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Jammu Kashmir Election: निर्दलीय प्रत्याशियों को उतारेगी जमात-ए-इस्लामी, एक दर्जन से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 (Jammu Kashmir Vidhan Sabha Election 2024) के बीच सभी की नजर प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी पर टिकी है। तीन चरणों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण में शामिल 24 सीटों के लिए मंगलवार को नामांकन जमा कराने का आखिरी मौका है। ऐसे में हर किसी को इंतजार है कि क्या जमात अपने नेताओं को निर्दलीय मैदान में उतारेगी या नहीं।

By Nitish Kumar Kushwaha Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Mon, 26 Aug 2024 09:01 PM (IST)
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निर्दलीय प्रत्याशियों को मैदान में उतारेगी जमात-ए-इस्लामी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट के लिए जारी उठा-पटक के बीच सभी के नजर प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी पर टिकी है। सभी को मंगलवार का इंतजार कर रहे हैं कि क्या जमात अपने नेताओं को निर्दलीय मैदान में उतारेगी या नहीं।

अभी तक जमात की तरफ से जो संकेत आए हैं उनके मुताबिक वह घाटी में एक दर्जन सीटों पर अपने नेताओं को निर्दलीय मैदान में उतारेगी। कई सीटों पर वह अन्य दलों के प्रत्याशियों या निर्दलियों का समर्थन कर सकती है। सभी नेशनल कान्फ्रेंस व पीपुल्स कान्फ्रेंस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने जमात के चुनाव में भाग लेने का स्वागत किया।

मंगलवार को नामांकन जमा कराने का आखिरी मौका

बता दें कि प्रदेश में तीन चरणों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण में शामिल 24 सीटों के लिए नामांकन जमा कराने की समय सीमा मंगलवार 27 अगस्त को समाप्त हो रही है। पहले चरण की 24 में से 16 सीटें दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा में हैं। चारों जिलों में जमाते इस्लामी का प्रभाव उत्तरी और सेंट्रल कश्मीर की तुलना में ज्यादा है।

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जमात के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हमें उम्मीद थी कि प्रतिबंध हट जाएगा। केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ हमारी बातचीत भी जारी थी। जब हमें लगा कि प्रतिबंध हटने में समय लगेगा तो हमने जस्टिस एंड डेवलपमेंट फ्रंट बनाने और उसे पंजीकृत कराने का फैसला किया। इससे पहले कि हम इसके पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करते चुनाव का एलान हो गया।

अगर सबकुछ ठीक रहता है तो पहले चरण की सात सीटों कुलगाम, देवसर, बिजबिहाड़ा, जेनपोरा, पुलवामा, राजपोरा और त्राल पर हमारे नेता निर्दलीय मैदान में नामांकन जमा करा सकते हैं। कुछ सीटों पर हम निर्दलियों को समर्थन देंगे। उत्तरी व सेंट्रल कश्मीर में पांच सीटों पर हम उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं। गत जुलाई में जमात नेता अब्दुल हमीद गनई उर्फ हमीद फैयाज ने बताया था कि गुलाम कादिर वानी के नेतृत्व में जमात की समिति विधानसभा चुनाव में शामिल होने के मुद्दे पर केंद्र के साथ बातचीत कर रही है।

1972 में जमात के 22 प्रत्याशी लड़ा था चुनाव

1972 में हुए चुनाव में जमात के 22 में से पांच, 1977 के विधानसभा चुनाव में 19 में एक प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। 1983 के चुनाव में 26 उम्मीदवार मैदान में उतारे और सभी हार गए। 1987 में मुस्लिम युनाइटेड फ्रंट के बैनर तले कश्मीर में प्रमुख संगठनों ने नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस गठजोड़ के खिलाफ उम्मीदवार उतारे। फ्रंट के चार उम्मीदवार जीते थे। ये सभी जमात के थे। इनमें से तीन दक्षिण कश्मीर से ही जीते थे।

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2014 से लगा है प्रतिबंध

जमात से जुड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने के इच्छुक अपने नेताओं के नाम जाहिर नही किए हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि इनमें एक डॉ. तलत माजिद हैं, जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए कृषि विभाग में अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया है। वह पुलवामा या फिर राजपोरा से चुनाव लड़ सकते हैं। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार ने फरवरी 2014 में पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाया था। इस प्रतिबंध को इसी वर्ष फरवरी में पुन: पांच वर्ष के लिए बढ़ाया गया है।

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