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Hazratbal Assembly Constituency: ऐतिहासिक हजरतबल सीट पर फतेह NC के लिए क्यों जरूरी? परिसीमन ने बढ़ाई टेंशन

दस वर्ष बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कई विधानसभा क्षेत्रों का राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल चुका है। आतंकी हिंसा और अलगाववाद की राजनीति में अहम भूमिका निभा चुका हजरतबल विधानसभा क्षेत्र (Hazratbal Vidhansabha Seat) भी इस बदलाव से खासा प्रभावित है। यह क्षेत्र नेकां का गढ़ रहा है लेकिन परिसीमन के बाद यहां का परिदृश्य काफी बदल गया है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Wed, 18 Sep 2024 11:40 AM (IST)
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नेकां के गढ़ हजरतबल में पीडीपी कब्जा मजबूत करने के प्रयास में

राब्यू ब्यूरो, श्रीनगर। हजरतबल विधानसभा सीट पर परिसीमन के बाद बदले राजनीतिक परिदृश्य ने कई सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस की पेशानी पर बल डाल दिया है। पुरुषों से अधिक महिला मतदाता वाली हजरतबल सीट पर वर्ष 1957 से 2008 तक नेकां का कब्जा रहा। इस बार निर्दलीय और पीडीपी उसकी चुनौती बढ़ा रहे हैं।

पीडीपी कब्जा मजबूत करने की जुगत में है। 2014 के चुनाव में नेकां का यह किला पीडीपी की उम्मीदवार आसिया नक्काश ने ढहा दिया था। डल झील के उत्तर में स्थित हजरतबल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र कश्मीर के अतीत और वर्तमान का वह पन्ना है जो इसके भविष्य को भी प्रभावित करता है।

NC और पीडीपी के बीच मुकाबला

यही कारण है कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में यहां विजय ध्वज लहराने के लिए प्रयासरत 13 उम्मीदवारों में मुकाबला नेकां और पीडीपी के बीच ही दिख रहा है। नेकां के लिए खोया किला प्राप्त करने की लड़ाई है तो पीडीपी के लिए खिसकते जनाधार बचाए की चुनौती।

चुनावी रैलियों में मतदाताओं की कहीं कम तो कहीं ज्यादा भीड़ उम्मीदवारों के प्रति उनकी प्राथमिकताओं का भी संकेत देती है। इसी सीट पर नेकां के बड़े दिग्गज अली मोहम्मद सागर के पुत्र सलमान अली सागर मैदान में हैं। सलमान सागर श्रीनगर के मेयर भी थे।

पीडीपी ने पूर्व विधायक आसिया नक्काश को मैदान में उतारा है। आसिया नक्काश प्रदेश कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद करा की नजदीकी संबंधी भी हैं।

हजरतबल की ऐतिहासिक दरगाह

टिकट कटने से नेताओं के बागी तेवर

इस बार नेकां के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सईद अखून की नाराजगी भी पार्टी पर भारी पड़ सकती है। वे टिकट नहीं मिलने से बागी तेवर अपनाए हुए हैं।

अखून ने नेकां नेतृत्व पर संगठन में परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उनका हजरबल में अच्छा खासा प्रभाव है। अखून के दामाद का नाम शेख इश्फाक जब्बार है। जब्बार वर्ष 2014 में नेकां के टिकट पर ही गांदरबल से विधायक बने थे। उन्होंने करीब एक वर्ष पहले नेशनल कान्फ्रेंस छोड़ दी और अपना एक अलग दल बनाया है।

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हजरतबल विधानसभा का इतिहास

  • हजरतबल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विश्व प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह के नाम पर है। इसी दरगाह में पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब का मुए मुकद्दस संरक्षित है। कश्मीर में आतंकी हिंसा के दौर और अलगाववाद की राजनीति में हजरतबल की महती भूमिका रही है।
  • दिसंबर 1963 में दरगाह से मुए मुकद्दस के अचानक गायब होने के बाद पूरी घाटी में उबाल आया था। लोग सड़कों पर आ गए थे। लगभग एक माह बाद स्थिति सामान्य हुई थी। इस प्रकरण के कारण पाकिस्तान और बंगलादेश में हुए सांप्रदायिक दंगों से पीड़ित लाखों हिंदुओं को भारत में शरण लेना पड़ी थी।
  • वर्ष 1993 में दरगाह में छिपे आतंकियों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने 15 दिन तक घेराबंदी रखी। दरगाह को बचाने के लिए सरकार ने सुरक्षाबलों की घेराबंदी को हटाते हुए आतंकियों को सुरक्षित जाने दिया था। अलबत्ता, मार्च 1996 में आतंकियों ने दोबारा दरगाह को अपना ठिकाना बनाया था, लेकिन सुरक्षाबलों ने आतंकियों को सुरक्षित रास्ता देने के बजाय उन्हें मुठभेड़ में उलझा लिया।
  • इस मुठभेड़ में 22 आतंकी मारे गए थे। उसके बाद कभी आतंकियों ने हजरतबल दरगाह का रुख नहीं किया।

परिसीमन के बाद हुआ बदलाव

परिसीमन से नेकां की राह कैसे हुई मुश्किल कश्मीर मामलों के जानकार रमीज मखदूमी ने कहा कि हजरतबल में नेकां की राह आसान नहीं है।

परिसीमन में हजरतबल विधानसभा क्षेत्र में बदलाव हुआ है, जिससे इस पूरे क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य प्रभावित हुआ। डल झील का मीर बहरी इलाका पहले हजरबल का हिस्सा था, पर परिसीमन के बाद इससे अलग कर दिया गया। यह शिया बहुल इलाका है।

इस क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस का खासा प्रभाव रहा है। मीर बहरी अब जडीबल विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा बन गया। धोबीघाट को भी इससे अलग किया गया। इस क्षेत्र में पीडीपी का प्रभाव ज्यादा था। फकीगुजरी और लाल बाजार को हजरबल विधानसभा क्षेत्र में जोड़ा गया है।

हजरतबल के मतदाताओं के क्या हैं मुद्दे?

  • हजरतबल विधानसभा क्षेत्र में मतदान से पहले दैनिक जागरण ने स्थानीय लोगों से बात की और यहां का हाल जाना। एक स्थानीय सज्जाद हुसैन सुल्तान ने बताया कि हमारे क्षेत्र के लोगों को अपने मकान की मरम्मत कराने की अनुमति नहीं मिलती जो यह प्रदान की जानी चाहिए।
  • तमाम सरकारी दावों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। हम आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और उपकरणों से लैस एक अस्पताल चाहते हैं।
  • आंतरिक इलाकों में सड़कों, नालियों और गलियों की स्थिति दयनीय है। यहां क्रिकेट मैदान और वाक ट्रैक के अलावा एक पार्क चाहिए। यहां बिजली कटौती बहुत है, बिजली आपूर्ति नियमित होनी चाहिए। जल निकासी की ठोस व्यवस्था हो।

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