड़ोस की आग की आंच हमारे तक पहुंच सकती है। हालांकि आम कश्मीरी पूरी तरह मौन धारण किए हुए है। फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पाक प्रेम को जाहिर कर चुके हैं। पर विशेषज्ञों के अनुसार यह समय है कि हम अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाते हुए आतंकी व अलगाववादी पारिस्थितिक तंत्र को पूरी तरह नष्ट कर कश्मीर में पाकिस्तान के एजेंडे को तबाह कर दें।
जम्मू में आतंकी हिंसा व अलगाववाद का जनक पाक
वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के कारण अस्तित्व में आया पाकिस्तान ही जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा व अलगाववाद का जनक और पोषक है। गुलाम जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के भीतर स्थित जिहादी फैक्ट्रियों में ही जम्मू कश्मीर में नागरिकों का खून बहाने वाले आतंकी तैयार होते हैं। पाकिस्तान ने बेशक कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा से खुद को अलग दिखाने की कोशिश की है, लेकिन वह हर मंच पर कश्मीरी अलगाववादियों का समर्थन करता दिखता रहा है। जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की सियासत करने वाले कई दल भी हर कदम के लिए पाकिस्तान का मुंह ताकते रहे हैं।
भुट्टो की फांसी पर हो गए थे दंगे
एक समय था जब पाकिस्तान की सियासत कश्मीर को प्रभावित करती थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी हुई तो कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ दंगे हुए थे। इसी तरह कश्मीर में आतंक का खूनी पेड़ लगाने वाले पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल जिया उल हक की मौत पर तनाव फैल गया था। कई जगह हिंसा हुई और उनके समर्थकों ने बंद भी रखा। पाकिस्तान के राजनेता भी भुखमरी और गरीबी से लड़ रही अपनी जनता को कश्मीर के नाम पर लगातार बरगलाते रहे हैं। अब पाकिस्तान के लिए भस्मासुर बने आतंकी संगठनों की मजबूती का राज भी यही है।अब नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं कश्मीरी
कश्मीर मामलों के जानकार रशीद राही बताते हैं कि अब हालात बदले हैं और जम्मू कश्मीर में लोगों का पाकिस्तान मोह पूरी तरह भंग हो चुका है। वह फिलहाल नई सोच के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ना चाहते हैं। साथ ही जी-20 के मेहमानों की स्वागत की तैयारी में व्यस्त हैं। पाकिस्तान की जनता का भी बड़ा वर्ग मानने लगा है कि इस्लाम-कुफ्र की लड़ाई के नाम पर हिंदुस्तान के साथ दुश्मनी का एजेंडा सिर्फ पाकिस्तानी सेना, जिहादियों और पाकिस्तानी नेताओं के लिए सत्ता में बने रहने और तिजोरियाँ भरने का एक जरिया है।
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