Jammu Kashmir Politics: उमर सरकार में क्यों शामिल नहीं हुई कांग्रेस? महाराष्ट्र-झारखंड चुनाव को लेकर चला बड़ा दांव
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल न होकर कांग्रेस ने एक राजनीतिक दांव खेला है। कांग्रेस किसी भी विवादास्पद मुद्दों से दूर रहना चाहती है और उसकी नजर इस समय महाराष्ट्र व झारखंड के चुनाव पर है। यदि भाजपा जम्मू-कश्मीर सरकार को घेरेगी तो उसके सीधे निशाने पर नेशनल कान्फ्रेंस ही होगी कांग्रेस नहीं। इसलिए यह दांव चला है।
सतनाम सिंह, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल न होकर कांग्रेस ने राजनीतिक दांव चला है। सरकार का हिस्सा न बनकर कांग्रेस किसी भी विवादास्पद मुद्दों से दूर रहना चाहती है। कांग्रेस की नजर इस समय महाराष्ट्र व झारखंड के चुनाव पर है और पार्टी नहीं चाहती कि उसे वहां नुकसान हो।
यदि किसी मुद्दे पर भाजपा जम्मू-कश्मीर सरकार को घेरेगी तो उसके सीधे निशाने पर नेशनल कान्फ्रेंस ही हीगी, कांग्रेस नहीं। मात्र छह सदस्य होने के कारण कांग्रेस की स्थिति पहले ही कमजोर है। इसलिए कांग्रेस जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करवाने पर अपनी राजनीति तेज करेगी।
उमर मंत्रिमंडल तीन मंत्री के पद खाली
उमर मंत्रिमंडल में उमर अब्दुल्ला समेत अभी तक छह मंत्री हैं, तीन खाली हैं। इसलिए महाराष्ट्र व झारखंड चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस सरकार में शामिल होने का फैसला कर सकती है।इस बीच, शनिवार को जम्मू पहुंचे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के सरकार में शामिल न होने पर कहा कि यह उसका अपना निर्णय है।कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मात्र छह सीटें ही मिली हैं। इनमें पांच विधायक कश्मीर संभाग और एक जम्मू संभाग से हैं। ये सभी छह मुस्लिम समुदाय से हैं।
दूर रहकर खेला राजनीतिक दांव
कांग्रेस का नेकां के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने कुल 90 में से 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था। नेकां को 42 सीटें मिली हैं। नेकां को माकपा के एक सदस्य, कांग्रेस के छह सदस्यों व पांच निर्दलीय का समर्थन हासिल है।ऐसे में कांग्रेस को पता था कि उनका एक से अधिक मंत्री नहीं बन सकता है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश प्रधान तारिक हमीद करा और गुलाम अहमद मीर ने पूरे मामले को हाईकमान के समक्ष रखा था।
इसमें यह भी चर्चा हुई थी कि हमारे सदस्यों की संख्या बहुत कम होने के कारण प्रतिनिधित्व भी उसी हिसाब से मिलने वाला है। इसलिए दूर रहकर राजनीतिक का दांव खेला जाए।
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