J&K: नेशनल कांफ्रेंस में खुल रही भाजपा के साथ गठजोड़ की खिड़की, पिता-पुत्र के बीच विपक्षी गठबंधन को लेकर रार
आईएनडीआईए के अंडर चुनाव लड़ने पर जम्मू कश्मीर में मतभेद हो रहा है। नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के अंदर एक वर्ग भाजपा के साथ भी गठजोड़ की संभावना की खिड़की खुली रखना चाहता है। इससे आने वाले समय में विधानसभा चुनावों के पश्चात राजनीतिक गलियारों में किसी प्रकार की कोई रुकावट न आए। बता दें कि BJP के साथ गठबंधन को लेकर फारूक और उमर अब्दुल्ला में भी मतभेद हैं।
नवीन नवाज, श्रीनगर। नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) में आईएनडीआईए (I.N.D.I.A) के बैनर तले चुनाव लड़ने पर मतभेद यूं ही नहीं है। पार्टी के भीतर एक वर्ग भाजपा (BJP) के साथ भी गठजोड़ की संभावना की खिड़की खुली रखना चाहता है। ताकि आगे चलकर विधानसभा चुनावों (Vidhan Sabha Election) के बाद उसे सत्ता के गलियारों में चहलकदमी करने में कोई बड़ी रुकावट न आए। भाजपा के साथ गठजोड़ के मुद्दे डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) के बीच भी मतभेद हैं।
नेंका को कांग्रेस या अन्य दल के सहारे की जरूरत नहीं
उमर आईएनडीआईए के साथ जाना चाहते हैं, जबकि फारूक अकेले चुनाव लड़ने के मूड में हैं। फारूक चाहते हैं कि चुनावी वैतरणी पार करने और प्रदेश की राजनीति में दबदबा बनाए रखने के लिए मौजूदा परिदृश्य में भाजपा से सीधी टक्कर लेने के बजाय उदार रुख अपनाए जाने की जरूरत है। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बीते सप्ताह अकेले चुनाव लड़ने का दावा करते हुए कहा था कि नेकां को कांग्रेस या किसी अन्य दल के सहारे की जरूरत नहीं है। अब गठजोड़ के मुद्दे पर किसी दूसरे सवाल की गुंजाइश नहीं रह जाती।
नेकां की स्थिति पहले की तरह मजबूत नहीं
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ की और कहा था कि भाजपा अकेले इस देश को एकजुट नहीं रख सकती, उसे सभी को साथ लेकर चलना होगा। नेशनल कान्फ्रेंस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, डा. फारूक ने भाजपा के प्रति यूं ही नरम रवैया नहीं अपनाया है, बल्कि उन्होंने विशुद्ध राजनीतिक कारणों से लोकसभा चुनावों में और उसके बाद प्रदेश में किसी भी समय संभावित विधानसभा चुनावों में नेकां के सत्ता में लौटने की संभावनाओं को मजबूत बनाए रखने के लिए यह रुख अपनाया है। न सिर्फ जम्मू संभाग में बल्कि कश्मीर में भी नेकां की स्थिति पहले की तरह मजबूत नहीं रही है।मजबूत गढ़ में भाजपा ने लगाई सेंध
नेकां के परंपरागत मजबूत गढ़ कहे जाने वाले कई इलाकों में भाजपा ने सेंध लगाई है। इसके अलावा पीपुल्स कान्फ्रेंस और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी जो सार्वजनिक तौर पर भाजपा के खिलाफ नजर आती है, लेकिन आम जनमानस उन्हें भाजपा का सहयोगी मानता है, ने भी घाटी के कई इलाकों में जनाधार मजबूत किया है। इसलिए भाजपा कश्मीर में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के जरिये नेकां और पीडीपी की जीत को मुश्किल बना देगी।
भाजपा के साथ जुड़ने पर घटेगा नेंका का जनाधार
नेकां से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कई पुराने दिग्गज चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। नेकां पहले भी भाजपा का केंद्र में समर्थन कर चुकी है, इसलिए उसे भाजपा के साथ प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से चलने में कोई परहेज नहीं करना चाहिए। दूसरी तरफ, उमर और उनके कुछ करीबियों का मानना है कि जम्मू कश्मीर की अधिकांश आबादी मुस्लिम है। अगर नेकां भाजपा के साथ गठजोड़ करती हैं तो कश्मीर की सियासत में उसका जनाधार और घटेगा, जिसका फायदा अन्य दल राजनीतिक दल ले सकते हैं।अकेले चुनाव लड़ने के पीछे यह दिया जा रहा तर्क
लोकसभा चुनाव में कश्मीर में और अनंतनाग-राजौरी सीट पर नेकां का कमजोर प्रदर्शन आगामी विधानसभा चुनाव में भी असर दिखाएगा। नेकां में एक वर्ग मानता है कि आईएनडीआईए के साथ जाने से बेहतर है कि अकेले चुनाव लड़ा जाए। इससे वह खुलकर अपने राजनीतिक एजेंडे की बात कर सकेगी। इससे अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर कांग्रेस के रवैये पर उससे कोई सवाल भी नहीं कर पाएगा। इसके अलावा वह भाजपा को अनंतनाग-राजौरी सीट पर रास्ता देकर कश्मीर की दो लोकसभा सीटों को बचाने का भी प्रयास कर सकती है।
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