JK Election 2024: छह वर्ष के लिए नहीं, अब 5 वर्ष के लिए चुने जाएंगे विधायक, विधान परिषद भी नहीं होगी
Jammu Kashmir Election 2024 पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता था और यह व्यवस्था जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के साथ या फिर अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत लागू नहीं हुई थी। अलबत्ता इस व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर में बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 370 ने एक कवच का काम जरूर किया।
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक दल मैदान में अपनी ताल ठोंक रहे हैं और मतदाता भी उन्हें वोट देने से पहले उनका आकलन कर रहे हैं। लेकिन इस बार जम्मू कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष नहीं, बल्कि पांच वर्ष ही होगा।
इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर की जनता ने 1972 में अंतिम बार पांच वर्ष के लिए अपने विधायकों को चुना था। जम्मू कश्मीर ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य था, जहां विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष का था और यह व्यवस्था पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण व जम्मू-कश्मीर राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन के साथ समाप्त हो गई। अब जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद भी नहीं होगी। इसमें 36 सदस्य होते थे।
कवच का काम किया अनुच्छेद 370
पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता था और यह व्यवस्था जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के साथ या फिर अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत लागू नहीं हुई थी। अलबत्ता, इस व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर में बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 370 ने एक कवच का काम जरूर किया।आपातकाल की देन
जम्मू-कश्मीर में छह वर्ष की विधानसभा 1975 के आपातकाल की देन थी। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल लागू करने के साथ ही लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष कर दिया था। देश के विभिन्न राज्यों ने तुरंत इसे अपनाया।
जम्मू-कश्मीर में उस समय नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस सरकार थी। मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला थे और उन्होंने उस समय यह कहकर कि पूरे देश में जो कानून है, वही जम्मू कश्मीर में चलेगा, इसलिए हम भी जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष कर रहे हैं।
1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार
नए विधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 1977 में विधानसभा का चुनाव हुआ और जम्मू-कश्मीर में छह वर्षीय कार्यकाल वाली विधानसभा की परम्परा शुरू हो गई। इस दौरान 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और केंद्र में सत्ता संभालने वाली जनता पार्टी की सरकार ने छह वर्ष की लोकसभा और विधानसभा के कानून को निरस्त कर, कार्यकाल दोबारा पांच वर्ष के लिए कर दिया।
अलबत्ता, जम्मू कश्मीर ने इस बदलाव को स्वीकार नहीं किया। उस समय भी शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ही मुख्यमंत्री थे। अनुच्छेद 370 के कारण कोई भी केंद्रीय कानून तभी लागू होता, जब राज्य विधानसभा उसे पारित करती।
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