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'कोर्ट में सर्वश्रेष्‍ठ वकीलों को किया शामिल', अनुच्छेद 370 को रद्द करने की चुनौती पर बोले उमर अब्‍दुल्‍ला

Jammu Kashmir News उमर अब्‍दुल्‍ला बोले कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय में सर्वश्रेष्ठ वकीलों को शामिल किया है। इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) मुख्यालय नवा-ए-सुबह में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम को नियुक्त करने से बेहतर कुछ नहीं कर सकती थी।

By AgencyEdited By: Himani SharmaUpdated: Thu, 17 Aug 2023 08:57 PM (IST)
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'कोर्ट में सर्वश्रेष्‍ठ वकीलों को किया शामिल', अनुच्छेद 370 को रद्द करने की चुनौती पर बोले उमर अब्‍दुल्‍ला

श्रीनगर, एजेंसी: पार्टी नेता उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय में सर्वश्रेष्ठ वकीलों को शामिल किया है और उम्मीद जताई कि न्यायाधीश उनके तर्कों से आश्वस्त होंगे।

हम लड़ रहे हैं और हम न्याय की उम्मीद के साथ वहां हैं। हमने कोई कसर नहीं छोड़ी, हमने सर्वश्रेष्ठ वकीलों को शामिल किया और उनके प्रदर्शन की सभी ने सराहना की है। सुनवाई चल रही है और हमें उम्मीद है कि न्यायाधीश हमारे तर्कों से आश्वस्त होंगे। यह चलता रहेगा और हम इंतजार कर रहे हैं।

हमने सर्वश्रेष्ठ वकीलों को किया है नियुक्त- नेकां उपाध्‍यक्ष

इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) मुख्यालय नवा-ए-सुबह में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम को नियुक्त करने से बेहतर कुछ नहीं कर सकती थी।

नेकां उपाध्यक्ष ने कहा कि हमने सर्वश्रेष्ठ वकीलों को नियुक्त किया है। कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम देश के शीर्ष पांच वकीलों में से दो हैं। जीत या हार भगवान के हाथ में है। इंसान सिर्फ कोशिश ही कर सकता है और हमने कोई कसर नहीं छोड़ी। अब हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें सफलता दे।

शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का नाम कोई नहीं मिटा सकता

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा शेर-ए-कश्मीर के नाम से मशहूर एनसी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का नाम डल झील के किनारे कन्वेंशन सेंटर समेत सरकारी इमारतों से हटाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि उनका नाम कोई नहीं मिटा सकता।

लोगों के दिलों में उनका नाम है। उन्होंने कहा कि आप इमारतों से उनका नाम हटा सकते हैं लेकिन लोगों के दिलों से नहीं। अगर आप SKICC, क्रिकेट स्टेडियम या अस्पतालों से शेर-ए-कश्मीर का नाम हटा देंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आप सच को छुपा नहीं सकते। सीजेआई ने लोगों के सामने उस सच्चाई को ताजा कर दिया है।

गुलाम नबी के बयान पर बोले अब्‍दुल्‍ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शीर्ष अदालत में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे।

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि कश्मीर में मुसलमान ज्यादातर हिंदू धर्म से धर्मांतरित हैं। अब्दुल्ला ने कहा, “मुझे नहीं पता कि उन्होंने यह किस संदर्भ में कहा है या क्यों और ऐसा कहकर वह किसे खुश करना चाहते हैं।”

जम्मू-कश्मीर सेवा चयन भर्ती बोर्ड (जेकेएसएसआरबी) द्वारा विज्ञापित विभिन्न पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रशासन द्वारा एक अन्य एजेंसी टीसीएस लाने के बारे में एक सवाल पर, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार भर्तियां पूरी करने में "विफल" रही है।

कोई सूची फाइनल नहीं

“तुम्हें जो भी मिला, वह असफल रहा। एप्टेक पर जांच पूरी नहीं हुई है, कोई सूची फाइनल नहीं हुई है। अब आप इसमें टीसीएस ला रहे हैं। अब्दुल्ला ने पूछा क्या 2019 से पहले कोई सूची फाइनल नहीं हुई थी? क्या भर्तियां पारदर्शी तरीके से नहीं की गईं? क्या लोगों की भर्ती नहीं की गई? अलग-अलग सरकारों ने यहां भर्तियां की हैं। क्या कारण है कि राज्यपाल शासन में भर्तियां नहीं हो रही हैं?”

टीसीएस लेने की नहीं थी कोई जरूरत

अब्‍दुल्‍ला ने कहा, "टीसीएस लेने की कोई जरूरत नहीं थी। जेकेएसएसआरबी को मजबूत बनाएं। इसमें सही लोगों को लाएं। जब आप ऐसा करेंगे तो प्रक्रिया सही हो जाएगी।" भर्ती परीक्षाओं के संचालन में अनियमितताओं के आरोपों के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जुलाई में पुलिस उप-निरीक्षक भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी और मामला सीबीआई को सौंप दिया। इसी तरह के आरोप अग्निशमन और आपातकालीन सेवा परीक्षा के आयोजन में भी सामने आए। परीक्षा प्रक्रिया संचालित करने वाली एजेंसी एप्टेक पर उंगलियां उठाई गईं।