Jammu Kashmir News: पारंपरिक कढ़ाई कला से बदलते कश्मीर की तस्वीर संवार रहे कारीगर, दुनियाभर में है मांग
जम्मू-कश्मीर में पारंपरिक कढ़ाई की कला से कलाकारों ने प्रदेश की तस्वीर बदल दी है। इसी क्रम में श्रीनगर के डाउनटाउन क्षेत्र के शम्सवारी-फतहकल के एक छोटे से कारखाने में टेपेस्ट्री (हाथ से कपड़े पर कढ़ाई) खूब चलन में है। टेपेस्ट्री की मांग न केवल देश में बल्कि दुनिया भर के कोने-कोने में है। साल 1990 में इस कला के हजारों कलाकार थे।
रजिया नूर, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद-370 हटने के बाद से हालात में लगातार सुधार हो रहा है। सुरक्षित माहौल में अब रोजगार और कश्मीरी कला भी फिर से उत्थान के लिए हिलोर मार रही है।
बीते पांच वर्ष में सिर्फ सुदूर क्षेत्रों में विकास की रेल नहीं दौड़ी है बल्कि सरकार के साथ ही निजी प्रयासों से भी प्रदेश की तस्वीर बदल रही है।श्रीनगर के डाउनटाउन क्षेत्र के शम्सवारी-फतहकल के एक छोटे से कारखाने में टेपेस्ट्री (हाथ से कपड़े पर कढ़ाई) के कुशन कवरों को पैक करते एजाज अहमद अपने अन्य कारीगरों के साथ कुशन कवरों को गिनकर पैकेटों में पैक कर रहे हैं। दरअसल, एजाज को विदेश से टेपेस्ट्री का बड़ा ऑर्डर मिला है।
हस्तकला में माहिर हैं कलाकार
एजाज अहमद पोश की गिनती घाटी के उन गिने चुने कारीगरों में होती है, जो न केवल टेपेस्ट्री बनाने में माहिर हैं, बल्कि मशीनी दौर में दम तोड़ चुकी हस्तकला में नई जान फूंक रहे हैं।
पोश को यह हुनर अपने पूर्वजों से विरासत में मिला। पोश ने कहा, 1990 से पहले एक समय ऐसा था जब इतने ऑर्डर होते थे कि मना करना पड़ता था। फिर ऐसा दौर आया कि हमारे कारखाने वीरान हो गए।
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