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Jammu Kashmir Elections: इंजीनियर रशीद की रिहाई से बदल सकते हैं सियासी समीकरण, घाटी में अब क्या होंगी नई चुनौतियां?

Jammu Kashmir Election 2024 इंजीनियर रशीद की रिहाई ने कश्मीर की राजनीति में हलचल मचा दी है। वह विभिन्न दलों के चुनावी समीकरणों को बदल सकते हैं। एआईपी इस समय कश्मीर में लगभग 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कई पुराने नेता भी अब एआईपी का समर्थन कर रहे हैं। रशीद की छवि एक आम आदमी की तरह है।

By naveen sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 11 Sep 2024 08:29 PM (IST)
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Jammu Kashmir Elections: इंजीनियर रशीद कश्मीर में करेंगे चुनाव प्रचार
राज्य ब्यूरो,जागरण,श्रीनगर। अवामी इत्तिहाद पार्टी (एआइपी) के अध्यक्ष अब्दुल रशीद शेख जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से ही लोग जानते हैं, गुरुवार दिल्ली से श्रीनगर पहुंच जाएंगे।

उन्हें अदालत से अंतिरम जमानत मिल चुकी है और इसके साथ ही कश्मीर की राजनीति भी गरमाने लगी है। बारामूला संसदीय सीट पर जीत से पूर्व इंजीनियर रशीद को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता था।

लेकिन जिस तरह से उनकी रिहाई को लेकर कुछ राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया सामने आयी है, वह बता रही है कि अफजल गुरु और बुरहान जैसे आतंकियों की तुलना अमर बलिदानी भगत सिंह और राजगुरु से करने वाला इंजीनियर रशीद मौजूदा परिदृश्य में घाटी में विभिन्न दलों के चुनावी समीकरणों को बदल सकता है।

एआइपी के अध्यक्ष इंजीनियर रशीद दो बार उत्तरी कश्मीर में लंगेट विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह कश्मीर मुद्दे पर अपनी विवादास्पद बयानबाजी के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते रहे हैं। उन्होंने ही करीब नौ वर्ष पहले श्रीनगर में बीफ पार्टी का आयोजन किया था।

साल 2008 में पहली बार बने विधायक

वर्ष 2008 में पहली बार विधायक बने इंजीनियर रशीद की हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में जीत ने कश्मीर की राजनीतिक विषमताओं को उजागर किया है।

उसकी जीत ने न सिर्फ उसकी पार्टी का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि उन लोगों को भी कहीं न कहीं अपनी बात आगे बढ़ाने का मौका दिया है,जो पांच अगस्त 2019 के बाद पूरी तरह शांत हो चुके थे। यही कारण है कि इस समय एआइपी को कश्मीर में कोई कमजोर नहीं आंक रहा है।

कश्मीर की 22 सीटों पर लड़ रही एआइपी

एआइपी इस समय कश्मीर में लगभग 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। लोकसभा चुनाव में बारामूला-कुपवाड़ा संसदीय सीट में शामिल 18 में से 15 क्षेत्रों में एआइपी ने बढ़त बनायी थी। पीडीपी और अपनी पार्टी के ही नहीं, कई पुराने नेताओं ने भी अब एआइपी का समर्थन करना शुरू कर दिया है।

एआइपी की टिकट पर पीडीपी और नेकां के कई नेता भी चुनाव लड़ रहे हें जिनमें से हरबख्श सिंह का नाम उल्लेखनीय है। वह त्राल से चुनाव लड़ रहे हैं और पीडीपी के प्रवक्ता थे। कांग्रेस के पूर्व नेता और पूर्व विधायक शोएब लोन भी एआइपी के उम्मीदवार हैं। हंदवाड़ा, लंगेट, कुपवाड़ा और त्रेहगाम मे एआइपी के प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया जा सकता है।

आम आदमी की तरह हैं इंजीनियर रशीद

कश्मीर मामलों के जानकार रशीद राही ने कहा कि इंजीनियर रशीद की छवि एक आम आदमी की है। उन्होंने हमेशा उन मुद्दों पर विधानसभा में बात की, जिन पर बात करने से अन्य कतराते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उनके बेटों ने उनका चुनाव प्रचारकरते हुए जेल का बदला-वोट, जुल्म का बदला-वोट का नारा दिया था। वह टेरर फंडिंग के आरोप में जेल में बंद थे और इसका लाभ उन्हें चुनाव में हुआ था।

रशीद जेल के रहन-सहन को बना सकते हैं मुद्दा

इसके अलावा अलगाववादी सोच के समर्थक तत्वों में कहीं न कहीं यह भाव भी रहा कि इंजीनियर रशीद, भारतीय राष्ट्रवाद के विरोध का प्रतीक है। इसलिए उनके पक्ष में वोट गया। अब वह रिहा होकर बाहर आएंगे तो वह लोगों के बीच जाएंगे और जेलों में बंद कैदियों की बात करेंगे, अपने साथ जेल में हुए व्यवहार को लेकर लोगों को सुनाएंगे। वह खुलकर भाजपा की कश्मीर नीतियों की आलोचना करेंगे और नेकां, पीडीपी व कांग्रेस को कश्मीर का खलनायक साबित करेंगे।

वह कहेंगे कि मैंने कश्मीरियों के लिए पांच वर्ष जेल काटी है, यह लोग तो बाहर घूम रहे थे। इससे एक बड़ा वोट बैंक उनकी तरफ जा सकता है और वह कई सीटों पर नेकां, पीडीपी, कांग्रेस के उम्मीदवारों की हार जीत का समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

उनकी पार्टी भी जो अब सात आठ सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रही है,अपने दावे को सही साबित करने की स्थिति में आ जाएगी। इसलिए उमर और महबूबा मुफ्ती उनकी रिहाई पर सवाल उठा रहे हैं।

कश्मीर मामलों के एक अन्य जानकार सज्जाद सोफी ने कहा कि इंजीनियर रशीद की रिहाई सामान्य नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप था और उनकी जमानत पर भाजपा ने क्या कुछ किया था, सभी जानते हैं।

इंजीनियर रशीद पर आतंकियों की मदद का आरोप है, उनके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज है, ऐसे में उनकी रिहाई पर भाजपा की चुप्पी कई संदेह पैदा करती है। यहां यह कहा जारहा है कि इंजीनियर रशीद की रिहाई नेशनल कान्फ्रेंस,कांग्रेस और पीडीपी की चुनावी जीत को रोकने, उन्हें सरकार बनाने से रोकने के भाजपा के एजेंडे का हिस्सा है।

इंजीनियर रशीद के लिए क्यों नहीं राह आसान

उन्होंने कहा कि इंजीनियर रशीद की रिहाई अगर भाजपा के एजेंडे पर है तो हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह दोधारी तलवार साबित हो सकती है। कश्मीर में राजनीतिक नेताओं को लोग हमेशा शक की निगाह से देखते हैं। ऐसे में अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस या पीडीपी, इंजीनियर रशीद को दिल्ली का एजेंट साबित करने में कामयाब हो जाती हैं तो इंजीनियर रशीद के उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो सकती है।

जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्राग्रेसिव आजाद पार्टी का उदाहरण हमारे सामने है। इन दलों मे कई प्रभावशाली नेता हैं और लोकसभा चुनाव में इनका क्या हश्र हुआ है, एक रिकॉर्ड है। इन सभी को कश्मीर में भाजपा की ए,बी और सी टीम साबित करने में नेकां-पीडीपी कामयाब रही थी। इसलिए इंजीनियर रशीद के लिए भी राह आसान नहीं है।

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