Kargil Vijay Diwas 2024: चीन-पाकिस्तान की हर साजिश होगी नाकाम, दुश्मनों में पैदा होगा खौफ; आ गए हैं समर और जोरावर
लद्दाख में कारिगल विजय (Kargil Vijay Diwas 2024) के बाद कई चुनौतियों बनी हुई हैं इनमें से एक चुनौती चीन द्वारा की जा रही नापाक कोशिशें भी हैं। इन कोशिशों को नाकाम करने के लिए भारतीय सेना ने जोरदार तैयारी कर ली है। तैयारी ऐसी है कि आसमान से लेकर लद्दाख के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में दुश्मन षडयंत्र रचने से पहले 10 बार सोचेगा।
विवेक सिंह, जम्मू। कारगिल विजय के बाद लद्दाख में पाकिस्तान के साथ-साथ चीन की भी चुनौती बढ़ी हैं, ऐसे में हमारी सेनाओं ने भी जोरदार तैयारी की है। दुश्मन की साजिशों को नाकाम बनाने के लिए यहां ‘समर’ ने डेरा डाल लिया है। पड़ोसियों में खौफ पैदा करने के लिए जल्द जोरावर भी पहुंच जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि भला समर और जोरावर कौन हैं।
दरअसल, लद्दाख इस समय कई चुनौतियों घिरा हुआ है, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सतह से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम (समर) इस समय क्षेत्र में सशस्त्र सेनाओं की ताकत बढ़ा रहा है। कारगिल के समय भले ही हम उस चुनौती के लिए तैयार नहीं थे पर युद्ध के 25 साल में आज हमारी सशस्त्र सेनाएं अति आधुनिक हथियार व उपकरणों से लैस हैं।
जल्द ही पहाड़ की लड़ाई के लिए देश में ही निर्मित हल्का टैंक जोरावर 15 हजार फीट से ऊंचे युद्धक्षेत्र में पहुंचकर हमारी सेना की मारक क्षमता में और इजाफा करेगा।
दुश्मन की साजिशों को नाकाम करेंगे समर-जोरावर
एक योद्धा आसमान में दुश्मन की साजिशें नाकाम करेगा तो दूसरा लद्दाख के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अपना दमखम दिखाएगा। लद्दाख में सेना भी ट्रायल के लिए जोरावर के आने का इंतजार कर रही है। भावी युद्धों में दुश्मन के ड्रोन बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। आज के युद्ध में सेनाएं विस्फोटकों से लदे ड्रोन व मानव रहित विमान (यूएवी) की मदद से दुश्मन के ठिकानों पर हमले करती हैं।
लद्दाख में दुश्मन ऐसी कोई साजिश रचता है तो समर मारक प्रहार करेगा। कारगिल विजय की रजत जयंती के उपलक्ष्य में लद्दाख में लगी प्रदर्शनी में वायुसेना ने समर को प्रदर्शित किया है। समर दुश्मन के यूएवी, विस्फोटक युक्त ड्रोन के साथ, कम ऊंचाई पर उड़ान भर रहे लड़ाकू विमानों व हेलीकाप्टरों को निशाना बनाने में सक्षम है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, लद्दाख में स्थापित हमारा रक्षक समर रूस में बनी विमपई आर-73 व आर-27 मिसाइलों से हवा में ही दुश्मन के यूएवी, ड्रोन, हेलीकाप्टर को मार कर सकता है। इसे वाहन पर तेजी से स्थापित किया जा सकता है और आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। समर एयर डिफेंस सिस्टम दो से अढ़ाई मैक (ध्वनि की गति) की स्पीड के साथ हवा में बारह किलोमीटर की उंचाई तक मार कर सकता है।
जोरावर सिंह की याद दिलाएगा 'जोरावर'
समर के बाद जल्द जोरावर टैंक का भी लद्दाख आना चीन व पाकिस्तान का मनोबल गिराएगा। चीन जनरल जोरावर सिंह के खौफ को भूला नही है। पहाड़ों में युद्ध के कुशल रणनीतिकार जनरल जोरावर सिंह ने उन्नीसवी शताब्दी में अपनी तलवार के जोर पर देश की सीमाओं को तिब्बत तक पहुंचाया दिया था।
भविष्य में लद्दाख में भारतीय सेना की ताकत बनने जा रहा जोरावर उस महान जनरल को समर्पित है जिसे भारतीय सेना की इन्फैंटरी अपना प्रेरणास्रोत मानती है। जनरल जोरावर सिंह ने खून जमाने वाली ठंड में वर्ष 1834 में जम्मू के किश्तवाड़ की सुरू नदी घाटी से में लद्दाख में प्रवेश कर वर्ष 1840 तक लद्दाख, बाल्टिस्तान और तिब्बत जीत लिया था।
भारतीय सेना भविष्य के युद्ध के लिए तैयार
महाराजा की फौज से भारतीय सेना में मेजर जनरल के रैंक तक पहुंचने वाले अधिकारी गोवर्धन सिंह का कहना है कि लद्दाख में आज भारतीय सेना भविष्य के युद्ध लड़ने के लिए तैयार है।
आज सेना के पास नए से नए हथियार, उपकरण, सैनिकों के लिए अच्छे कपड़े जूते, टैंट हैं। हमारे सैनिकों का मनोबल भी ऊंचा है। जनरल जम्वाल का कहना है कि देश द्वारा बनाए गए हलके टैंक का नाम जनरल जोरावर सिंह पर रखा जाना बहुत उत्साहवर्धक है। जनरल जोरावर सिंह असाधारण वीरता के प्रतीक हैं।