Move to Jagran APP

कश्‍मीरी हिंदुओं ने धूमधाम से मनाया माता खीर भवानी मेला, PDP अध्‍यक्ष की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी की पूजा

जम्‍मू कश्‍मीर में कश्‍मीरी हिंंदुओं ने धूमधाम के साथ खीर भवानी मेला (Kheer Bhawani Mela) मनाया। देशभर से लगभग 30000 श्रद्धालुओं ने मंदिर में हाजिरी दे माता को दूध और खीर का भोग चढ़या। श्रद्धालुओं को मंदिर तक लाने ले जाने तथा उन्हें ठहराने के लिए जिला प्रशासन ने विशेष प्रबंध कर रखे थे। वहीं प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं के लिए लंगर भी उपलब्ध रखा गया था।

By raziya noor Edited By: Himani Sharma Published: Fri, 14 Jun 2024 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2024 07:18 PM (IST)
कश्‍मीर घाटी में धूमधाम से मनाया गया खीर भवानी मेला

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। गांदरबल जिले के तुलमुला इलाके में स्थित माता खीर भवानी (Kheer Bhawani Mela) के एतिहासिक मंदिर के साथ केवल हिंदु समुदाय की ही आस्था नहीं जुड़ी हुई है बल्कि स्‍थानीय मुस्लिम समुदाय की अकीदत भी इस मंदिर से जुड़ी है।

मंदिर की चौखट से हजारों मुसलमान अपनी रोजी रोटी कमाते हैं। माता को चढ़ाया जाने वाले दूध हो या खीर, फल फूल हो या दिए व अगरबत्ति, गर्ज मंदिर में हाजिरी देने वाले श्रद्धालुओं तक पूजा की यह सामग्री मुस्लिम समुदाय से ही प्राप्त होती है। मंदिर के इर्द-गिर्द अपनी छोटी-छोटी दुकाने करने वाले लोग माता राज्ञन्या को मां लक्षमी का स्वरूप ही मांते हैं।

हिंदू-मुस्लिम का होता है मिलन

बता देते हैं कि माता राज्ञन्या का यह एतिहासिक 1990 के दशक में फूटे आतंकवाद के चलते घाटी से पलायन कर चुके स्थानीय हिंदुओं को अपने मुसलमान भाइयों से मिलने का एक बहुत प्रमुख मीटिंग प्वाइंट बन गया है। हर वर्ष मंदिर में आयोजित होने वाले इस मंदिर में खीर भवानी मेले में घाटी छोड़ चुके स्थानीय हिंदू मंदिर में हाजिरी देने के लिए देश व दुनिया के अन्य हिस्सों से आ अपने मुसलमान भाइयों से मुकालत कर अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं।

मंदिर के आस-पास हैं 700 दुकानें

मंदिर के इर्द गिर्द लगभग 700 छोटी बड़ी दुकानें हैं जिन में अधिकांश पूजापाठ से संबंधित सामान ही बैचा जाता है और इन दुकानों में 95 प्रतिशत दुकानें स्थानीय मुसलमानों की हैं। वहीं मेले के दिनों में माता को चढ़ाने वाला दूध भी जिले में दूध का व्यापार करने वाले व्यापारी ही सपलाई करते हैं जबकि पूजापाठ के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के दिए भी स्थानीय लोगों के हाथों तैयार किए जाते हैं।

कई सालों तक सूनी पड़ी रही दुकानें

स्थानीय लोगों के अनुसार, 90 के दशक से पहले मंदिर के इर्द गिर्द 200-300 दुकानें ही थी जिनमें से अधिकांश दुकानें स्थानीय हिंदुओं की थी और मेले के दौरान इन दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा का सामान खरीदती नजर आती थी। लेकिन आतंकवाद के चलते स्थानीय हिंदुओं के घाटी से पलायन के बाद मंदिर की तरह यह दुकानें भी कई वर्षों तक सूनी पड़ी रही।

हालात में सुधार के बाद श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू

हालात में धीरे-धीरे सुधार के बाद मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना फिर से शुरू हो गया। इसी बीच इन दुकानों के शटल न केवल फिर से खुल गए बलकि दुकानों की संख्या भी बढ़ गई। मंदिर के बाहर मिट्टी के दिए बैचने वाले अली मोहम्मद हजाम नामक एक दुकानदार ने कहा, मैं बीते 37 बरस से यहां दुकान चलाता हूं।यह तो जाहिर सी बात है कि मंदिर के होने से हमारा यह तुलमुला एरिया बिजनेस का केंद्र बना हुआ था। खराब हालातों के चलते मंदिर चूंकि बंद था लिहाजा इसके इर्द गिर्द दुकानों पर भी काम मंधा था।

दुकानदार राथर में बताया मंदिर का हाल

राथर ने कहा, मेरी यह दुकान भी कई बरस तक बंद रही। क्योंकि यहां कोई नही आता था। हमारे ग्राहकों में ज्यादातर यहां आने वाले श्रद्धालु ही हुआ करते थे। मंदिर के बंद रहने से वह यहां नही आ पाते,नतीजतन हमारा काम ठप हो गया। मैंने भी दियों की जगह नमक,चीनी तेल वगैर बैचना शुरू कर दिया। लेकिन शुक्र है कि अब यहां हालात ठीक है और पिछले कई बरसों से यहां आयोजित होने वाले मेले में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ गई है।

यह भी पढ़ें: Jammu Terror Attack: जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी हमलों के बाद एक्शन में अमित शाह, 16 जून को बुलाई हाई लेवल मीटिंग

यह देख मैंने फिर से दिए बैचने शुरू कर दिए हैं। काम बहु अच्छा चल रहा है। राथर ने कहा, मेले में तो मेरी दुकान से हजारों दिए मंदिर की जीनत बन जाते हैं जबकि आम दिनों में भी यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर में आरती के लिए मेरी दुकान से 150-200 दिए खरीद लेते हैं।

बशीर अहमद सलरू ने भी शेयर किए अपने विचार

मंदिर के बाहर पूजा का सामान की दुकान करने वाले बशीर अहमद सलरू नामक एक व्यक्ति ने कहा,हमारे लिए यह यह मेला कमाई का जरिया है। सलरू ने कहा,मैं बीते 9 बरस से यहां यह फूल बैच अपना घर चलाता हूं और जहां तक इस मेले का तालुक है तो मेले के दौरान मेरी कमाई दुगनी हो जाती है। सलरू ने कहा, मैं जिले के सलर गांव से हूं । इससे पहले मैं दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था। लेकिन उससे मुशकिल से दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त हो जाता था। फिर किसी मुझे यहां पूजा का सामान बैचने की दुकान लगाने की सलाह दी।

माता रानी की महरबानी से चला मेरा काम: बशीर अहमद

सलरू ने कहा कि पहले तो मुझे अजीब सा लगा और रिश्तेदारों को यह प्लान मुनासिब नहीं लगा। लेकिन मैंने ऊपर वाले का नाम ले मंदिर के बाहर की दुकान खड़ी की और माता रानी की महरबानी से मेरा काम चल निकला। सलरू ने कहा,मैं आज इतना कमा लेता हूं कि परिवार की जरूरतें पूरी हो जाती है। सलरू से थोड़ी दूरी पर ही शाकिर रिजवान नामक एक युवक मिट्टी के दियों कीदुकान करता है।

शाकिर ने इस सीजन के लिए 13,000 दियों का आर्डर दिया था और उसके अनुसार अभी तक वह 11,000 दिए बैच चुका है। उसने कहा,मेले के इन दो दिनों के भीतर मैंने लगभग 7,000 दिए बैचे। शाकिर ने कहा,मेरे हिंदु भाइयों के लिए यह माता राज्ञन्या देवी है लेकिन मेरे लिए यह मां लक्ष्मी है।क्योंकि इसी की चौखट से मुझे रोजगार मिलता है। शाकिर ने कहा,मैं खुदा को मानने वाला बंदा हूं,लेकिन इस मंदिर के साथ भी मेरी अकीदत जुड़ी हुई है।

खीर भवानी मेले पर मंदिर में जुटी श्रद्धालुओं की भारी संख्या

शुक्रवार को खीर भवानी मेले के अवसर पर तुलमुला इलाके में सिथत इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी संख्या उमड़ आई। देशभर से लगभग 30,000 श्रद्धालुओं ने मंदिर में हाजिरी दे माता को दूध और खीर का भोग चढ़या। श्रद्धालुओं को मंदिर तक लाने ले जाने तथा उन्हें ठहराने के लिए जिला प्रशासन ने विशेष प्रबंध कर रखे थे।

अधिकांश श्रद्धालु गत बुधवार को ही तुलमुला पहुंचना शुरू हो गए थे और आज मेले के दिन उन्होंने मंदिर में हुई विशेष पूजा व हवन में हिस्सा ले अपने और अपने देश की खुशहाली के लिए प्रार्थनाएं की। श्रद्धालुओं को जिले में सिथत सेट्रल यूनिवर्स्टी कैंपस से मंदिर तक 200 सूमो गाड़ियों की सेवा उपलब्ध रखी गई थी। प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं के लिए लंगर भी उपलब्ध रखा गया था।

जम्मू हमलों का नहीं दिखा असर, श्रद्धालु बेखौफ होकर पहुंचे मंदिर

जम्मू के रियासी व कठुआ में हुए हमलों का माता खीर भवानी के मेले पर कोई प्रभाव नही दिखा और श्रद्धालु बेखोफ होकर जम्मू से गांदरबल में सिथत माता के दरबार में हाजिरी देने के लिए पहुंचे। हालांकि जम्मू से लेकर श्रीनगर तक श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।

गांदर जिले में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी। अलबत्ता मेला शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और इस बीच कहीं भी कोई अप्रिय घटना नही घटी। अधिकांश श्रद्धालुओ का कहना था कि जम्मू में हुए हालियां हमलों के बावजूद उनके मन में कोई डर कोई खौफ नही था। श्रद्धालुओं ने प्रशासन का भी आभार जताते हुए कहा कि प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक प्रबंध किए थे।

8 महीनों में स्थापित किए जाएंगे 1000 क्षमता वाला यात्री निवास: उपराज्‍यपाल

उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने कहा कि गांदरबल जिले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 1000 क्षमता वाला यात्री निवास स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस निवास में माता खीर भवानी के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस निवास को 8 महीनों के भीतर तैयार किया जाएगा।

यह भी पढ़ें: Jammu Terror Attack: 'आज जम्मू के लोग आतंक से भयभीत हैं...', आतंकी हमलों पर PDP में आक्रोश; निकाला मार्च

उपराज्यपाल ने यह एलान शुक्रवार को माता खीर भवानी के मंदिर में हाजिरी देने के बाद वहां मौजूद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि गत वर्ष माता के दर्शनों को आए श्रद्धालुओं ने उनसे आग्रह किया था कि उनके लिए यात्री निवास का निर्माण किया जाए। उपराज्यपाल ने कहा कि श्रद्धालुओं की आग्रह का तुरंत संज्ञान ले इस निवास के लिए रूपरेखा तय की गई और इस पर जलद ही काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह निवास मंदिर के आसपास ही बनाया जाएगा।

पीडीपी अध्‍यक्ष की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी मंदिर में टेका माथा

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी मां खीर भवानी के दरबार में दी हाजिरी। इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि यहां मैं कोई सियासत करने नहीं आयी हूं। आज का दिन हमारे कश्मीरी हिंदु भाईयो का एक बड़ा पवित्र दिन है, मैं उन्हें बधाई देने आयी हूं। मैं यहां प्यार और इंसानियत का पैगाम लेकर आयी हूं।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.