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Jammu Kashmir News: क्षीर भवानी मेले में पहुंचे 40 हजार कश्मीरी हिंदू, घर वापसी की उम्मीदों के जलाये दीये, छलका दर्द; बोले- पूर्वजों की मिट्टी में बनाएंगे घर

Kashmiri Hindu Return शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त भूषण लाल बीते 20 वर्ष से अपने बेटे और बहू के साथ दिल्ली में रह रहे हैं। कश्मीर से पलायन करने के बाद वह कई वर्ष जम्मू में रहे। उन्होंने कहा कि तुलमुला का मतलब ही रुई जैसी भूमि है। हम लौटेंगे और हमारे बच्चे भी एक दिन जरूर यहां अपने पूर्वजों की मिट्टी में आकर घर बनाएंगे।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 15 Jun 2024 10:31 AM (IST)
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Kashmiri Hindu Return: क्षीर भवानी मंदिर में दर्शन करने लाइन में लगे हैं कश्मीरी हिंदू।
नवीन नवाज, तुलमुला (गांदरबल)। मध्य कश्मीर में गांदरबल जिले के तुलमुला में मां राघेन्या देवी को समर्पित क्षीर भवानी मेला शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया। मेले में देश के विभिन्न भागों से हजारों कश्मीरी हिंदू पहुंचे हैं। यह मेला सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है और कश्मीरी हिंदुओं ने माता की पूजा कर घाटी में सम्मानपूर्ण वापसी की उम्मीदों की दीये जलाए।

मां क्षीर भवानी के दरबार में माथा टेकने के लिए सिर्फ कश्मीरी हिंदू ही नहीं, बल्कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन, पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला, भाजपा के प्रदेश प्रमुख रविंद्र रैना और इल्तिजा मुफ्ती भी पहुंचे थे। सभी ने कश्मीर में शांति और खुशाहाली की कामना की।

मां दुर्गा का ही स्वरूप है क्षीर भवानी

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, करीब 40 हजार श्रद्धालुओं माता क्षीर भवानी की पूजा की। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार ज्यादा श्रद्धालु आए हैं। इधर, जम्मू के जानीपुर क्षेत्र में स्थित मां राघेन्या के दरबार में भी कश्मीरी हिंदू श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। शुक्ल पक्ष की ज्येष्ठ अष्टमी पर हर साल तुलमुला में पूजा का विधान है। मां राघेन्या, जिन्हें माता क्षीर भवानी भी पुकारा जाता है, को मां दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है।

कश्मीर से नहीं टूटेगा नाता

मां राघेन्या कश्मीरी हिंदुओं की आराध्य देवी हैं। उनका मुख्य अस्थापन लालचौक से करीब 27 किलोमीटर दूर स्थित तुलमुला में है। तुलमुला को क्षीर भवानी भी कहा जाता है। मंदिर परिसर में दीये जला रहे भूषण लाल बट ने कहा कि यह दीया हमारी उम्मीदों का दीया है। जब तक यहां मां राघेन्या का यह दीया जलता रहेगा, कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं का नाता कभी नहीं टूटेगा।

हम लौटेंगे..जरूर लौटेंगे

जीवन के 70 वसंत पार कर चुके भूषण लाल बट उन सैकड़ों विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं मे एक हैं जो देश-विदेश से तुलमुला में वार्षिक पूजा में शामिल होने आए हैं। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त भूषण लाल बीते 20 वर्ष से अपने बेटे और बहू के साथ दिल्ली में रह रहे हैं। कश्मीर से पलायन करने के बाद वह कई वर्ष जम्मू में रहे। उन्होंने कहा कि तुलमुला का मतलब ही रुई जैसी भूमि है। हम लौटेंगे और हमारे बच्चे भी एक दिन जरूर यहां अपने पूर्वजों की मिट्टी में आकर घर बनाएंगे। यही उम्मीद लिए हर वर्ष यहां आते हैं।

पुश्तैनी घर देखे कश्मीरी हिंदू

यहां कई कश्मीरी हिंदू यहां आकर अपने पुश्तैनी घरों को भी देखने गए। मंदिर के समक्ष पूजा की थाली लिए जलकुंड में दूध और खीर का प्रसाद अर्पित करने के लिए खड़े संदीप बट ने कहा कि मेरा पूरा परिवार 1990 में दिल्ली चला गया था। मैं वहीं पैदा हुआ। मैं पहली बार यहां 1999 में आया था। मेरे साथ मेरी पत्नी और मां है। मेरी पत्नी राजस्थान की है और वह पहली बार यहां आई है।

जम्मू हमलों का नहीं दिखा असर

जम्मू संभाग के रियासी व कठुआ में हुए आतंकी हमलों का माता क्षीर भवानी के मेले पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। श्रद्धालु बेखौफ होकर जम्मू से तुलमुला में पहुंचे। जम्मू से लेकर श्रीनगर तक सुरक्षा के कड़े प्रबंध थे। गांदरबल जिले में भी सुरक्षा कड़ी की गई थी।

1000 श्रद्धालुओं की क्षमता का बनेगा यात्री निवास: सिन्हा

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि गांदरबल जिले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक हजार यात्रियों को ठहराने की क्षमता वाला यात्री निवास बनाया जाएगा। इसे आठ माह में तैयार कर लिया जाएगा। यह यात्री निवास मंदिर के आसपास ही बनाया जाएगा। इस निवास में माता क्षीर भवानी के श्रद्धालुओं के लिए सभी सुविधाएं होंगी। उन्होंने बताया कि गत वर्ष श्रद्धालुओं ने यात्री निवास के निर्माण का आग्रह किया था। इसे संज्ञान लेते हुए यात्री निवास की के लिए रूपरेखा तय की गई है। जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।

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