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JK Lok Sabha Election Results: अनंतनाग-राजौरी में पीडीपी पर भारी पड़ी नेकां, मियां अल्ताफ के जीतने में इस समुदाय का बड़ा हाथ

अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर मियां अल्ताफ अहमद लारवी चुनाव जीते हैं। राजनीतिक मामलों के जानकारों का मानना है कि अनंतनाग-राजौरी सीट पर नेशनल कान्फ्रेंस की जीत में मियां अल्ताफ का गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का पीर होना भी बड़े काम आया। नेकां को जो वोट मिला है वह पूरी तरह से धर्म के आधार पर और भाजपा पीडीपी के खिलाफ मिला है।

By Rajiv Mishra Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 05 Jun 2024 09:41 AM (IST)
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मियां अल्ताफ का गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का पीर होना काम आया (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो,श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पांचों लोकसभा सीटों में सबसे चर्चित अनंतनाग-राजौरी सीट पर मियां अल्ताफ अहमद लारवी चुनाव जीते हैं। पीर पंजाल पर्वत के दोनों तरफ जम्मू संभाग और कश्मीर में विस्तृत अनंतनाग-राजौरी सीट पर मियां अल्ताफ अहमद 5,21,836 वोटों के साथ विजयी रहे हैं वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को 2,40,042 वोट मिले और दूसरे स्थान पर रहीं।

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के जफर इकबाल मनहास 1,42,195 वोटों से आगे नहीं बढ़ पाए और तीसरे स्थान पर सीमित रहे। मियां अल्ताफ की यह लगातार छठी चुनावी जीत है।

इससे पहले वह पांच बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। महबूबा मुफ्ती को इस सीट पर लगातार दूसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा है। साल 2019 में भी वह अनंतनाग सीट हार गई थी।

मियां अल्ताफ का गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का पीर होना काम आया

राजनीतिक मामलों के जानकारों का मानना है कि अनंतनाग-राजौरी सीट पर नेशनल कान्फ्रेंस की जीत में मियां अल्ताफ का गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का पीर होना भी बड़े काम आया। नेकां को जो वोट मिला है वह पूरी तरह से धर्म के आधार पर और भाजपा, पीडीपी के खिलाफ मिला है।

अगर ऐसा नहीं होता तो जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी सिर्फ उन्हीं इलाकों में किसी हद तक वोट बटोरती नजर आयी जहां उसके स्थानीय नेता प्रभावी थे। किसी ने भी उसके यथार्थवादी राजनीति और विकास के एजेंडे को तरजीह नहीं दी।

भाजपा के वोट बैंक का भी उसे कोई ज्यादा लाभ नहीं हुआ। इसके अलावा राजौरी-पुंछ में भाजपा से संबंधित पहाड़ी समुदाय के कई मुस्लिम नेताओं ने खुलेआम पीडीपी का समर्थन किया।

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अनंतनाग-राजौरी सीट पर भाजपा की यह थी रणनीति

गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के प्रभाव वाली इस सीट पर 85 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम ही हैं। भाजपा को उम्मीद थी कि उसने गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय को जो राजनीतिक आरक्षण दिया है उसका उसे लाभ मिलेगा।

भाजपा यह मानकर चल रही थी कि नेकां-पीडीपी के बीच वोटों का बंटवारा होगा और जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक पार्टी भी दक्षिण कश्मीर में नेकां-पीडीपी के वोट काटेगी। यह भी दिलचस्प है कि अपनी पार्टी के उम्मीदवार को पहाड़ी समुदाय होने का लाभ न सिर्फ दक्षिण कश्मीर में मिलेगा बल्कि राजौरी-पुंछ में भी उन्हें फायदा होगा।

इसके अलावा राजनीतिक आरक्षण और जनजातीय समुदाय से लाभान्वित गुज्जर-बक्करवाल समुदाय, पहाड़ी समुदाय, जिसके नेताओं ने एक बार नहीं कई बार कहा कि वह भाजपा के इस अहसान का बदला चुनाव में चुकाएंगे।

भाजपा की रणनीति भांप कर ही नेकां ने मियां अल्ताफ को बनाया था उम्मीदवार

नेकां ने भाजपा की रणनीति को पहले ही दिन भांप कर मियां अल्ताफ अहमद लारवी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके साथ ही नेकां ने इस पूरे क्षेत्र में आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार किया। उसने इस्लाम का भी सहारा लिया।

अनंतनाग-कुलगाम में उसने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ वोट मांगा और कहा कि स्थानीय संसाधनों पर बाहरी लोगों का कब्जा हो रहा है। उसने पीडीपी को भी निशाना बनाया। राजौरी-पुंछ में उसने विकास को मुद्दा बनाने के साथ साथ भाजपा को इस्लाम व मुस्लिम विरोध साबित करने का प्रयास किया।

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