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Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर चुनाव के दूसरे चरण में 56.79 फीसदी हुआ मतदान, दुनिया ने देखा लोकतंत्र का जश्न

Jammu Kashmir Assembly Elections जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र का जश्न मनाया गया दूसरे चरण में 56.79 प्रतिशत मतदान हुआ। दुनिया ने देखा कि कैसे कश्मीर में शांति और निष्पक्ष तरीके से चुनाव हो रहा है। 16 देशों के प्रतिनिधियों ने चुनावी प्रक्रिया का जायजा लिया और कहा कि मतदान पूरी तरह से निष्पक्ष और सुरक्षित है। अमेरिका ने कहा कि यह पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 25 Sep 2024 10:07 PM (IST)
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Jammu Kashmir Election: दूसरे चरण में 56.79 फीसदी हुआ मतदान
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में जारी लोकतंत्र का उत्सव न सिर्फ पूरी दुनिया ने देखा बल्कि अनुभव भी किया। विशेषकर कश्मीर घाटी में आतंकी हिंसा और पथराव की जगह मतदान केंद्रों के बाहर लगी लंबी कतारें, पिंक बूथ पर उत्साहित महिलाएं और अपनी अंगुली पर नीली स्याही दिखाते कश्मीरी युवा... वाकई बदलाव आ चुका है। बुधवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान भी निष्पक्ष, स्वतंत्र, सुरक्षित और विश्वास के वातावरण में संपन्न हुआ।

केंद्र सरकार की ओर से चुनाव प्रक्रिया दिखाने के लिए कश्मीर बुलाए गए 16 देशों के प्रतिनिधियों ने विभिन्न मतदान केंद्रों का दौरा कर कहा-यहां लोग बहुत खुश हैं और सभी बिना भय के वोट डाल रहे हैं। अमेरिका के दिल्ली स्थित मिशन के उपप्रमुख जार्गन के एंड्रशूज ने कहा, यहां मतदान पूरी तरह से निष्पक्ष और एक सुरक्षित वातावरण में हो रहा है।

पहले चरण में 61.38 फीसदी हुआ था मतदान

अमेरिका का यह बयान ही अनुच्छेद 370 को लेकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार की हवा निकालने के लिए काफी है। छह जिलों के 26 विधानसभा क्षेत्रों में देर शाम तक 56.79 प्रतिशत वोट पड़ चुके थे।

पहले चरण में 61.38 प्रतिशत मतदान हुआ था। तीसरे और अंतिम चरण के लिए वोटिंग एक अक्टूबर को होगी। यह पहला अवसर है जब विधानसभा चुनाव प्रक्रिया को देखने के लिए केंद्र सरकार ने विदेशी राजनयिकों को कश्मीर में आमंत्रित किया।

दिल्ली से सुबह कश्मीर पहुंचे 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में 16 प्रतिनिधि अमेरिका, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नार्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया और फिलीपींस से थे, जबकि चार अन्य प्रतिनिधि केंद्रीय विदेश मंत्रालय से थे।

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बुधवार को कश्मीर संभाग में श्रीनगर, बड़गाम, गांदरबल और जम्मू संभाग में पाकिस्तानी सीमा से सटे राजौरी, पुंछ और रियासी जिला में मतदान हुआ। विदेशी राजनयिकों ने सबसे पहले बड़गाम और ओमपोरा में मतदान केंद्रों का दौरा किया। उन्होंने जिला चुनावाधिकारी से भी बातचीत की।

इसके बाद वे श्रीनगर पहुंचे और अमीराकदल, एसपी कॉलेज, चिनारबाग के अलावा डल झील के भीतरी हिस्सों में बनाए गए मतदान केंद्रों का दौरा किया। उन्होंने मतदानकर्मियों व मतदाताओं से बातचीत कर उनके अनुभव जाने। पूछा कि वे मतदान क्यों कर रहे हैं।

मतदान पूरी तरह से लोकतांत्रिक

जार्गनअमेरिका के नई दिल्ली स्थित मिशन के उपप्रमुख जार्गन के एंड्रशूज ने कहा, यहां मतदान पूरी तरह से निष्पक्ष और एक सुरक्षित वातावरण में हो रहा है। यह पूरी तरह से लोकतांत्रिक है। लोगों में उत्साह देखकर आनंद आ रहा है। लगभग 10 वर्ष बाद कश्मीर में लोग स्थानीय सरकार चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं। हम इन चुनावों के परिणाम को जानने के लिए उत्सुक हैं। हमारे देश में भी लगभग इसी तरह से चुनाव होता है।

पिंक बूथ देख उत्साहित हूं : डिओ

तंजानिया के राजनयिक डिओ ने कहा, मैं पिंक बूथ देख उत्साहित हूं। यह पूरा मतदान केंद्र महिलाओं द्वारा संचालित है। यहां लोग मतदान के लिए उत्साहित हैं। कई वोटर अपने साथ बच्चों को भी लाए हैं, शायद वह उन्हें बताना चाहते हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया कैसी होती है। मैंने इस तरह की चीजें पहले कभी नहीं देखी हैं। यह प्रयोग हमारे देश में भी दोहराया जाना चाहिए।

सिंगापुर के उच्चायोग की राजनयिक एलिस चेंग ने कहा, भारत और सिंगापुर की चुनावी प्रणाली में कई चीजें मिलती-जुलती हैं। यहां कुछ मतदान केंद्र दिव्यांगों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।

इस तरह का प्रयोग अन्य जगहों पर भी किया जा सकता है, यह काफी दिलचस्प है। दक्षिण कोरियाई दूतावास में मिशन के उप प्रमुख लिम सांग वू ने कहा, मैं एक जीवंत उत्साह देख रहा हूं। दक्षिण अफ्रीकी राजनयिक लारा स्वार्ट ने कहा, लोग बहुत खुश हैं और बिना किसी भय के वोट डाल रहे।

रवांडा के राजनयिक ने कहा, यहां किसी प्रकार का दबाव महसूस नहीं किया। नार्वे के राजनयिक का कहना था कि लोगों को मतदान करते देखना बहुत महत्वपूर्ण रहा।

उमर को रास नहीं आया विदेशी राजनयिकों का दौरा

विधानसभा चुनावों का निरीक्षण के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को भेजना नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को अच्छा नहीं लगा।

केंद्र के इस निर्णय की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह चुनाव भारत का आंतरिक मामला है और मुझे नहीं पता कि विदेशियों को चुनाव प्रक्रिया का जायजा लेने, निगरानी करने के लिए क्यों बुलाया जाना चाहिए था।

विदेशी राजनयिकों को आप कश्मीर में चुनाव दिखा रहे हो तो फिर विदेशी पत्रकारों को क्यों आने से रोका जाता है। मालूम हो कि विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने उमर से श्रीनगर में मुलाकात की थी।

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