Jammu News: जहां गूंजती थीं गोलियां, अब वहां पर्यटकों का रैला; होम स्टे में रहना पसंद कर रहे सैलानी घाटी के ग्रामीणों की बढ़ी आय
बीते दो वर्ष के दौरान कश्मीर के दूरदराज इलाकों में विशेषकर उत्तरी कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक होटलों में ठहरने के बजाय स्थानीय लोगों के घरों में रहना पसंद कर रहे हैं। इस प्रचलन से होम स्टे की संख्या बढ़ रही है। बारामुला बांडीपोर और कुपवाड़ा में 367 होम स्टे है। होम स्टे में 1468 कमरों की क्षमता के साथ 2936 बिस्तर हैं।
By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 19 Dec 2023 05:00 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। बर्फ से ढके पहाड़, कुछ दूरी पर भारत-पाक सीमा, शांत माहौल, हर तरफ हरियाली और जगह-जगह बहते झरने...। शहरों की भीड़ भरी आपाधापी से दूर सुकून के पल बिताने पर्यटक कश्मीर के दूरदराज इलाकों में बेखौफ आ रहे हैं। इनकी मेहमानवाजी में स्थानीय ग्रामीण भी पलकें बिछाए रहते हैं।
ग्रामीण पर्यटन और होमस्टे का मॉडल बन गए
उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पहाड़ों की गोद में बसे विभिन्न गांव आतिथ्य की नई अवधारणा से आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। बारामुला, बांडीपोरा व कुपवाड़ा के अग्रिम गांव जो फरवरी 2021 से पहले पाक सेना की गोलाबारी के कारण वीरान रहते थे, अब संघर्ष विराम की पुनर्बहाली के बाद ग्रामीण पर्यटन और होमस्टे का मॉडल बन गए हैं।
बीते दो वर्ष के दौरान कश्मीर के दूरदराज इलाकों में विशेषकर उत्तरी कश्मीर में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक होटलों में ठहरने के बजाय स्थानीय लोगों के घरों में रहना पसंद कर रहे हैं। इस प्रचलन से होम स्टे की संख्या बढ़ रही है। बारामुला, बांडीपोर और कुपवाड़ा में 367 होम स्टे है। होम स्टे में 1468 कमरों की क्षमता के साथ 2936 बिस्तर हैं।
255 नए होम स्टे मंजूर
पर्यटन विभाग के अनुसार, गुलमर्ग और टंगमर्ग में 255 नए होम स्टे मंजूर किए हैं। मुंडजी, किटटरदाजी, इको पार्क बारामुला, उड़ी में 1068 कमरों की क्षमता पर आधारित 267, जिला कुपवाड़ा में लोलाब, बंगुस, केरन, मच्छल,टंगडार और टीटवाल में 50 होम स्टे हैं जिनमें 200 कमरे हैं। जिला बांडीपोरा में बटलब और गुरेज में 50 होम स्टे हैं जिनमें 200 कमरों के साथ 400 बिस्तरों की क्षमता है।
कुपवाड़ा निवासी तारिक ने कहा कि पहले जब कभी कोई भूला भटका पर्यटक आ जाता था तो वह एक रात नहीं रुकता था,क्योंकि ठहरने के लिए कोई जगह नहीं होती थी। होमस्टे में पर्यटकों को होटल जैसी लगभग सुविधाएं मिलती है।
होमस्टे की सुविधा तैयार आसान व कम खर्चीला
लडुआ लाडूरा रफियाबाद में होम स्टे की सुविधा उपलब्ध कराने वाले राजा सज्जाद हुसैन खान ने कहा कि होमस्टे की सुविधा पर्यटकों के लिए सस्ती है। मौजूदा वर्ष में मेरे होमस्टे में ही 600 पर्यटक आकर ठहरे हैं। इनमें सात विदेशी पर्यटक थे। केरन, कुपवाड़ा के सुहेल अहमद ने कहा कि हमारे पास 1500 पर्यटक आकर ठहर चुके हैं। होमस्टे में पर्यटक खुद को ज्यादा महसूस करते हैं। मुक्तीश नामक पर्यटक ने कहा कि होमस्टे सबसे बेहतर है।
होटल दिल्ली में हो या कश्मीर में, आपको उसमें लगभग एक जैसा माहौल होता है। होमस्टे में आपको अपने मेजबान से बात करने, स्थानीय लोगों के साथ मिलने और जिस क्षेत्र में आप हैं, वहां के साथ आपको जुड़ने का अवसर मिलता है। आपको अगर स्थानीय व्यंजनों का आनंद लेना है, घर जैसा भोजन चाहिए, तो यह सबसे बेहतर होता है।
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