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    Ladakh News: सोनम वांगचुक को झटका, संस्थान को आवंटित जमीन रद; लद्दाख प्रशासन ने क्यों लिया यह फैसला?

    लद्दाख प्रशासन ने पर्यावरणविद सोनम वांगचुक के संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव लर्निंग को फ्यांग गांव में दी गई 1076 कनाल से अधिक जमीन का आवंटन रद्द कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि सोनम ने भूमि आवंटन की औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं और भूमि का उपयोग उस कार्य के लिए नहीं किया जिसके लिए वह आवंटित की गई थी।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 24 Aug 2025 02:59 PM (IST)
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    Ladakh News: सोनम वांगचुक के संस्थान को दी 1076 कनाल जमीन का आवंटन रद। फाइल फोटो

    संवाद केंद्र, लेह। लद्दाख प्रशासन ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव लर्निंग (एचआइएएल) को फ्यांग गांव में दी 1076 कनाल से अधिक जमीन का आवंटन रद कर दिया है। इस संस्थान के संस्थापक एवं पर्यावरणविद सोनम वांगचुक हैं।

    प्रशासन ने स्पष्ट किया कि सोनम ने न भूमि आवंटन संबंधी औपचारिकताएं पूरी की है और न भूमि का उपयोग उस कार्य के लिए किया है, जिसके लिए आवंटित की गई थी। वहीं सोनम वांगचुक ने इसे प्रदेश में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार की लोगों की मांग को दबाने के लिए द्वेषपूर्ण प्रयास करार दिया है।

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    उन्होंने कहा कि यह आबंटन इसलिए रद किया है क्योंकि वह केंद्र सरकार की लद्दाख विरोधी नीतियों का विरोध करते हैं। वहीं लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने इस फैसले की निंदा की।

    बता दें कि सोनम वांगचुक छह वर्षों से लद्दाख के पर्यावरण संरक्षण और लद्दाखियों के सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक हितों के संरक्षण के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि लद्दाख में जमीन और रोजगार का अधिकार केवल लद्दाखियों का होना चाहिए।

    लद्दाख प्रशासन ने सोनम को फैयांग गांव में उनके संस्थान के लिए 2018 में जमीन आवंटित की थी। लेह के जिला उपायुक्त रोमिल सिंह डोंक ने 21 अगस्त को आदेश जारी कर, हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ आल्टरनेटिव लर्निंग को आबंटित जमीन का आवंटन रद कर दिया। उन्होंने कहा कि इस जमीन को सरकारी करार देते हुए लेह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद और तहसीलदार लेह को अवैध ढांचे और अतिक्रमण को हटाने के लिए कहा है।

    आदेशानुसार फैयांग में यह जमीन हिमालयन इंस्टीट्यूट को 40 वर्ष के पट्टे पर आबंटित की गई थी, लेकिन अभी तक उस पर विधि सम्मत कोई विश्वविद्यालय नहीं बनाया है। न तो आवंटित जमीन के लिए पट्टे को अनुबंध भी नहीं किया है और न ही जमीन को संबंधित संस्थान को सौंपा है। उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार इस जमीन को तहसीलदार लेह के माध्यम से प्राप्त भी नहीं किया गया है।

    एचआइएएल की सीईओ और सह-संस्थापक, गीतांजलि अंगमो ने कहा कि संस्थान की स्थापना 2017-18 में हुई थी और हमें 22 अगस्त को नोटिस मिला कि भूमि आवंटन तीन बिंदुओं पर रद कर दिया है, जो निराधार हैं।

    पिछले पांच वर्षों में 400 से अधिक छात्रों ने हमारे संस्थान में पाठ्यक्रम और फेलोशिप पूरी की है। यह एक वैकल्पिक विश्वविद्यालय है और इसके लिए यूजीसी पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। हमने 16 मार्च 2022 को यूजीसी के लिए आवेदन किया था। वहीं सोनम वांगचुक ने कहा कि जिला उपायुक्त ने एलएएचडीसी को विश्वास में लिए बिना ही आवंटन रद किया है।