Kargil Vijay Diwas 2024: 'बार-बार पढ़ती हूं अंतिम खत', 25 साल बाद भी जिंदा हैं शहीद की यादें, पत्नी बोलीं- घर आने का वादा किया पूरा
Kargil Vijay Diwas 2024 नम आंखों से पति की शहादत के बार में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं आज भी उनके आखिरी खत को पढ़ती हूं। उनकी की यादें हैं जहन में। आज भगवान की कृपा से किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन पति की कमी हमेशा खलती है। उन्होंने घर आने का वादा किया था उन्होंने इस वादे को पूरा किया। लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
दलजीत सिंह, आरएसपुरा। वर्ष 1999 को अपने घर खत लिखा कि वो 5 जुलाई को घर आ रहा है। अपना वायदा 5 जुलाई को घर आने का पूरा तो किया पर तिरंगे में लिपट कर आए। उपजिला आरएसपुरा क्षेत्र के सीमांत गांव बाजे चक गांव के निवासी कारगिल शहीद नायक देवराज शर्मा की पत्नी को वो पल आज भी याद है।
कारगिल युद्ध को चाहे 25 साल गुजर गए पर शहीद परिवारों के दिलों में आज भी वो जिंदा है। उनकी हर एक याद को परिवार संजोए हुए हैं। आरएसपुरा के गांव बाजे चक निवासी शहीद नायक देव राज भी एक ऐसे ही बाहुदर देश के जवान थे, जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देश के लिए दिया। अपने पीछे तीन बच्चे व पत्नी को छोउ़ गए। शहीद की पत्नी निर्माला देवी बताती हैं कि आज 25 साल बाद भी उन्हें गर्व है पर हर एक मोड़ पर पति की कमी खली।
घर जाने का कार्यक्रम रद कर दिया
नम आंखों से पति की शहादत के बार में बताते हुए उन्होंने कहा कि आंतकवाद से लड़ाई के दौरान पांव जख्मी हो गया था। कारगिल युद्ध से पहले उन्होंने पांच जुलाई को घर वापस आने के लिए लिखा था। तभी कारगिल का युद्ध शुरू हो गया। उनके लिए टाइगर हिल की चढ़ाई चढ़ना कठिन था। दर्द के बावजूद उन्होंने घर जाने का कार्यक्रम रद कर दिया और देश की रक्षा के लिए स्वेच्छा से टाइगर हिल पर जाने के लिए अपना नाम शामिल करवाया।दुश्मन से लड़ते हो गए शहीद
चूंकि देवराज एमएमजी (मीडियम मशीनगन) चलाने में महारत रखते थे। इसलिए उन्हें घर जाना गंवारा नहीं था। कारगिल में पांच जुलाई, 1999 को दुश्मन से लड़ते हुए उन्होंने शहादत पाई। उनका पार्थिव शरीर उसी दिन घर पहुंचा। शहीद ने देश के प्रति अपना फर्ज भी निभाया और घर पहुंचने का वादा भी पूरा किया।यह भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas 2023: जल्दी ही वापस आऊंगा, शहीद हो गया तो रोना नहीं...