Article 370 हटने के बाद हुए बड़े बदलाव, फिर भी कई चुनौतियों से जूझ रहा जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) में Article 370 खत्म होने के पांच साल पूरे हो चुके हैं। इन 5 सालों पर में कई अहम और बड़े बदलाव की दिशा में जम्मू-कश्मीर आगे बढ़ा है लेकिन अभी भी चुनौतियां कम नहीं हुई है। विकास के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन आतंकवाद और नशे के गठजोड़ से मुक्ति पाना अभी बाकी है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। ऐतिहासिक लाल चौक में स्थित घंटाघर के शिखर पर अब शान से तिरंगा लहराता है, घंटाघर के नीचे आम कश्मीरी ही नहीं, देश-विदेश से आने वाले सैलानी भी निर्भय होकर सेल्फी लेते हैं। पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
आजादी और पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा झेलम की लहरों में कहीं गुम हो चुका है। स्थानीय लोगों ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पूरे उत्साह से न सिर्फ भाग लिया बल्कि बीते 35 वर्ष में अब तक के सबसे ज्यादा 58.46 प्रतिशत मतदान का रिकॉर्ड भी बनाया।
1 लाख 26 हजार करोड़ के मिले निवेश प्रस्ताव
आतंकी हिंसा अपने न्यूनतम स्तर पर जा पहुंची है। सुरक्षा एवं विश्वास के वातावरण की बहाली के बीच बीते पांच वर्ष में प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए 4.74 लाख लोगों को रोजगार देने की अपेक्षित क्षमता के साथ 1,26,582 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव भी प्राप्त हुए हैं।यह सब पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के ऐतिहासिक निर्णय से संभव हुआ है, लेकिन अभी भी चुनौतियां कम नहीं हुई हैं।
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विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा जम्मू-कश्मीर
बीते पांच वर्ष के दौरान कश्मीर में कई सिनेमा हाल खुले हैं, राष्ट्रीय खेल प्रतियोगताएं हो रही हैं, जी-20 सम्मेलन का सफल आयोजन, स्कूल कॉलेजों में छात्रों की नियमित उपस्थिति ने सभी के आत्मविश्वास में नई भावना को बढ़ाया है।
इससे पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता सीमा पार से गोलीबारी, आतंकी हिंसा, बंद, पथराव और हड़ताल व आजादी के नारों से तंग आ चुकी थी। जम्मू-कश्मीर में अब सभी केंद्रीय कानून लागू हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग को ही नहीं अनुसूचित जनजातियों को भी उनका हक मिला है।
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