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Jammu Kashmir Election 2024: पंचायत राज से विधानसभा DDS सदस्य चुनावी दंगल में मचा रहे धमाल, पुराने नेताओं के लिए बने चुनौती

जम्मू-कश्मीर में पंचायत राज व्यवस्था के तहत जिला विकास परिषद के सदस्य चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। दक्षिण कश्मीर की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे 155 उम्मीदवारों में से 9 डीडीसी सदस्य हैं। ये अपने मतदाताओं के बीच जाकर उन्हें डीडीसी सदस्य के रूप में अपनी उपलब्धियां बता उन्हें उनके मौलिक मुद्दों के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करने का यकीन दिला रहे हैं।

By naveen sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 03 Sep 2024 10:29 PM (IST)
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Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में होगा विधानसभा चुनाव
राज्य ब्यूरो,श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पंचायत राज व्यवस्था की बहाली का असर मौजूदा विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में भी नजर आ रहा है। दक्षिण कश्मीर की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे 155 उम्मीदवारों में नौ पंचायत राज व्यवस्था के अंतर्गत जिला विकास परिषद के सदस्य हैं।

यह अपने मतदाताओं के बीच जाकर, उन्हें डीडीसी सदस्य के रूप में अपनी उपलब्धियां बता, उन्हें उनके मौलिक मुद्दों के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करने का यकीन दिला रहे हैं।

दक्षिण कश्मीर में जिला पुलवामा के अंतर्गत त्राल, जिसे कश्मीर का कंधार कहा जाता रहा है, में अवामी इत्तेहाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे से हरबख्श सिंह जिला विकास परिषद पुलवामा के सदस्य हैं।

उन्होंने पीडीपी के टिकट पर डीडीसी त्राल का चुनाव जीता था। लेकिन गत माह उन्होंने पीडीपी से इस्तीफा और अवामी इत्तेहाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

नेकां नेता खलील बंड रह चुके हैं तीन बार PDP से विधायक

पुलवामा में पीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वहीद उर रहमान परा भी डीडीसी चुनाव जीत चुके हैं। वह विधानसभा चुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद खलील बंड के खिलाफ मैदान में हैं। बंड भी पहले पीडीपी में थे और तीन बार विधायक रह चुके हैं।

वहीद उर रहमान परा ने कहा कि यहां चेहरा और काम दोनों ही चलेंगे। लोगों केा बदलाव चाहिए, काम चाहिए। पुलवामा के डीडीसी के पूर्व चेयरमैन डॉ. बारी अंद्राबी हालांकि चुनाव नहीं लड़ रहे हैं,लेकिन वह नेशनल कान्फ्रेंस का समर्थन कर रहे हैं।

राजा वहीद, अब्दुल रशीद सहित ये नेता थे कभी पीडीपी के सदस्य

उन्होंने जिला शोपियां में एजाज अहमद मीर, राजा वहीद और मुजफ्फर अहमद वागे, बिलकीस बानो और अब्दुल रशीद लोन समेत छह डीडीसी सदस्य पीडीपी से ही थे। लेकिन इनमें से पांच पीडीपी से किनारा कर चुके हैं।

एजाज मीर और राजा वहीद क्रमश: जेनपोरा और शोपियां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। बिलकीस बानो और अब्दुल रशीद इनके चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। राजा वहीद अवामी इत्तेहाद पार्टी के टिकट पर जबकि एजाज मीर बतौर निर्दलीय मैदान में हैं।

कुलगाम में अफरोजा बेगम बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रही है। वह भी डीडीसी सदस्य है। इसके अलावा बेलाबाग कुलगाम का डीडीसी भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है। कुलगाम में दम्हाल हांजीपोरा में गुलजार अहमद डार पीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और वह भी डीडीसी सदस्य हैं।

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जिला अनंतनाग में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के टिकट पर अनंतनाग पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे बिलाल अहमद देवा और डुरू में चुनाव लड़ रहे डीपीएपी के उम्मीदवार एडवोकेट सलीम पर्रे भी डीडीसी अनंतनाग के सदस्य हैं।

मैं डीडीसी का सदस्य हूं: हरबख्श सिंह

त्राल विधानसभा क्षेत्र में अवामी इत्तेहाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हरबख्श सिंह ने कहा कि मैं डीडीसी सदस्य हूं। डीडीसी का निर्वाचन क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र से कम नहीं होता और उसकी चुनौतियां ज्यादा होती हैं। लोगों ने हमें बीते चार वर्ष में देखा है।

उन्होंने हमारा काम देखा है और यहां जो पहले विधायक रहे हैं, उनका भी काम देखा है। हम राजनीतिक मुद्दों पर कम, मतदाताओं की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े उसके मौलिक मुद्दों पर, रोजगार और विकास पर बात कर रहे हैं। लोगों केा राजनीतिक एजेंडे से ज्यादा अपने विकास की फिक्र होती है।

उन्होंने कहा कि डीडीसी सदस्यों की चुनाव में संभावना ज्यादा है,क्योंकि यह लोग अपने अपने इलाके में विधानसभा चुनाव की घोषण होनेतक पूरी तरह सक्रिय रहे हैं, मतदाताओं के साथ इनका संवाद और संपर्क रहा है।

पुराने नेताओं के लिए बने मुश्किल

राजनीतिक मामलों के जानकार रमीज मखदूमी ने कहा कि चुनाव में हार-जीत का अभी दावा करना ठीक नही है,लेकिन डीडीसी सदस्यों ने विस चुनाव दंगल में उतरकर कई पुराने और मंझे हुए नेताओं के लिए मुश्किल पैदा कर दी है।

कई जगह डीडीसी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन वह जिन उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं, उनके चुनाव प्रचार से उनके प्रभाव को समझा जा सकता है।

यह लोग स्थानीय विकासात्मक मुद्दों पर ज्यादा बात कर रहे हैं,जिससे मतदाता प्रभावित होता है। अगर कश्मीर में विस चुनावों में रोजगार, पेयजल, सड़क और स्वास्थ्य सेवा की बात हो रही है तो उसका श्रेय डीडीसी को भी जाता है,क्योंकि विधायकों से आम मतदाता की डीडीसी सदस्य से कहीं ज्यादा की अपेक्षा है।

भाजपा ने लालचौक विधानसभा क्षेत्र से इंजीनियर एजाज हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह भी डीडीसी सदस्य हैं। उन्हें यूं ही टिकट नहीं दिया गया है। पंचायत राज व्यवस्था ने यहां कुछ तो असर किया है।

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