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Kargil Vijay Diwas 2024: 'बार-बार पढ़ती हूं अंतिम खत', 25 साल बाद भी जिंदा हैं शहीद की यादें, पत्नी बोलीं- घर आने का वादा किया पूरा

Kargil Vijay Diwas 2024 नम आंखों से पति की शहादत के बार में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं आज भी उनके आखिरी खत को पढ़ती हूं। उनकी की यादें हैं जहन में। आज भगवान की कृपा से किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन पति की कमी हमेशा खलती है। उन्होंने घर आने का वादा किया था उन्होंने इस वादे को पूरा किया। लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 22 Jul 2024 06:46 PM (IST)
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Kargil Vijay Diwas 2024: कारगिल युद्ध में शहीद देवराज शर्मा।

दलजीत सिंह, आरएसपुरा। वर्ष 1999 को अपने घर खत लिखा कि वो 5 जुलाई को घर आ रहा है। अपना वायदा 5 जुलाई को घर आने का पूरा तो किया पर तिरंगे में लिपट कर आए। उपजिला आरएसपुरा क्षेत्र के सीमांत गांव बाजे चक गांव के निवासी कारगिल शहीद नायक देवराज शर्मा की पत्नी को वो पल आज भी याद है।

कारगिल युद्ध को चाहे 25 साल गुजर गए पर शहीद परिवारों के दिलों में आज भी वो जिंदा है। उनकी हर एक याद को परिवार संजोए हुए हैं। आरएसपुरा के गांव बाजे चक निवासी शहीद नायक देव राज भी एक ऐसे ही बाहुदर देश के जवान थे, जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देश के लिए दिया। अपने पीछे तीन बच्चे व पत्नी को छोउ़ गए। शहीद की पत्नी निर्माला देवी बताती हैं कि आज 25 साल बाद भी उन्हें गर्व है पर हर एक मोड़ पर पति की कमी खली।

घर जाने का कार्यक्रम रद कर दिया

नम आंखों से पति की शहादत के बार में बताते हुए उन्होंने कहा कि आंतकवाद से लड़ाई के दौरान पांव जख्मी हो गया था। कारगिल युद्ध से पहले उन्होंने पांच जुलाई को घर वापस आने के लिए लिखा था। तभी कारगिल का युद्ध शुरू हो गया। उनके लिए टाइगर हिल की चढ़ाई चढ़ना कठिन था। दर्द के बावजूद उन्होंने घर जाने का कार्यक्रम रद कर दिया और देश की रक्षा के लिए स्वेच्छा से टाइगर हिल पर जाने के लिए अपना नाम शामिल करवाया।

दुश्मन से लड़ते हो गए शहीद

चूंकि देवराज एमएमजी (मीडियम मशीनगन) चलाने में महारत रखते थे। इसलिए उन्हें घर जाना गंवारा नहीं था। कारगिल में पांच जुलाई, 1999 को दुश्मन से लड़ते हुए उन्होंने शहादत पाई। उनका पार्थिव शरीर उसी दिन घर पहुंचा। शहीद ने देश के प्रति अपना फर्ज भी निभाया और घर पहुंचने का वादा भी पूरा किया।

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तिरंगे में लिपटकर आए घर

निर्माला देवी बताती हैं कि आज 25 साल हो चूके हैं पर उनकी यादों को आज भी दिलों में जिंदा रखा है। उनकी हर चीज को परिवार धरोहर की तरह संभाले हुए हैं। शहीद देवराज की पत्नी निर्माला देवी ने नम आंखों से बताया कि शहादत से कुछ दिन पूर्व उन्होंने जो खत लिखा था कि पांच जुलाई को घर पहुंच जाऊंगा। वह आए भी, पर तिरंगे में लिपटकर।

पिता की शहादत के समय छोटे थे बच्चे

निर्मला देवी ने बताया कि उनका अंतिम खत आज भी मेरे पास है। उसे मैं बार-बार पढ़ती हूं। शहीद देवराज का एक बेटा व दो बेटियां हैं। पिता की शहादत के समय वे काफी छोटे थे। अब सभी की शादी हो चुकी है। बेटे अमित कुमार ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वे कारगिल शहीद नायक देवराज के पुत्र हैं। वह सेना में भर्ती तो नहीं हो सका, लेकिन पिता के बताए पदचिन्हों पर चल रहे हैं।

खलती है पिता की कमी

अमित ने बताया कि आज उनके गांव सहित आस पास गांव के कई युवा सेना में उनके पिता कि शहादत के बाद प्रेरित होकर सेना में भर्ती हुए। वो जब भी उनके पिता की शहादत को याद करते है तो उनको गर्व होता है। उन्होंने कहा कि 25 सालों बाद भी उनके पिता को क्षेत्र का हर व्यक्ति याद करता है और उनका बेटा होने के कारण उनको हर जगह इज्ज्त मिलती है। कुमार ने बताया कि आज कोई कमी नहीं है पर पिता की कमी हर समय खलती है।

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