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भारत कोल्ड चेन कॉन्क्लेव की कश्मीर ने की मेजबानी, फल भंडारण नीति और जलवायु चुनौतियों पर हुई चर्चा

कश्मीर में फल उत्पादकों किसानों और नियंत्रित वातावरण स्टोर मालिकों के लिए भारत कोल्ड चेन कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। कॉन्क्लेव का उद्देश्य प्रशीतन क्षेत्र में प्रगति विभिन्न उद्योगों पर उनके प्रभाव लॉजिस्टिक्स क्षेत्र और जलवायु चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका का अवलोकन प्रदान करना है। घाटी में फल उत्पादकों ने नियंत्रित वातावरण भंडारण नीति पहल का स्वागत किया है।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Wed, 20 Sep 2023 06:49 PM (IST)
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भारत कोल्ड चेन कॉन्क्लेव की कश्मीर ने की मेजबानी, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

श्रीनगर, पीटाआई: कश्मीर घाटी ने बुधवार को फल उत्पादकों, किसानों और नियंत्रित वातावरण स्टोर मालिकों के लिए अपने पहले भारत कोल्ड चेन कॉन्क्लेव की मेजबानी की। इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव - हिमालयन चैप्टर - का आयोजन यहां कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट के सहयोग से पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (पीएचडीसीसीआई) द्वारा किया गया था।

कॉन्क्लेव का उद्देश्य प्रशीतन क्षेत्र में प्रगति, विभिन्न उद्योगों पर उनके प्रभाव, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र और जलवायु चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका का अवलोकन प्रदान करना है।

इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव एक गेम चेंजर है

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष, कश्मीर क्षेत्र, विक्की शॉ ने बताया कि यह पहली बार है कि हम कश्मीर में इतने बड़े पैमाने पर एक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं जो एक गेम चेंजर है। यह फल उत्पादकों, किसानों और नियंत्रित माहौल वाले स्टोर मालिकों और कृषि क्षेत्र, बागवानी से जुड़े सभी लोगों की सुविधा के लिए है, वे सभी यहां हैं।

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अधिकारियों के मुताबिक, इस वर्ष जनवरी में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि अब पांच लाख मीट्रिक टन नियंत्रित वातावरण भंडार की आवश्यकता है जबकि वर्तमान उपलब्धता 2.5 लाख मीट्रिक टन है। अधिकारियों ने कहा कि उस अंतर को भरने के लिए, सरकार केंद्र द्वारा संचालित एमआईडीएच योजना जैसी विभिन्न पहल लेकर आई है।

घाटी में फल उत्पादकों ने इस पहल का स्वागत किया

वहीं, घाटी में फल उत्पादकों ने इस पहल का स्वागत किया। फल उत्पादक मोहम्मद सुल्तान भट ने कहा कि नियंत्रित वातावरण भंडारण नीति सरकार का एक बड़ा कदम है। इससे किसानों को लंबे समय में मदद मिलेगी और उन्हें लाभ कमाने में मदद मिलेगी।

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