दूसरों के लिए मुश्किल पैदा कर रहे इंजीनियर रशीद की अपने ही घर में राह हुई मुश्किल, भाई को मिल रही कड़ी टक्कर
लंगेट विधानसभा चुनाव में इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद शेख की राह आसान नहीं है। उनका मुकाबला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता और कुपवाड़ा के डीडीसी के मौजूदा अध्यक्ष इरफान पंडितपोरी से है। जम्मू-कश्मीर वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष मीर जुनैद नेकां-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार इरशाद गनी अपनी पार्टी के मुनव्वर ख्वाजा का प्रभाव और जनाधार भी देखने को मिल रहा है।
नवीन नवाज, लंगेट। श्रीनगर से करीब 70 किलोमीटर दूरी उत्तरी कश्मीर में स्थित लंगेट (कुपवाड़ा) में घुसते होते मुख्य चौराहे पर स्थित पार्क के आसपास विभिन्न राजनीतिक दलों के पोस्टरों और बैनरों की भरमार देखकर अंदाजा हो जाता है कि यहां चुनावी समर आसान नहीं है।
यह वही लंगेट है, जहां से वर्ष 2008 में अवामी इत्तिहाद पार्टी (एआइपी) के चेयरमैन शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद ने अपना पहला विधानसभा चुनाव जीत राजनीतिक सफर शुरू किया था। यह वही इंजीनियर रशीद हैं जो लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला और सज्जाद गनी लोन जैसे दिग्गजों को हराकर एक नई चुनावी सनसनी के रूप में उभरे हैं।
इंजीनियर रशीद का भाई लड़ रहा चुनाव
लंगेट में इंजीनियर रशीद की साख पूरी तरह दांव पर लगी हुई है। वह खुद नहीं, बल्कि उसका भाई खुर्शीद अहमद शेख चुनाव लड़ रहा है। पहले यहां मुकाबला द्विपक्षीय समझा जा रहा था, लेकिन अब यह बहुकोणीय हो चुका है। मावर दरिया के किनारे बसे लंगेट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 120,221 मतदाता हैं, जो 15 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
रशीद ने यहां से दो बार जीता है चुनाव
इंजीनियर रशीद ने वर्ष 2008 और 2014 में लगातार दो बार यहां जीत दर्ज की है, लेकिन नामांकन से चंद दिन पहले शिक्षा विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनावी दंगल में उतरे उनके भाई खुर्शीद अहमद की राह आसान नहीं है। उनका मुकाबला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के नेता और कुपवाड़ा के डीडीसी के मौजूदा अध्यक्ष इरफान पंडितपोरी से है।
लंगेट में बहुकोणीय हो गया मुकाबला
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, यह अब दो घोड़ों की दौड़ नहीं रह गई है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष मीर जुनैद, नेकां-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार इरशाद गनी, अपनी पार्टी के मुनव्वर ख्वाजा और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. कलीम उल्लाह का प्रभाव और जनाधार स्पष्ट महसूस किया जा सकता है। पहले यहां मुकाबला एआईपी और पीसी के बीच माना जा रहा था, लेकिन मीर जुनैद, इरशाद गनी और डॉ. कलीम उल्लाह जैसे नए चेहरों के मैदान में आने से यह मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
मुख्य मुकाबला एआईपी और पीसी में
मावर निवासी हमीद ने कहा कि यहां बेशक 14-15 उम्मीदवार हैं, पर मुकाबला एआईपी और पीसी में है। जमात के उम्मीदवार और मीर जुनैद के कारण यह और ज्यादा दिलचस्प हो गया है। उन्होंने कहा कि एआईपी पूरी तरह से इंजीनियर रशीद पर निर्भर नजर आती है, जबकि इरफान पंडितपोरी ने जिला विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में जो किया है, उससे उसने अपनी छवि को मजबूत किया है। उसका उसे फायदा हो सकता है।
भाजपा एजेंट के आरोप से हुआ है नुकसान
कश्मीर मामलों के जानकार अल्ताफ अहमद बाबा ने कहा कि इंजीनियर रशीद की रैलियों में बेशक भीड़ नजर आ रही है, लेकिन जिस तरह से उनके विरोधियों ने उन्हें भाजपा का एजेंट साबित करने का प्रयास किया है, उससे कहीं न कहीं उनहें नुक्सान हुआ है। इसके अलावा वह नेशनल कान्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी की खानदानी सियासत को निशाना बना रहे हैं, लेकिन लंगेट में उन्होंने अपने भाई को टिकट दिया है। इससे भी उनके कई पुराने साथी नाराज हुए हैं।
यह भी पढ़ें- 'वे हमारे लिए भगवान की तरह', पीएम मोदी की रैली में वाल्मीकि समाज के लोगों ने बयां की मन की बात
लोगों में नाराजगी, स्थानीय समस्याओं का नहीं हो रहा कोई जिक्र
उनीसू गांव के बाहरी छोर पर खड़े आबिद ने कहा कि इंजीनियर रशीद जिन मुद्दों को उठा रहे हैं, प्रतिबंधित जमाते इसलामी के समर्थित उम्मीदवार डॉ. कलीम उल्लाह भी उन्हीं मुद्दों को उछाल रहे हैं, दोनों के बीच वोट बंटेंगे, जिसका फायदा पीसी या फिर कांग्रेस के उम्मीदवार इरशाद गनई को हो सकता है। उसने कहा कि यहां स्वच्छ पेयजल की समस्या है, उसका कोई जिक्र नहीं कर रहा है।
शानू गांव में शमीम अहमद ने कह कि गांव को जिला व तहसील मुख्यालय से जोड़ने वाले दो पुल क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इंजीनियर रशीद हो या पंडिपोरा या कांग्रेस का उम्मीदवार, सभी राजनीतिक मुददों की बात कर रहे हैं, हमारे मूल मुद्दे की उपेक्षा हो रही है। पूरे लंगेट में मावर दरिया से उत्खनन पर रोक से कई लोग बेकार हो गए हैं।
यहां सड़कें सही नहीं है, लंगेट में भी कई पर्यटनस्थल हैं, उन्हें विकसित किया जाना चाहिए, लेकिन उनकी तरफ यहां कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अस्पताल चाहिए, कोई तकनीकी कालेज होना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि वह किसे वोट देगातो उसने कहा कि यह मतदान के दिन ही तय किया जाएगा।
यह भी पढ़ें- Jammu-Kashmir Election 2024: आतंक के गेटवे से लोकतंत्र के द्वार तक, पूरी तरह बदल गया उत्तरी कश्मीर का माहौल