जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव के पीछे 'चार वर्ष की रणनीति', 37 साल में पहली बार बिना किसी बाधा के हुआ मतदान
Jammu Kashmir Election 2024 यह जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Vidhansabha Election 2024) की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था के पीछे चार वर्ष की रणनीति थी। साल 1987 के बाद पहली बार शांति सुरक्षा और विश्वासपूर्ण वातावरण में मतदान संपन्न हुआ है। केंद्रशासित प्रदेश में तीन चरणों में चुनाव हुए थे। चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर आएंगे।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। न कोई आतंकी हिंसा हुई, न पुनर्मतदान की जरूरत पड़ी। जम्मू-कश्मीर में वर्ष 1987 के बाद पहली बार शांति, सुरक्षा और विश्वासपूर्ण वातावरण में हुए विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी एक-दो माह में नहीं बल्कि चार वर्ष पहले शुरू की जा चुकी थी।
जम्मू-कश्मीर में हालात सामन्य बनाने और बिना डर व हिंसा के चुनाव संपन्न करवाने में सबसे बड़ी बाधा सरकारी तंत्र में छिपे बैठे वे अधिकारी व कर्मी थे, जो राष्ट्रविरोधी गतिविधयों में संलिप्त होने के साथ आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थक थे।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश पर पुलिस ने सबसे पहले इन्हीं तत्वों पर नकेल कसना शुरू की और बीते चार वर्ष में ऐसे 72 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को सेवामुक्त किया गया।
इसके साथ जम्मू-कश्मीर व सीमा पर छिपे बैठे 4212 आतंकियों की संपत्ति को भी अटैच किया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रदेश और गुलाम जम्मू-कश्मीर में छिपे 4569 आतंकियों का पता लगाया है। इनमें से 641 जम्मू-कश्मीर में आतंकी तंत्र को जिंदा रखने के लिए सक्रिय हैं।
यह न सिर्फ अपने स्थानीय नेटवर्क के जरिये नए आतंकियों की भर्ती और आतंकी वारदातों को अंजाम देने में जुटे हैं बल्कि हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में भी लिप्त हैं। यह इंटरनेट मीडिया का भी दुरुपयोग कर रहे हैं।
सेवामुक्त अधिकारियों में तहसीलदार, प्रोफेसर, डॉक्टर तक शामिल
इस अभियान में सबसे बड़ी उपलब्धि सरकारी तंत्र में छिपे बैठे आतंकियों और अलगाववादियों के मददगारों के खिलाफ कार्रवाई है।
यह तत्व सरकारी तंत्र में अपनी पहुंच से न सिर्फ खुद बच जाते थे, बल्कि आतंकियों की भी मदद करने के साथ सिस्टम को खोखला करने में लगे थे। ऐसे 72 अधिकारियों व कर्मियों को सेवामुक्त किया गया है। इनमें तहसीलदार, प्रोफेसर, डाक्टर और पुलिस कर्मी तक शामिल हैं।
13 अलगाववादी संगठन प्रतिबंधित हो चुके
आतंकी व अलगाववादी संगठनों को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई जो पहले सिर्फ कुछ एक आतंकी संगठनों तक सीमित थी, आज जम्मू-कश्मीर में लगभग 13 अलगाववादी संगठन प्रतिबंधित हो चुके हैं।
आज कश्मीर में कोई भी अलगाववादी संगठन अपनी गतिविधियों को खुलकर संचालित नहीं कर सकता। 22 नामी आतंकियों को उद्घोषित किया गया है और उन्हें गिरफ्तार कर भारत लाने का प्रयास किया जा रहा है।
आतंक पर प्रहार जारी
वर्ष 2024 में अब तक सिर्फ आठ स्थानीय आतंकी बने हैं, जबकि बीते पांच वर्ष के दौरान स्थानीय आतंकी भर्ती का औसत 113 के करीब रहा है। इस वर्ष पथराव और हड़ताल की एक भी घटना नहीं हुई है। आकंड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा 236 आतंकी वर्ष 2018 में मारे गए। वर्ष 2017 में 208, वर्ष 2020 में 223 आतंकी मारे गए थे। वर्ष 2022 में 184 और वर्ष 2023 में 71 आतंकी मारे गए। इस वर्ष सितंबर के अंत तक 37 आतंकी मारे गए हैं।
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