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Engineer Rashid Exclusive: 'फारूक साहब मैं भाजपा का एजेंट नहीं, कश्मीरियों की आवाज हूं'; मिशन कश्मीर पर क्या बोले इंजीनियर रशीद

बारामूला के सांसद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद फिलहाल जम्मू-कश्मीर की राजनीति के केंद्र में हैं। अपने तल्ख रवैये और कश्मीर मसले के समाधान के लिए जनमत संग्रह पर जोर देने वाले इंजीनियर रशीद को कोई अलगाववादी बताता है और कोई भाजपा का एजेंट। नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) और कुछ अन्य दल उन पर कश्मीर में भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हैं।

By Gurpreet Cheema Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Wed, 25 Sep 2024 05:39 PM (IST)
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: इंजीनियर रशीद ने दैनिक जागरण से की खुलकर बातचीत

विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए तिहाड़ से जमानत पर छूटे टेरर फंडिंग के आरोपित और अवामी इत्तेहाद पार्टी के चेयरमैन इंजीनियर रशीद कश्मीर मसले पर खुलकर बात करते हैं और नेकां और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसे दलों की राजनीति को सवालों के घेरे में खड़ा करने से नहीं चूकते। उनकी पार्टी के उम्मीदवार प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर कश्मीर में 35 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

इंजीनियर रशीद को पाकिस्तान समर्थक रहे जमात के नेताओं का भी समर्थन है। जमात के नेताओं से समझौते पर भी वह पक्ष साफ करना चाहते हैं। प्रस्तुत हैं दैनिक जागरण के जम्मू-कश्मीर ब्यूरो प्रभारी नवीन नवाज से उनकी बातचीत के अंश-

आप कश्मीर की आजादी की वकालत करते हैं, देश तोड़ने की बात करते हैं?

यह गलत है, मैंने कभी नहीं कहा कि यह आजादी की लड़ाई है। मैंने हमेशा कहा है कि यह एक मानवीय और राजनीतिक मुद्दा है और हल किया जाना चाहिए। यह कहना कोई अलगाववाद नहीं है। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहता हूं कि डरो मत, डराओ मत।

मैं सच बोलता हूं, इसलिए मुझे जेल में डाला गया। यहां लोकसभा चुनाव हुए, उन्हें पूरे दुनिया में लोकतंत्र की जीत के रूप में प्रचारित कर बेचा गया, लेकिन जो उस लोकतांत्रिक जीत का हीरो (मैं) है, जिसने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री (उमर अब्दुल्ला) को हराया, जिसने भाजपा के प्राक्सी उम्मीदवार सज्जाद गनी लोन को हराया, उसे आप जेल से बाहर नहीं आने दे रहे।

आपने पहली बार कई सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, कुछ कह रहे हैं कि अगली सरकार में आप मंत्री होंगे। सच्चाई क्या है?

मेरी प्राथमिकता कभी भी सरकार बनाने की नहीं रही। मैं कश्मीर मसले का हल चाहता हूं। दूसरा, मैं भाजपा के साथ कभी नहीं जाऊंगा। मैंने यह अवश्य कहा है कि अगर कश्मीर मसले को भाजपा हल करती है तो मैं उसका साथ दूंगा। भाजपा की राजनीति और मेरी राजनीति में जमीन-आसमान का अंतर है। भाजपा को कश्मीरियों से कोई हमदर्दी नहीं।

उसने अनुच्छेद 370 को हटाया है। अगर मुझे भाजपा का साथ देना होता तो लोकसभा चुनाव में जीत के बाद मैं भाजपा के साथ चला जाता और केंद्र में मंत्री बनता। मुझे मंत्री बनाकर भाजपा पूरी दुनिया को बताती कि देखो कश्मीरियों का सांसद हमारे साथ है, कश्मीर ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर अपनी मुहर लगा दी।

उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि इंजीनियर रशीद यकीन दिलाएं कि वह भाजपा के साथ नहीं जाएंगे तो वह उनका साथ देंगे?

उमर ने ऐसा सीधे मुझसे कभी नहीं कहा। मैंने उन्हें एक पेशकश की थी। मैंने कहा था कि वह कुरान की कसम उठाएं और अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए मेरे साथ मिलकर संघर्ष करने का यकीन दिलाएं, मैं उनके साथ चलूंगा। उनका कोई जवाब नहीं आया। उनकी खानदानी रिवायत है झूठ बोलना। सच तो यह है कि यहां नेकां और पीडीपी कभी भी भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकती हैं।

चुनाव के बाद उमर भाजपा के साथ सरकार बनाएंगे और राज्य का दर्जा मिल जाएगा। फिर वह कहेंगे कि पीडीपी के कारण राज्य का दर्जा चला गया था, मैं इसे वापस लेकर आया हूं। यह वह लोग हैं जो पहले थप्पड़ मारते हैं और फिर सहलाते हैं। आज भी यह लोग केंद्र सरकार के साथ संपर्क में हैं।

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आपकी नजर में कश्मीर मसला क्या है और इसका हल क्या है?

कश्मीर मसला 1947 से है। मैंने हमेशा यही कहा है कि किसी के घर शव न पहुंचे। जब कोई फौजी बलिदान देता है तो उसके शव पर तिरंगा डालना आसान होता है, तीन दिन बाद उसके मां-बाप की क्या हालत होती है। यही हालत कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने पर होती है, जब वह पाकिस्तान के लिए जान देता है तो सारे जमा होते हैं।

नारेबाजी होती है, फिर उस आतंकी के घर की हालत देखने कोई नहीं जाता कि उसके परिजनों पर क्या गुजर रही है। यही हाल हमारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं का है, हमारे कश्मीरी पंडित (हिंदू) भाइयों का है। मैं भी यही चाहता हूं कि किसी मां की गोद खाली न हो। उसके लिए आपको मसला हल करना पड़ेगा।

अब मसला है क्या? पाकिस्तान कहता है कि सारा जम्मू-कश्मीर एक विवाद है। हिंदुस्तान, अमित शाह और मोदी जी कहते हैं कि पीओके (गुलाम जम्मू-कश्मीर) वाले हमारे साथ आना चाहते हैं। मोदी जी की बात सच होगी, मुझे उनकी विश्वसनीयता पर शक नहीं है, क्या पाकिस्तान उन लोगों को आने देगा। अगर मोदी जी को यकीन है कि वे लोग आना चाहते हैं तो वह संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशों को लागू करें, उनसे कहा जाए कि रेफ्ररेंडम (जनमत संग्रह) करो। वह आराम से हमारे साथ आएंगे।

यह जनमत संग्रह इस तरफ भी होगा और उस तरफ भी, अपने आप पता चल जाएगा कि कश्मीरी क्या चाहता है और कश्मीर मसला हल हो जाएगा। वहां लोग उनके साथ हैं, जैसा वह दावा करते हैं, यहां भी साठ प्रतिशत लोगों ने भारतीय संविधान के तहत आपको वोट दिया है, इसलिए आपको सौ प्रतिशत यकीन होना चाहिए कि साठ प्रतिशत आपके हक में होंगे और मसला हल हो जाएगा।

कश्मीर में शांति होगी, आप शारदा पीठ जाओ, फिर आप चीन पर हमला करो उधर से आप मध्य एशिया जाओ। आपकी तो बल्ले-बल्ले है। पाकिस्तान को ऐसा थप्पड़ पड़ेगा कि वह दोबारा कभी नहीं उठेगा।

जम्मू-कश्मीर की जनता ने 1947 में ही भारत विलय का निर्णय सुना दिया था। जनमत संग्रह अब आप्रसंगिक हो चुका है?

विलय के समय हमारे पास ऑटोनामी थी, हमारा प्रधानमंत्री, सदर-ए-रियासत, संविधान और निशान था। भारत के विभिन्न प्रधानमंत्रियों ने बातचीत के लिए कश्मीरियों को बुलाया, लेकिन मोदी जी पांच अगस्त 2019 को बोले कि यहां सबकुछ हल हो गया। हमारे पास जो था, वह भी छीन लिया। जब आप एसपी को थानेदार बना देंगे तो उसे कैसा लगेगा।

आपने एक राज्य को भंग कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। मुझे मीडिया से भी शिकायत है, केंद्र सरकार के दबाव में एक नैरेटिव बनाया गया कि यहां सब कुछ सही है।

प्रधानमंत्री नया कश्मीर बना रहे हैं, उस पर आप क्या कहते हैं?

मोदी जी का दावा है कि पांच अगस्त 2019 को सब-कुछ हल हो गया। मैंने यहां आकर सड़कों की दुर्दशा देखी है, रोजगार का मसला है, यहां लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। इसीलिए मैं मोदी जी से कहता हूं कि बातचीत की मेज पर आओ, लेकिन वह नहीं आते हैं।

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जमात के साथ आपका गठजोड़ है, क्या यह आपको पाकिस्तान समर्थक नहीं बनाता?

जमात-ए-इस्लामी इस समय एक प्रतिबंधित पार्टी है, लेकिन उनके लोगों ने नामांकन पत्र जमा कराए, उनके नामांकन पत्र स्वीकार हुए हैं, जिसका सीधा मतलब यह है कि सरकार को उनके चुनाव लड़ने पर एतराज नहीं है। हालांकि वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने (जमात) एक बयान में कहा कि हम इंजीनियर रशीद का समर्थन करना चाहते हैं, अगर वह चाहें तो। मैंने तीन मुद्दों पर उनके साथ समझौता किया है।

हिंसा और बंदूक की संस्कृति का बिल्कुल साथ नहीं देना है। कश्मीर मसले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी को एकजुट होना है। जब तक कश्मीर मसला हल होता है, तब तक कश्मीर की विधानसभा में अच्छे लोग भेजने हैं।

आप पर भाजपा के एजेंट होने का आरोप है?

मैं किसी का एजेंट नहीं हूं। फारूक साहब आप राजनीति को इतना नीचे मत गिराइए। जब फारूक साहब कहते हैं कि इंजीनियर रशीद आरएसएस का बंदा है तो हंसी भी आती हैं।

मैं मुस्लिम हूं और इस्लाम में बताया गया है कि हमें दूसरों के धर्म की भी इज्जत करनी चाहिए, वह मैं करता हूं। फारूक के घर में तो मुगल बादशाह अकबर का दीन-ए-इलाही चलता है। पूरे मुल्क में वही एक मुस्लिम नेता हैं जो मंदिरों में जाकर माथा टेकते हैं, भजन गाते हैं। इसलिए आरएसएस का एजेंट वह हैं या मैं।

क्या आपको लोगों की सहानुभूति मिल रही है?

मेरे खिलाफ कभी भी मतदाताओं में नाराजगी नहीं रही है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में मैं मात्र 24 हजार वोटों से हारा था और इस बार ढाई लाख वोट से जीत दर्ज की। मेरे पक्ष में जो लोग रैलियों में आ रहे हैं, वह कोई सहानुभूति नहीं, बल्कि यहां आम कश्मीरियों को पता है कि मैं उनकी आवाज बनता आया हूं।

केंद्र सरकार कह रही है कि अनुच्छेद 370 बहाल नहीं हो सकता, फिर इस पर आपका रोडमैप क्या है?

फारूक, महबूबा या अन्य लोगों ने पांच साल तक इस मुद्दे पर कुछ भी व्यावहारिक नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना, वहां लड़ना तो कानूनविदों का काम है। राजनीतिक लोगों का काम होता है, राजनीतिक लड़ाई लड़ना, आम जनमानस को तैयार करना। इन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। फारूक, उमर, महबूबा सभी केंद्र के एजेंट हैं, मैं अगर जीता तो साथी विधायकों संग न सिर्फ सदन के भीतर बल्कि बाहर भी आंदोलन चलाऊंगा। दिल्ली की सड़कों पर आंदोलन ले जाऊंगा।