Leh Ladakh Protest: लद्दाख में क्यों हो रहा है आंदोलन? सोनम वांगचुक निकले अपने गांव; अब तक चार की गई जान
लेह में राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी जिसमें चार लोगों की जान चली गई और 70 लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और स्वायत्त परिषद में तोड़फोड़ की। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जिसके बाद पूरे जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अनशन समाप्त कर दिया है।

जागरण संवाददाता, लेह। लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन बुधवार को हिंसक हो गया। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई और 30 पुलिस व सीआरपीएफ जवानों समेत 70 लोग घायल हुए हैं। उपद्रवियों ने भाजपा कार्यालय और लेह स्वायत्त विकास परिषद के कार्यालय में भी तोड़फोड़ की और आग लगा दी। इस दौरान करीब एक दर्जन वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए।
उपद्रवियों पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज, आंसू गैस और कथित तौर पर फायरिंग का सहारा लेना पड़ा। पूरे जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया है। हिंसा के बाद अनशन पर बैठे पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अनशन समाप्त करने की घोषणा कर दी।
वहीं, गृह मंत्रालय ने लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए सोनम वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराया है। केंद्र ने कहा कि कार्यकर्ता ने अपने भड़काऊ बयानों के जरिए भीड़ को उकसाया। सरकार ने कहा कि लेह में स्थिति शाम 4 बजे तक नियंत्रण में आ चुकी थी।
यह स्पष्ट है कि श्री सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के ज़रिए भीड़ को उकसाया था। संयोग से, इस हिंसक घटनाक्रम के बीच, उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गंभीर प्रयास किए बिना एम्बुलेंस से अपने गाँव के लिए रवाना हो गए।- गृह मंत्रालय, भारत सरकार
इस बीच, प्रशासन ने कांग्रेस नेता और पार्षद फुंतसोग स्टैंजिन सेपाग के खिलाफ हिसा भड़काने का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि कांग्रेस नेता ने मंगलवार को भाषण दिया था, जिससे क्षेत्र में अशांति फैली। हालात को देखते हुए दो दिवसीय लद्दाख वार्षिकोत्सव रद कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सोनम वांगचुक के नेतृत्व में एक दल 10 सितंबर से भूख-हड़ताल कर रहा है। इसमें प्रतिदिन 500 लोग शामिल होते हैं। केंद्र सरकार ने मांगों पर विचार करने के लिए लद्दाख के लेह व कारगिल जिलों के प्रतिनिधिमंडल को छह अक्टूबर को बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन उससे पहले ही बुधवार को हिंसा भड़क गई। मंगलवार को हड़ताल पर बैठे 72 वर्षीय सेरिंग अंगचुक्क और 62 वर्षीय ताशी दोल्मा की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
आरोप है कि इसके बाद धरनास्थल पर कुछ नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए थे और लेह में आंदोलन का नेतृत्व कर रही लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) की युवा इकाई ने बंद का आह्वान कर दिया। बुधवार सुबह ही धरनास्थल से एक ग्रुप नारेबाजी करते हुए जुलूस के शक्ल में निकला और कुछ ही देर में इसने हिंसक रूप ले लिया।
भाजपा कार्यालय के पास से गुजरते हुए नारेबाजी तेज कर दी और पथराव शुरू हो गया। वहां तैनात सीआरपीएफ और पुलिस के वाहनों को निशाना बनाया गया। हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए लाठियों और अश्रु गैस का सहारा लिया, लेकिन तब तक स्थिति बेकाबू हो चुकी थी।
उपद्रवियों ने भाजपा कार्यालय के साथ-साथ सड़क पर मौजूद कई वाहनों को आग लगा दी। लेह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के कार्यालय में भी प्रदर्शनकारी दाखिल हो गए और वहां भी तोड़फोड़ व आगजनी की। पूरे कस्बे में पुलिस और अर्धसैनिक बल को तैनात करने के साथ ही कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया गया है। प्रशासन के अनुसार शाम चार बजे तक स्थिति को काबू पा लिया गया था।
हिंसा भड़कने दी थी चेतावनी
लेह एपेक्स बाडी (एलएबी) के नेताओं ने सोमवार को हिंसा भड़कने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लद्दाखियों के आंदोलन के प्रति उदासीन रवैया अपनाया जा रहा है, जिससे लोगों का धैर्य समाप्त हो रहा है।
सोनम वांगचुक पर भी आरोप है कि वह नेपाल की तरह जेन जी आंदोलन की बात कर उकसा रहे थे। हालांकि वांगचुक ने इसके पीछे किसी राजनीतिक साजिश से इनकार किया है और कहा कि आंदोलन में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
वहीं, केंद्र से बातचीत के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया है। चार दौर की बातचीत हो चुकी है। पिछली बातचीत 27 मई को हुई थी। 20 सितंबर को केंद्र सरकार की समिति ने एलएबी और केडीए के प्रतिनिधियों के साथ छह अक्टूबर को बैठक का एलान किया था।
लद्दाख में क्यों हो रहा है आंदोलन
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत 31 अक्टूबर 2019 को अस्तित्व में आए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग उठाई जा रही है।
लद्दाख के लिए अलग से राज्य लोक सेवा आयोग स्थापित करने और लोकसभा में लद्दाख के लिए दो सीटें सुनिश्चित करने की मांग भी की जा रही है। लेह की लेह एपेक्स बाडी और कारगिल के कारगिल डेमोक्रेटिक एलांयस इस विषय पर आंदोलन कर रहे हैं। दोनों संगठनों की संयुक्त समिति इस मुद्दे पर केंद्र से बात भी कर रही है।
छठी अनुसूची क्या है
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए स्वशासन और स्वायत्तता प्रदान करती है। इसके तहत स्वायत्त जिला परिषदें स्थापित की जाती हैं, जिन्हें भूमि, वन, सामाजिक रीति-रिवाज, विवाह, तलाक और अन्य विशिष्ट विषयों पर कानून बनाने की शक्ति होती है।
इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय, बाजार, सड़कें और अन्य स्थानीय विकास कार्य स्थापित और प्रबंधित कर सकती हैं। इससे संबंधित क्षेत्र को संरक्षित व जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिलता है। लद्दाख के लोग यही मांग कर रहे हैं, ताकि जमीन, रोजगार पर उनका अधिकार संरक्षित रहे।
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