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Jammu Kashmir News: अब बारूद की गंध नहीं रसीले सेबों की सुगंध से महक रहा शोपियां; 70 फीसदी लोगों को मिला रोजगार

कभी आतंकियों का गढ़ माने जाने वाला जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir News) का शोपियां पूरी तरह से बदल चुका है। अब यहां की हवाओं में आंतकी की गंध नहीं बल्कि सेबों की सुगंध आती है। साल 2012 से 2020 तक सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच सबसे ज्यादा मुठभेड़ यहीं हुआ था लेकिन अब यहां की 70 प्रतिशत आबादी सेबों की उत्पादन करती है और एक बेहतर जीवन जी रही है।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 02 Aug 2024 10:54 AM (IST)
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सेबों की सुगंध से महक रहा शोपियां (जागरण फाइल फोटो)
नवीन नवाज, श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर में पीर पंजाल की तलहट्टी में स्थित शोपियां में किसान अपने खेतों और बागों में व्यस्त हैं। सड़क व बाजारों में भी भीड़ मौजूद है। किसी के चेहरे पर कोई तनाव नहीं है।

हवा में कहीं भी दूर-दूर तक बारूद की गंध नहीं है, बस हवा के झोंको के संग हल्की सी मीठी सी सुगंध आती है। यह सुगंध बता रही है कि शोपियां बदल चुका है। अब यह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे जिहादियों का गढ़ नहीं रहा है।

यह क्षेत्र देश में मीठे, रसीले व रंगीले सेब उत्पादन का बड़ा केंद्र बन रहा है। सोपोर के बाद पूरे कश्मीर में शोपियां में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन हो रहा है। शोपियां में ही प्रदेश का पहला सेब क्लस्टर 135.23 करोड़ की लागत से विकसित किया जा रहा है।

उत्तरी कश्मीर रहा है सेब उत्पादन का केंद्र

देश में कुल उत्पादित सेब का लगभग 80 प्रतिशत कश्मीर मे ही पैदा होता है। उसमें भी लगभग 30 प्रतिशत सेब दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां में पैदा होता है। कश्मीर में परंपरागत रूप से उत्तरी कश्मीर सेब उत्पादन का केंद्र रहा है।

शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानी डॉ. संदीप ने कहा कि सोपोर में सेब उत्पादन की मात्रा ज्यादा है, लेकिन गुणवत्ता के मामले में शोपियां उससे आगे है। शोपियां में 27 हजार हेक्टेयर पर सेब के बाग हैं। पूरे जिले में 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से सेब उत्पादन के जरिए ही आजीविका कमा रही है।

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सेब उत्पादन के लिए बेहतर है शोपियां का तापमान

यहां की भौगोलिक परिस्थितियां, जमीन में नमी, तापमान सेब उत्पादन के लिए अन्य स्थानों से बेहतर है। शोपियां में प्रति हेक्टेयर 11.2 मीट्रिक टन सेब पैदा हो रहा है। फ्रूट मंडी शोपियां के अध्यक्ष मोहम्मद अमीन पीर ने कहा कि हमारा सेब स्वाद और गुणवत्ता के मामले में सबसे आगे है।

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड या फिर हमारे कश्मीर में ही किसी भी इलाके में पैदा अंबरी, रेड डिलिशियस, अमेरिकन या किसी अन्य किस्म का सेब ले आएं और फिर उसी किस्म का सेब जो शोपियां में पैदा हआ है, दोनों की तुलना करें,फर्क अपने आप पता चलेगा।

बीते वर्ष मंडी में रोजाना 50 करोड़ का कारोबार किया है। औसत 450 ट्रक रोज देश की विभिन्न मंडियों में यही से जाते रहे हैं। एजाज अहमद नामक युवा सेब कारोबारी ने कहा कि अब शोपियां में आपको आतंकी नजर नहीं आएंगे, सिर्फ सेबों के बागों की बहार दिखेगी।

2012 से 2020 तक शोपियां में हुई सबसे ज्यादा मुठभेड़ें

अगर आप वर्ष 2012 से लेकर 2020 तक के हालात का आकलन करेंगे तो दक्षिण कश्मीर में जिला शोपियां में ही सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच सबसे ज्यादा मुठभेड़ें हुई हैं। यहां गर्मियों का मौसम आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिहाज से काफी गर्म रहता आया है,लेकिन अब ऐसा नहीं है।

हमने भी अपने कुछ खेतों को सेब के बागों में बदला है। उच्च घनत्व और अधिक पैदावार वाले सेब का एक बाग पिछले दो वर्ष में तैयार किया है।

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सेब कारोबारी कमा रहे 5 लाख तक

अब्दुल हमीद वानी ने कहा कि मैने अपने गांव रेबन में ही एक निजी मंडी बनाने का फैसला किया। वर्ष 2020 में इसे शुरू किया था और पहले ही वर्ष के तीन माह में मैंने सेब की दो लाख पेटियां बेची।

मेरा भी सेब का बाग है। लगभग नौ हजार पेटी सेब तैयार होता है। मैंने आठ कनाल जमीन पर यह मंडी तैयार की है। यहां सेब कारोबार से जुड़ा प्रत्येक परिवार औसतन पांच लाख हर वर्ष कमा रहा है।

20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

वर्ष 2023-24 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, शोपियां में एक वर्ष की तुलना में सेब उत्पादन में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। बागवानी एवं विपणन विभाग के उपनिदेशक एयाज नतनु ने बताया कि कश्मीर में अब सेब कलस्टर विकसित किया जा रहा है। सेब के नए बाग विकसित किए जाएंगे। पुराने बागों को जीवंत बनाया जाएगा। स्थानीय कारेाबारी ने अपनी पहली निजी मंडी स्थापित की है।

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