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कश्मीर के मशहूर शिव मंदिर में शॉर्ट सर्किट के बाद कैसे लगी भीषण आग? जांच में हुआ अहम खुलासा

जम्मू-कश्मीर के एक प्राचीन शिव मंदिर में आग लगने से मंदिर को भारी क्षति पहुंची। पुलिस ने मामले में खुलासा किया कि यह आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। क्योंकि मंदिर लकड़ी से बना था। इसलिए कुछ ही देर में पूरा मंदिर जल गया। यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस मंदिर को कई बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाया गया है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Fri, 07 Jun 2024 11:22 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2024 11:22 AM (IST)
Kashmir News: प्राचीन शिव मंदिर की फोटो (जागरण न्यू मीडिया)

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल गुलमर्ग में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में आग बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। पुलिस ने प्राथमिक जांच में यह दावा करते हुए कहा कि मंदिर में लकड़ी का उपयोग अधिक हुआ था, इसलिए आग तेजी से फैली।

दमकल कर्मियों के पहुंचने तक मंदिर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके अलावा मंदिर में रात को पुजारी व देखरेख करने वाले दो स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोग भी नहीं थे।

बारामूला जिले के गुलमर्ग पुलिस थाने के प्रभारी सब इंस्पेक्टर फारूक अहमद ने कहा कि जांच में पता चला कि बुधवार तड़के मंदिर में बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट हुआ था, जो आग लगने का सबब बना।

पुजारी समेत तीन लोग करते हैं देखरेख

उन्होंने बताया कि मंदिर की देखरेख पुजारी समेत तीन लोग करते हैं। इनमें दो लोग स्थानीय मुस्लिम समुदाय से हैं। मंदिर छोटा होने व जगह कम होने के चलते रात को दोनों मंदिर के निकट स्थित हट में चले जाते थे। घटना की रात मंदिर का पुजारी भी निकटवर्ती गुरुद्वारे में सो रहा था।

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109 वर्ष पुराना है मंदिर

थाना प्रभारी ने कहा कि तीनों ने पूछताछ में बताया कि जब तक घटना की जानकारी उन तक पहुंची, तब तक मंदिर पूरी तरह से आग की चपेट में था।

बता दें कि 109 वर्ष पुराना यह मंदिर जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की पत्नी मोहिनी बाई सिसोदिया ने वर्ष 1915 में बनवाया था। इसलिए मंदिर को मोहिनेश्वर शिवालय और रानी मंदिर भी पुकारा जाता है।

हालांकि उस समय हरि सिंह के चाचा महाराजा प्रताप सिंह डोगरा साम्राज्य के शासक थे। अब यह मंदिर जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट के अधीन है। ट्रस्ट मंदिर का जल्द पुर्ननिर्माण करवाने जा रहा है। वर्ष 1989 तक मंदिर की देखरेख स्थानीय कश्मीरी हिंदू करते थे।

हिंदुओं के पलायन के बाद कई सालों तक बंद रहा मंदिर

आतंकवाद के चलते हिंदुओं के सामूहिक पलायन के बाद मंदिर कई वर्षों तक बंद रहा। उसके बाद जम्मू-कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट ने चौकीदार के तौर पर मंदिर के देखरेख की जिम्मेदारी स्थानीय मुस्लिम गुलाम मोहम्मद शेख को सौंप दी।

23 वर्षों तक मंदिर की देखरेख करने के बाद शेख वर्ष 2021 में सेवानिवृत्त हो गया। वर्ष 2023 में धर्मार्थ ट्रस्ट ने मंदिर में पुरुषोत्तम शर्मा को पुजारी नियुक्त किया गया।

वहीं, मंदिर की देखरेख करने के लिए नियुक्त किए गए दो अन्य स्थानीय लोगों में एक गुलाम मोहम्मद शेख का भांजा बताया जाता है। बता दें कि यह मंदिर पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है और यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।

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