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J&K Election 2024: गांदरबल की 'जंग' नेकां के लिए बनी साख, उमर अब्दुल्ला ने क्यों जनता की झोली में रख दी टोपी, जानिए

JK Election 2024 लोकसभा चुनाव में हार के बाद उमर अब्दुल्ला भावनात्क रूप से मजबूत नहीं दिख रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए उन्होंने खानदानी सीट को चुना। इसके बाद भी चुनौती कम नहीं दिख रही है। स्थानीय मुद्दे भी उमर को परेशान कर रहे हैं। विपक्ष की रणनीति भी चैन की सांस नहीं लेने दे रही है। जानिए कैसे रहेगा गांदरबल का रण...

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 05 Sep 2024 09:49 PM (IST)
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J&K Election 2024: गांदरबल से चुनाव लड़ रहे उमर अब्दुल्ला के सामने क्या है चुनौती, जानिए।
सुशील कुमार, श्रीनगर। 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ गई है। 90 विधानसभा क्षेत्रों में गांदरबल सीट काफी महत्वपूर्ण है। इस वीआईपी सीट से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला चुनावी रण में कूद गया है। उन्होंने अपना नामांकन भी करा लिया है।

उमर अब्दुल्ला की यह पुश्तैनी सीट है। इस सीट से उनके दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारूक अब्दुल्ला प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उमर अब्दुल्ला खुद भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं और विधायक बने हैं। इस बार का चुनाव बेहद अलग है।

किससे है उमर अब्दुल्ला को खतरा

पीडीपी ने इस सीट पर बशीर अहमद मीर को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। साथ ही जमात-ए-इस्लाम से सरजन बरकती ताल ठोक रहे हैं। इस रण में एक और नाम है, जो उमर अब्दुल्ला को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

नेशनल कान्फ्रेंस से अलग हुए शेख इश्फाक जब्बार और उमर अब्दुल्ला के बीच कड़ी टक्कर है। पिछले साल नेशनल कान्फ्रेंस से त्यागपत्र देकर और उन्होंने जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट नामक एक संगठन बनाया है।

गांदरबल सीट क्यों बनी नाक की लड़ाई

इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुला को हार का सामना करना पड़ा। अलगाववादी नेता इंजीनियर राशिद ने उन्हें मात दी थी। लोकसभा चुनाव हारने के बाद उमर अब विधानसभा चुनाव में किस्मत अजमा रहे हैं। अपनी इमेज बचाने के लिए अब्दुल्ला परिवार का सबसे सुरक्षित सीट गांदरबल को चुना।

उन्हें लगा कि हम इस सीट को निकाल पाने में सफल होंगे। लेकिन विपक्षी पार्टियों की रणनीति के आगे उमर अब्दुल्ला की चुनौती बढ़ गई है। अगर इस सीट से उमर की हार होती है तो अब्दुल्ला परिवार का किला ढह जाएगा।

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उमर के सामने क्या है चुनौती

दूसरी तरफ गांदरबल में पीडीपी का अपना खासा वोट बैंक है। उमर के पुराने साथाी शेख इश्फाक जब्बार गांदरबल के हैं और उमर के लिए परेशानी पैदा करेंगे। वहीं, लोग अनुच्छेद-370 और ऑटोनामी के भावनात्मक मुद्दों पर पर वोट नहीं देंगे। अगर नेकां रोजगार और विकास का मुद्दा उठाती है तो मतदाता उनसे उल्टा सवाल करेंगे।

क्यों महत्वपूर्ण है गांदरबल सीट

गांदरबल सीट ने तीन-तीन मुख्यमंत्री दिए हैं। शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला इसी सीट से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने हैं। हालांकि, उमर को इस सीट पर हार का भी सामना करना पड़ा। 2002 के चुनाव में उमर हार गए थे। 2008 में इसी सीट से जीतकर मुख्यमंत्री बने थे।

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उमर को कौन से मुद्दे कर रहे परेशान

  1. 93 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना को पूरा नहीं करा सके।
  2. 26 वर्ष पहले शुरू हुई यह परियोजना आज भी अधर में है।
  3. छह वर्ष तक मुख्यमंत्री थे, चाहते तो पूरे इलाके का कायाकल्प कर सकते थे।
  4. गांदरबल में पुरातत्व महत्व के कई स्थान हैं, मंदिर हैं, इस पूरे इलाके में पर्यटन की अपार संभावना है, लेकिन उन्होंने क्या किया?
  5. अब्दुल्ला परिवार का गढ़, लेकिन फिर भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित।
  6. श्रीनगर से सटा है गांदरबल, लेकिन आज भी यहां सड़कों की स्थिति अत्यंत दयनीय है।
  7. बिजली,पानी और स्वास्थ्य सेवा जैसी मौलिक सुविधाओं का अभाव है।

क्यों खूबसूरत है गांदरबल

पवित्र अमरनाथ गुफा ने गांदरबल की खूबसूरती बढ़ा दी है। खेरभवानी का शांत झरना से लोग काफी मोहित होते हैं। यहां कई पवित्र तीर्थ स्थल हैं। रिसॉर्ट सोनमर्ग और मंसबल झील, कमर साहिब और बाबा हैदर तुल्लामुला तो चार चांद लगा रहे हैं। सिंध नदी के आकर्षण और प्रसिद्धि के कारण यह क्षेत्र पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए पसंदीदा स्थान है।

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