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बदल गया Kashmir, हाथ में तिरंगा दिल में देशभक्ति का जुनून; आतंकियों के परिजनों ने भी लहराया तिरंगा

इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह और तिरंगा रैलियों ने कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार उजागर कर दी। पूर्व आतंकी कमांडर अलगाववादी और आतंकियों के परिवार भी देश भक्ति की बयार में बह निकले। कोई खुलेआम तिरंगा थाम निकला तो कोई चुपचाप भीड़ में शामिल हुआ जो हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा देते हुए कश्मीर की गलियों व बाजारों से निकली रैलियों में गुजरा।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Thu, 17 Aug 2023 07:12 AM (IST)
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बदल गया Kashmir, हाथ में तिरंगा दिल में देशभक्ति का जुनून
श्रीनगर, नवीन नवाज। इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह और तिरंगा रैलियों ने कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार उजागर कर दी। पूर्व आतंकी कमांडर, अलगाववादी और आतंकियों के परिवार भी देश भक्ति की बयार में बह निकले।

कोई खुलेआम तिरंगा थाम निकला तो कोई चुपचाप भीड़ में शामिल हुआ जो हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा देते हुए कश्मीर की गलियों व बाजारों से निकली रैलियों में गुजरा।

कट्टरपंथियों ने भी तिरंगा थामा।

चार वर्ष में जो कश्मीर उभर कर सामने आया है, जहां हरेक शांति-विकास और सुरक्षा के वातावरण की बहाली में सहयोग का अवसर तलाश राष्ट्रीय मुख्यधारा की गंगा में विलीन हो जाना चाहता है, तभी तो जावेद मीर और गुलाम नबी शाहीन जैसे पूर्व आतंकी व अलगाववादी भी तिरंगा रैलियों का हिस्सा बनते नजर आए। यही नहीं आतंकियों के स्वजनों के अलावा कई कट्टरपंथियों ने भी तिरंगा थामा।

कुख्यात गुलाम नबी शाहीन शामिल हुए तिरंगा रैली में

जावेद मीर प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का डिप्टी चीफ कमांडर रह चुका है। वह 25 जनवरी 1990 में श्रीनगर में वायुसेना के अधिकारियों पर हमले के अलावा रुबिया सईद अपहरण कांड में आरोपित है। जावेद के अलावा अलगाववादी विचारधारा के लिए कुख्यात गुलाम नबी शाहीन तीन दिन पहले रविवार सुबह डल झील किनारे शुरू होने वाली तिरंगा रैली में शामिल हुए थे।

शाहीन को कश्मीर बार एसोसिएशन का गिलानी भी कहा जाता रहा है। कश्मीर बार एसोसिएशन एकीकृत हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख घटकों में शामिल रही है।

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रैली का नेतृत्व उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया था। रैली में दोनों अतीत को याद कर शर्मिंदा हो रहे थे। कई लोगों ने इनके चेहरे पर हिचकिचाहट के भाव देखे। दोनों वहां लोगों से आंख मिलाने से बचते रहे। और भी अलगाववादियों के स्वजन रैली में शामिल हुए। लालचौक में पूर्व आतंकी कमांडर सैफुल्लाह फारूक ने राष्ट्रध्वज फहराया। सोपोर में हिज्ब कमांडर जावेद मट्टू के भाई ने रईस ने दुकान पर तिरंगा फहराया।

शेहला रशीद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मुराद नजर आई।

डोडा व किश्तवाड़ में भी कई आतंकियों के स्वजनों ने तिरंगा फहराया और वह भी स्वेच्छा से। उन्होंने बंदूक थामने वाले अपनों से सरेंडर की अपील भी की। वहीं अक्सर कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाने वाली शेहला रशीद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मुराद नजर आई।

लगा मैं हीरो हूं...

लालचौक में घंटाघर के नीचे पूर्व आतंकी कमांडर सैफुल्लाह फारूक ने साथियों संग राष्ट्रध्वज फहराया। 2018 में भाजपा के टिकट पर नगर निकाय के चुनाव में भाग ले चुके सैफुल्लाह ने कहा कि तिरंगा लहराते हुए मुझे लगा कि वह कोई हीरो हैं।

वह सभी आतंकियों और अलगाववादियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील करते हैं। जम्मू कश्मीर में खुशहाली, तरक्की और अमन कोई नहीं रोक सकता।

बदलाव का असर तो है 

कश्मीर मामलों के जानकार सलीम रेशी ने कहा कि अगर किसी आतंकी के स्वजन या पूर्व आतंकी राष्ट्रध्वज फहराता है अच्छी बात है,लेकिन उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। बदलाव का असर तो है।

जब जावेद और जीएन शाहीन जैसे अलगाववादी तिरंगा रैलियों में शामिल होते हैं, तो उसका असर होता है। ये वे लोग हैं जो यहां खुलेआम कश्मीर की आजादी की वकालत करते हुए जेकेएलएफ व पाकिस्तान का झंडा लहराते थे।

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वरिष्ठ पत्रकार बिलाल बशीर ने कहा कि कल तक यहां आम लोग तिरंगा फहराना तो दूर, तिरंगे के साथ खड़े होने से डरते थे,अब अलगाववादी तिरंगे के साथ खड़े हो अलगाववाद की सियासत की निरर्थकता का एलान कर रहे हैं।

कश्मीर में आए बदलाव को आप यहां आम लोगों के जीवन में बहाल हुई सुरक्षा एवं विश्वास की भावना के आधार पर नाप सकते हैं।

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