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अनंतनाग में मुठभेड़ के चौथे दिन जम्मू कश्मीर में आखिरी सांसे गिन रहे आतंकवाद पर LG मनोज सिन्हा से खास बातचीत

Manoj Sinha Interview जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दैनिक जागरण को दिए साक्षात्कार में आतंकवाद और केंद्र शासित प्रदेश में आए बदलाव को लेकर खुलकर बात की है। उन्होंने विकसित प्रदेश बनाने की तैयारियों को लेकर बात करते हुए कहा कि लिथियम का खनन आरंभ होते ही जम्मू कश्मीर के राजस्व में बेतहाशा वृद्धि होगी। साथ ही उन्होंने आतंकवाद और अलगाववाद को लेकर भी कई बड़ी बातें की हैं।

By Jagran NewsEdited By: Gurpreet CheemaUpdated: Sat, 16 Sep 2023 05:22 PM (IST)
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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से खास बातचीत

श्रीनगर। Interview with LG Manoj Sinha: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आखिरी सांसें गिन रहे आतंकवाद के बौखलाहट भरे कायराना हमलों को छोड़ दिया जाए तो पुनर्गठन के चार साल में जम्मू कश्मीर तेजी से बदलाव की राह पर आगे बढ़ा है। आतंक और अलगाववाद की कहानी अब पुरानी हो गई लगती है और युवाओं में अब उल्लास और उमंग की लहर दिखाई देती है। गलियों व चौराहों पर तिरंगा यात्राएं बदलाव की गवाही दे रही हैं। आतंक का फन कुचल जम्मू कश्मीर अब औद्योगिक क्रांति की ओर कदम बढ़ा चुका है। साथ ही राह में चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

मुख्यधारा में लौट रहे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर जुटाने हैं तो फिर से घाटी में लौट रहे फिल्म उद्योग को आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाना है। आम जनमानस के समक्ष एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन उपलब्ध करवाने की चुनौती है। जम्मू कश्मीर में हो रहे बदलाव, आगे की तैयारियों और चुनौतियों पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ नवीन नवाज से खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर को आर्थिक तौर पर स्वावलंबी और विकसित प्रदेश बनाने की तैयारियों पर भी खुलकर चर्चा की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न- आप तीन वर्ष पूर्व जम्मू कश्मीर आए, तब से आज के जम्मू कश्मीर में क्या बदलाव देखते हैं?

-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति से जो फैसला लिया है, उसका सुखद परिणाम यहां की जनता देख ही नहीं रही, अनुभव भी कर रही है। पत्थरबाजी और हड़ताल बिल्कुल समाप्त हो गई है। स्कूल-कालेज सामान्य रूप से खुल रहे हैं। कारोबारी गतिविधियां तेज हुई हैं। लोग अपनी इच्छानुसार जिंदगी बिता रहे हैं। उन्हें अब आतंकियों और अलगाववादियों के फरमान का डर नहीं सताता। यही वजह है वर्षों के बाद कश्मीर में नाइट लाइफ फिर से बहाल हुई है।

आपको कश्मीर का नौजवान हाथों में गिटार लिए, किसी पार्क में या झेलम किनारे गाते-बजाते नजर आएगा। खेल के मैदान में दिखेगा। सिनेमा हाल फिर से खुले हैं। यहां निवेश बढ़ रहा है। अब यहां लोगों को आजादी के नारे पर कोई गुमराह नहीं कर सकता।

कश्मीरियों को अपने राजनीतिक हितों के लिए चारे के तौर पर इस्तेमाल करने वाले तत्व बेनकाब हो चुके हैं। कश्मीरी उन्हें पहचान चुके हैं। कश्मीर में 34 वर्ष बाद मुहर्रम का जुलूस अपने परंपरागत मार्ग पर पूरी श्रद्धा के साथ निकला है, कोई हिंसा नहीं हुई है।

प्रश्न- आपके समक्ष जम्मू कश्मीर में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?

-यहां तत्काल एक कर्मठ, पारदर्शी, ईमानदार और त्वरित प्रशासनिक व्यवस्था को बहाल करने की चुनौती थी। यहां वित्तीय अनुशासन को सुनिश्चित करना था। प्रशासनिक व्यवस्था में आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थकों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करना था। ऐसा तंत्र विकसित हो चुका था जहां कुछ भी करने के लिए प्रशासनिक अनुमति की आवश्यकता ही नहीं होती थी। यूं कह सकते हैं कि कुछ लोगों ने जान-बूझकर ऐसी व्यवस्था बना कर रखी थी।

सरकारी तंत्र में भी अलगाववादी समर्थक हावी थे, उन्हें चिह्नित किया जा रहा है। मैं यह नहीं कह सकता कि ऐसे तत्व पूरी तरह से बाहर हो गए पर हम काफी बदलाव लाने में सफल रहे हैं। हमने सरकारी कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली को लागू किया है। लगभग 700 सेवाओं को ऑनलाइन बनाया गया है। जन सुरक्षा अधिनियम के तहत 276 सेवाओं को आटो एस्केलेशन मोड पर लाया है। इसी माह यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो जाएगी।

अगर कोई संबंधित अधिकारी निर्धारित समय पर काम नहीं करेगा तो स्वत: उच्चाधिकारी के पास आवेदन चला जाएगा और समय पर काम न करने वाले अधिकारी को पेनाल्टी लग जाएगी। विभागीय कार्रवाई होगी अलग से। हमने ई-टेंडरिंग की व्यवस्था को पूरी तरह से लागू किया है।

परियोजनाओं की जियो टैगिंग और मैपिंग सुनिश्चित करने से निर्धारित समय में योजनाएं पूरी हो रही हैं, संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। प्रशासन में छिपे भ्रष्ट तत्वों को चिह्नित करते हुए लोगों को एक भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था प्रदान की गई है।

प्रश्न- सरकार मानती है कि हालात पूरी तरह सुधर गए हैं, लेकिन टारगेट किलिंग की कुछ घटनाएं हुई हैं। राजनीतिक दलों के नेता भी कहते हैं कि यहां हालात अभी ठीक नहीं हैं?

- मैं चीजों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखता। पार्टियों की अपनी राजनीतिक मजबूरियां होती हैं, लेकिन अगर आप लोगों से पूछेंगे तो वे सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। यहां हालात में सुधार का दावा सिर्फ दावा नहीं है। जम्मू कश्मीर के लोग अब शांति, विकास और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। आतंकियों का पारिस्थितिक तंत्र लगभग नष्ट हो चुका है। स्थानीय आतंकियों की भर्ती पर लगभग अंकुश लगा है। कश्मीर में आतंकी हिंसा मौजूदा समय में सबसे कम है। लोग आतंकियों का साथ नहीं देते।

घुसपैठ में कमी आई है, सुरक्षा ग्रिड अभेद्य है। आतंकवाद अपने अंतिम चरण में है। आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ हर स्तर पर कार्रवाई हो रही है। प्रशासन में छिपे बैठे आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थकों को चुन-चुनकर बाहर किया जा रहा है। कश्मीर में जी-20 पर्यटन कार्यसमूह के सम्मेलन के खिलाफ राष्ट्रविरोधी तत्वों ने और कुछ दूसरे देशों ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अभियान चलाया। कुछ लोग इस सम्मेलन के सुरक्षित आयोजन को लेकर आशंकित थे, लेकिन यह सम्मेलन एक सुरक्षित, शांत और विश्वासपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ है।

इसने दुनिया को बदलते कश्मीर की एक नई तस्वीर दिखाई है। इससे जम्मू कश्मीर की जनता और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है। जम्मू के कुछ हिस्सों में कुछ आतंकी घटनाएं हुई हैं। उनका संज्ञान लिया गया है। सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई कर रहे हैं। सुरक्षाबलों का पहले ध्यान पूरी तरह कश्मीर पर केंद्रित था और इसका फायदा आतंकियों ने लिया। अब जम्मू संभाग में भी कश्मीर की तर्ज पर आतंकरोधी अभियान शुरू किए गए हैं। इसका असर दिखाई भी दे रहा है।

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प्रश्न- स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में कश्मीर में निकाली गई तिरंगा रैलियों को कुछ नेता दिखावा बताते हैं?

- मैं उनकी बात नहीं करूंगा। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कश्मीर में तिरंगा रैलियां सभी ने देखी हैं। जम्मू कश्मीर में विशेषकर कश्मीर में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, यहां तिरंगा रैली न हुई हो। आम लोग स्वयं राष्ट्रध्वज लेकर घरों से बाहर निकले। स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए लोगों का उत्साह देखने लायक रहा है। लालचौक में लोग तिरंगा लेकर घूमते दिखाई दिए।

मैं स्वयं भी रैली में शामिल हुआ। इस वर्ष यहां स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 42 हजार तिरंगा रैलियां व कार्यक्रम आयोजित किए गए और उनमें 36 लाख लोग शामिल हुए। यह बताता है कि कश्मीर के लोग भी राष्ट्रवादी हैं और देश के अन्य हिस्सों के लोगों की तरह वह तिरंगे में, भारतीय लोकतंत्र और संविधान में पूरी आस्था रखते हैं।

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प्रश्न- आपको जम्मू कश्मीर में अगली नई चुनौती कौन सी नजर आती है?

- जम्मू कश्मीर को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना प्रमुख लक्ष्य और चुनौती है। यहां वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता को पूरी तरह से सुनिश्चित करना होगा। नए उद्योगों के आने और पारदर्शी माहौल बनने से यहां कर संग्रह तेजी से सुधरा है और जीएसटी में वृद्धि दर को पूरा देश सराह रहा है। लेकिन अभी जम्मू कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काफी कुछ किया जाना है। हम यहां ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त करने जा रहे हैं। लिथियम और नीलम के खजाने यहां हैं।

लिथियम के सर्वे के बाद उनका उत्खनन किया जाएगा। जी3 सर्वे के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से हमें 64 करोड़ रुपये की राशि मिली है। एक बार लिथियम का खनन आरंभ होते ही जम्मू कश्मीर के राजस्व में बेतहाशा वृद्धि होगी। यह भारत ही दुनिया की लिथियम जरूरतों को पूरा कर पाएगा। कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों के समग्र विकास और इनमें स्थानीय युवाओं को रोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए हमने एक प्रभावी व समेकित कृषि विकास योजना बना लागू की है।

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इस योजना के तहत 29 योजनाएं शुरू की हैं। इससे किसानों के साथ जम्मू कश्मीर के गांव की भी आर्थिक सेहत सुधरेगी। साथ ही प्रदेश में 26 हजार करोड़ रुपये के निवेश योजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें से कई शुरू हो चुकी हैं। उम्मीद है कि जल्द ही निवेश का आंकड़ा 75 हजार करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। इससे सरकार को राजस्व मिलेगा ही युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

प्रश्न- हालात बदलने से जम्मू कश्मीर में आम जनता कैसे लाभान्वित हुई? आप इस पर कुछ बताएंगे?

- जम्मू कश्मीर अभी तक एक कनफ्लिक्ट इकोनामी रही है। यहां पैसा बहुत आया पर लाभ चंद लोगों को लाभ पहुंचा है। हमने आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को लगभग नष्ट कर दिया है। इससे यहां के समग्र हालात में बदलाव आया है। बीते वर्ष यहां 1.88 करोड़ पर्यटक आए थे। इस वर्ष जुलाई तक 1.27 करोड़ पर्यटक आ चुके हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस वर्ष 2.25 करोड़ सैलानी आएंगे। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि सीधे आम आदमी की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करती है।

इससे होटल बुकिंग बढ़ी है। टैक्सीवाले व आम दुकानदार सीधे लाभान्वित होते हैं। होम स्टे से गांवों तक पर्यटक पहुंच रहे हैं और ग्रामीणों की आय बढ़ी है। दुकानें व बाजार नियमित खुल रहे हैं। इससे आम आदमी को सीधा लाभ मिल रहा है। विकास योजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। देश-विदेश से पूंजी निवेशक जम्मू कश्मीर में आ रहे हैं, निवेश कर रहे हैं। इससे रोजगार बढ़ेंगे। फिल्म पर्यटन बढ़ा है। स्थानीय कलाकारों को इनमें काम मिल रहा है।

प्रश्न- कश्मीरी हिंदुओं की वापसी एक बड़ा मुद्दा रहा है, उनके पुनर्वास के लिए समय-समय पर योजनाएं बनी हैं, लेकिन वापसी नहीं हुई। आपको क्या लगता है कितना समय लगेगा?

- कश्मीरी हिंदुओं की कश्मीर में सम्मानजनक, सुरक्षित और विश्वासपूर्ण वातावरण में वापसी एवं पुनर्वास के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कश्मीरी हिंदुओं की वापसी के लिए ही प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज योजना बनी थी, लेकिन उसके तहत आवंटित पदों को भी नहीं भरा गया। हमने इन पदों की सुंख्या दोगुनी की और सभी पदों को भरा गया। उनकी पदोन्नति का मुद्दा हल किया गया है। गैर राजपत्रित से राजपत्रित पद पर पदोन्नति के मामले भी थे। उनके लिए आवासीय सुविधा का भी एक बड़ा मुद्दा था।

उसे हल किया गया है। उनके लिए एक कमरे वाला फ्लैट बनाया जाना था, लेकिन बिना प्रशासकीय अनुमति और वित्तीय औपचारिकताओं को पूरा कर दो कमरों वाले फ्लैट बनाए गए। इससे कई दिक्कतें पैदा हुई हैं। एक वर्ष में हमने 576 फ्लैट्स वादी में कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को प्रदान किए हैं। दिसंबर तक दो हजार फ्लैट और तैयार कर लेंगे। अगले वर्ष तक कश्मीर में कार्यरत सभी विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधा को सुनिश्चित कर लेंगे।

कश्मीरी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक कर्मचारियों में सुरक्षा एवं विश्वास की भावना पैदा करने के लिए उन्हें जिला मुख्यालयों और तहसील या प्रमुख कस्बों में तैनात किया जा रहा है। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कम से कम तीन कश्मीरी हिंदू या जम्मू से कश्मीर में नियुक्त कर्मचारी एक साथ एक कार्यालय में हों।

उनकी तर्कसंगत समस्याओं के समाधान के लिए वादी में जिला स्तर पर विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने विधानसभा में कश्मीरी हिंदुओं के लिए दो सीटें आरक्षित कर, कश्मीर में उनकी वापसी और जम्मू कश्मीर में उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

अगर कोई विस्थापित कश्मीरी हिंदू कश्मीर लौटना चाहता है और उसके पास वहां मकान बनाने के लिए जमीन नहीं है तो उसे नियमों के आधार पर सस्ती दर पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। घाटी में विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है। कई कश्मीरी मुसलमान इसका समर्थन करते हैं।

प्रश्न- जैसा कि आतंकवाद अब मरणासन्न है, लोग आतंकियों का साथ नहीं देते और कई आतंकी लौटना चाहते हैं, ऐसे में क्या आतंकियों के लिए कोई पुनर्वास योजना लागू की जाएगी?

- पुनर्वास योजना सिर्फ आम लोगों के लिए होती है, गरीब जनता के लिए होती है। पीड़ितों के लिए होती है। आतंकियों के लिए नहीं। आतंक के मसले पर कोई राहत नहीं है। हां, मैं यह कहता हूं कि जो लोग महसूस कर रहे हैं कि वह राह से भटक गए हैं, वह हथियार डालें और मुख्यधारा में शामिल हों।

प्रश्न- आतंकवाद अब समाप्त हो रहा है, लेकिन नशे का दानव लगातार बढ़ रहा है, इस पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जा सका है?

- नशे को आप पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से अलग मत देखिए। पाकिस्तान ने आतंक और अलगाववाद के मोर्चे पर मुंह की खाने के बाद कश्मीर में यह नया षड्यंत्र रचा है। युवा पीढ़ी को नशे के चक्रव्यूह में फंसाने की साजिश है। पाकिस्तान से नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है। नशे का पैसा ही आतंकियों के पास जा रहा है। इसके खिलाफ एक व्यापक रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस पर निरंतर काम कर ही हैं।

ड्रग्स के कारोबार में लिप्त तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है। उन्हें कानून के मुताबिक सजा दिलाने के अलावा उनकी संपत्ति को भी जब्त किया जा रहा है। नशा पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास पर काम हो रहा है। समाज और आम जन को नशा मुक्त समाज, नशा मुक्त जम्मू कश्मीर अभियान के साथ जोड़ा गया है। नशा मुक्त पंचायत की अवधारणा पर काम शुरू किया गया है और प्रदेश में अब कई पंचायतों को नशामुक्त बनाया गया है। यह वह लड़ाई है जिसे जनसहयोग के बिना नहीं जीता जा कसता। जनता को इसमें सहयोग करना होगा।

प्रश्न- क्या आप जम्मू कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान की उपलब्धियों से संतुष्ट हैं?

- मेरा कार्यकाल यहां कैसा रहा है और मेरी क्या उपलब्धियां हैं, इसका आकलन मैं कैसे कर सकता हूं । यहां आज आम लोग क्या महसूस करते हैं, उनकी जिंदगी में किस तरह से बदलाव आया है, इसलिए मेरे कार्यकाल का वही मूल्यांकन करेंगे।

प्रश्न- क्या आपको लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने जम्मू कश्मीर के मुखिया के तौर पर जो लक्ष्य आपको सौंपा था, पूरा हो गया है। ऐसे में क्या आप राष्ट्रीय राजनीति में लौट जाएंगे, क्या 2024 का संसदीय चुनाव लड़ेंगे।

- मुझे जो काम सौंपा गया था, उसी पर फोकस कर रहा हूं। फिलहाल, मुझे जम्मू कश्मीर की जिम्मेवारी दी गई है और मेरा यह लक्ष्य है कि मेरे हर कार्य से यहां के लोगों का जीवन बेहतर हो सके। उनके जीवन में खुशहाली ला सकूं, यही प्रयास है। इसके अलावा कुछ नहीं।