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Jammu Terror Attack: पाकिस्तान में रचा गया था षडयंत्र, सिर्फ जम्मू संभाग में ही क्यों हुए आतंकी हमले? पांच बड़े कारण आए सामने

Jammu Terror Attack सभी को पता था कि प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी जी-7 के सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली जाएंगे और वह वहां आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरेंगे। उनकी छवि एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेता के रूप में बनेगी जो पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर बनाएगी। पीएम मोदी को बैकफुट पर लाने का पाकिस्तान का षड्यंत्र कहा जाएगा।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 17 Jun 2024 03:13 PM (IST)
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Jammu Terror Attack: जम्मू आतंकी हमलों के पांच बड़े कारण आए सामने।
नवीन नवाज, जम्मू। नौ जून को नई दिल्ली में जिस समय नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने जा रहे थे, उससे चंद मिनट पहले कटड़ा से लगभग 40 किलोमीटर दूर रियासी में श्रद्धालुओं की बस पर आतंकियों ने गोलियां बरसाई। इस हमले में नौ यात्रियों की मौत और 41 घायल हो गए।

इस हमले के लगभग 48 घंटे बाद 10 जून की शाम को जिला कठुआ में गोलियों की आवाज गूंजी जो 11 जून की दोपहर दो आतंकियों के मारे जाने और एक सीआरपीएफ कर्मी के बलिदान होने के साथ बंद हुई। इसके बाद डोडा जिला में भी आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर दो अलग-अलग हमले किए, जिनमें आठ सुरक्षाकर्मी घायल हुए।

पाकिस्तान का है षडयंत्र

लगभग 96 घंटे के भीतर हुए इन चार हमलों के समय और स्थान ने सभी को चौंकाया। दुनिया का ध्यान इन हमलों की तरफ दिलाने के लिए इन्हें जम्मू संभाग में शांत व सुरक्षित समझे जाने वाले इलाकों में अंजाम दिया गया।

तीर्थ यात्रियों पर हमला मोदी सरकार की कश्मीर नीति को विफल साबित करने व देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और इटली में जी-7 सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान जम्मू-कश्मीर की तरफ दिलाने का पाकिस्तान का बड़ा षड्यंत्र माना जा रहा है।

चुनाव का माहौल बिगाड़ रहे आतंकी

यही नहीं, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव की सफलता के बाद विधानसभा चुनाव के लिए बन रहे माहौल व राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने व प्रदेश में लगभग पस्त हो चुके आतंकियों में नई जान फूंकना भी इस षड्यंत्र का हिस्स था।

रियासी में आतंक बड़े नरसंहार की साजिश के साथ आए थे, गनीमत रही कि ज्यादातर लोग बच गए। साथ ही हिंदू श्रद्धालुओं को निशाना बनाकर वह देशभर में सामाजिक सद्भाव को प्रभावित करने का भी षड्यंत्र रच रहे थे।

दबाव बढ़ाने के लिए किया हमला

भारत-पाक संबंधों के विशेषज्ञ जफर चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ हुए आतंकी हमलों का अर्थ समझा जा सकता है। पाकिस्तान का षड्यंत्र था कि रियासी में श्रद्धालुओं पर हमले से मोदी सरकार पर शुरू में ही दबाव बढ़ाया जाए।

इन घटनाओं के जरिए जम्मू-कश्मीर समेत देश के विभिन्न हिस्सों में पीएम मोदी के राजनीतिक विरोधियों को भी उन्हें कमजोर बताने व उनकी कश्मीर नीतियों को विफल बताने का हथियार मिलता।

अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान

यहां स्पष्ट कर दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, लेकिन वर्ष 2016 में उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और वर्ष 2019 को पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में हवाई हमले की अनुमति देकर प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया कि वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।

सिर्फ यही नहीं, पाकिस्तान के साथ व्यापार को भी बंद किया गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया गया।

आतंकियों पर सुरक्षाबलों का शिकंजा

सऊदी अरब समेत लगभग सभी खाड़ी देश पाकिस्तान के बजाय भारत को प्राथमिकता देने लगे। इससे हताश पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने कश्मीर को अशांत बनाए रखने के लिए पूरा जोर लगाया, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद हालात बेहतर होते चले गए।

आतंकियों पर सुरक्षाबलों का शिकंजा भी कसता गया। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने पहले जम्मू संभाग के सीमावर्ती पुंछ और राजौरी जिलों में कई बड़े हमले किए और अब तीसरी बार भी मोदी सरकार बनते देख पाकिस्तान परस्त आतंकियों ने जम्मू के रियासी, कठुआ और डोडा में हमलों को अंजाम दिया।

पाकिस्तान को नहीं बुलाया

कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ कर आने वाले आतंकियों के पुराने रूट बनी-बसोहली होते हुए डोडा तक जाने के रास्ते को फिर से सक्रिय करने का षड्यंत्र भी रचा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक डा. शेषपाल वैद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2019 के बाद पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग कर दिया है।

पाकिस्तानी सेना भी इस समय अत्यंत दबाव में है। प्रधानमंत्री ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में भी पाकिस्तान को नहीं बुलाया। इन हमलों के जरिए पाकिस्तान कश्मीर को अशांत साबित करना चाहता है।

आतंकी हमलों के पांच बड़े कारण

1. तीर्थ यात्रियों पर हमले के बहाने मोदी सरकार की कश्मीर नीति को विफल साबित कर व देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना। 

2. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए बन रहे माहौल और राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करना। 

3. अनुच्छेद 370 हटने के बाद लगभग पस्त हो चुके आतंकियों में नई जान फूंकना व जम्मू को अशांत करना। 

4. जम्मू-कश्मीर में अपना दखल सााबित करना व प्रधानमंत्री मोदी के राजनीतिक विरोधियों को हमलावर होने का मौका दे सरकार को कमजोर करना। 

5. इटली में जी-7 सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान जम्मू-कश्मीर की तरफ दिलाना। 

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर

जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार संत कुमार शर्मा ने कहा कि सभी को पता था कि प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मोदी जी-7 के सम्मेलन में भाग लेने के लिए इटली जाएंगे और वह वहां आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरेंगे।

उनकी छवि एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेता के रूप में बनेगी, जो पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर बनाएगी। इसलिए जम्मू संभाग में हुए हमले पूरी तरह से पीएम मोदी को घरेलू मोर्चे से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैकफुट पर लाने का पाकिस्तान का एक षड्यंत्र भी कहा जाएगा।

आतंकरोधी अभियानों में विशेषज्ञ जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक अशूकर वानी ने कहा कि इन हमलों के समय को लेकर एक बात स्पष्ट है कि पाकिस्तान यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि वह जब चाहे प्रदेश को अशांत कर सकता है, लेकिन मौजूदा परिस्थतियों को देखते हुए यह उसकी सबसे बड़ी भूल लगती है।

पाकिस्तान को बचाना है कश्मीर में अपना एजेंडा

केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में कम्पैरेटिव रिलिजन एंड सिविलाइजेशन विभाग के निदेशक डा. अजय सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में लोकसभा चुनाव हुए हैं और अब विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा कि यहां विधानसभा चुनाव हों या शांति बनी रहे।

अगर यहां विधानसभा चुनाव भी शांति से संपन्न होते हैं तो कश्मीर में पाकिस्तान का एजेंडा जो थोड़ा बहुत बचा है, पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। इससे पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान का सत्तातंत्र पूरी तरह प्रभावित होगा।

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