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Jammu Kashmir Politics: उमर सरकार में क्यों शामिल नहीं हुई कांग्रेस? महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव को लेकर चला बड़ा दांव

जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल न होकर कांग्रेस ने एक राजनीतिक दांव खेला है। कांग्रेस किसी भी विवादास्पद मुद्दों से दूर रहना चाहती है और उसकी नजर इस समय महाराष्ट्र व झारखंड के चुनाव पर है। यदि भाजपा जम्मू-कश्मीर सरकार को घेरेगी तो उसके सीधे निशाने पर नेशनल कान्फ्रेंस ही होगी कांग्रेस नहीं। इसलिए यह दांव चला है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 20 Oct 2024 02:50 PM (IST)
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Jammu Kashmir News: उमर अब्दुल्ला सरकार में कांग्रेस शामिल नहीं, क्या बोले उमर अब्दुल्ला।

सतनाम सिंह, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल न होकर कांग्रेस ने राजनीतिक दांव चला है। सरकार का हिस्सा न बनकर कांग्रेस किसी भी विवादास्पद मुद्दों से दूर रहना चाहती है। कांग्रेस की नजर इस समय महाराष्ट्र व झारखंड के चुनाव पर है और पार्टी नहीं चाहती कि उसे वहां नुकसान हो।

यदि किसी मुद्दे पर भाजपा जम्मू-कश्मीर सरकार को घेरेगी तो उसके सीधे निशाने पर नेशनल कान्फ्रेंस ही हीगी, कांग्रेस नहीं। मात्र छह सदस्य होने के कारण कांग्रेस की स्थिति पहले ही कमजोर है। इसलिए कांग्रेस जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करवाने पर अपनी राजनीति तेज करेगी।

उमर मंत्रिमंडल तीन मंत्री के पद खाली

उमर मंत्रिमंडल में उमर अब्दुल्ला समेत अभी तक छह मंत्री हैं, तीन खाली हैं। इसलिए महाराष्ट्र व झारखंड चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस सरकार में शामिल होने का फैसला कर सकती है।

इस बीच, शनिवार को जम्मू पहुंचे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के सरकार में शामिल न होने पर कहा कि यह उसका अपना निर्णय है।

कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मात्र छह सीटें ही मिली हैं। इनमें पांच विधायक कश्मीर संभाग और एक जम्मू संभाग से हैं। ये सभी छह मुस्लिम समुदाय से हैं।

दूर रहकर खेला राजनीतिक दांव

कांग्रेस का नेकां के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने कुल 90 में से 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था। नेकां को 42 सीटें मिली हैं। नेकां को माकपा के एक सदस्य, कांग्रेस के छह सदस्यों व पांच निर्दलीय का समर्थन हासिल है।

ऐसे में कांग्रेस को पता था कि उनका एक से अधिक मंत्री नहीं बन सकता है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश प्रधान तारिक हमीद करा और गुलाम अहमद मीर ने पूरे मामले को हाईकमान के समक्ष रखा था।

इसमें यह भी चर्चा हुई थी कि हमारे सदस्यों की संख्या बहुत कम होने के कारण प्रतिनिधित्व भी उसी हिसाब से मिलने वाला है। इसलिए दूर रहकर राजनीतिक का दांव खेला जाए।

भाजपा के निशाने पर नेकां होगी, कांग्रेस नहीं

पहले महाराष्ट्र व झारखंड के चुनाव देख लिए जाएं। हमारा प्रदर्शन ठीक रहता है तो हमारा रुख यहां भी हावी हो सकता है। ऐसे में इसका फायदा यह होगा कि लोगों के बीच यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस राज्य के दर्जे के लिए ही सरकार का हिस्सा नहीं बनी है।

साथ में अगर नेकां अनुच्छेद 370 या अन्य मुद्दों पर घिरती है तो भाजपा के निशाने पर नेकां होगी, कांग्रेस नहीं।महाराष्ट्र व झारखंड चुनाव के चलते किसी भी विवादास्पद मुद्दे से दूर रहना चाहती है कांग्रेस। यदि भाजपा उमर सरकार को घेरेगी तो सीधे निशाने पर नेकां हीगी, कांग्रेस नहीं। राज्य का दर्जा बहाल करवाने पर राजनीति तेज करेगी कांग्रेस।

सरकार में शामिल होने का फैसला हाईकमान करेगी

प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता और वरिष्ठ उपप्रधान रविंद्र शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करवाने के मुद्दे की अहमियत को देखते हुए ही हम मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बने हैं। चाहे हम सरकार का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन हमारा पूरा समर्थन है।

उन्होंने भविष्य में मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने से इन्कार नहीं किया और कहा कि यह फैसला तो हाईकमान ही करेगी।

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